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पहली बार ऐतिहासिक कामयाबी कैंसर के इतिहास में , क्लिनिकल ट्रायल के दौरान ये दावा हुई 100% कारगर
न्यूयॉर्क, जून 07: कैंसर, एक ऐसी जानलेवा बीमारी, जिसका नाम सुनकर ही लोग डर जाते हैं और इस बीमारी का दवा या वैक्सीन खोजने की कोशिश पिछले कई सालों से की जा रही है, लेकिन अभी तक कामयाबी नहीं मिली है।
लेकिन, अब कोलोरेक्टल कैंसर की एक नई दवा ने शोधकर्ताओं को उस वक्त चौंका दिया, जब पता चला कि, क्लिनिकल ट्रायल के दौरान कैंसर से प्रभावित सभी मरीजों से कैंसर का वायरस गायब हो गया।
Dostarlimab, एक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी दवा, जिसे यूके में एंडोमेट्रियल कैंसर के इलाज के लिए पहले से ही स्वीकृत किया गया है, उसने न्यूयॉर्क में मेमोरियल स्लोन केटरिंग कैंसर सेंटर में क्लिनिकल ट्रायल के दौरान उम्मीदों की सभी सीमा रेखा को तोड़ दिया। रिपोर्ट के दौरान ये क्लिनिकल ट्रायल अस्पताल में भर्ती 18 कैंसर मरीजों के ऊपर किया गया था और नतीजे में पता चला, दवा देने के बाद डॉक्टरों को सभी 18 में से 18 मरीजों के शरीर में कैंसर के लक्षण नहीं मिले। हालांकि, 18 मरीजों का ये सैंपल साइज छोटा जरूर है, लेकिन फिर भी इसके नतीजे इस जानलेवा बीमारी के इलाज की दिशा में गेम चेंजिंग माना जा रहा है और पूरी संभावना बन गई है, कि इस दवा को कैंसर बीमारी के स्थाई इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
किन मरीजों पर हो सकता है इस्तेमाल?
रिपोर्ट के मुताबिक, dostarlimab दवा का का इस्तेमाल सिर्फ दसवें कोलोरेक्टल कैंसर रोगियों पर किया जा सकता है, जिनके ट्यूमर में आनुवंशिक उत्परिवर्तन होता है। इस रिसर्च पेपर को लिखने वाले प्रमुख लेखकों में से एक डॉ लुइस डियाज़ ने कहा कि, 'मेरा मानना है कि कैंसर के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है'। उन्होंने कहा कि, 'यह वास्तव में रोमांचक है। मुझे लगता है कि यह मरीजों के लिए एक अच्छा कदम है।' डॉ डियाज, जो व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय कैंसर सलाहकार बोर्ड के सदस्य भी हैं, उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया कि यह खोज 'हिमशैल का सिरा' थी। उन्होंने कहा, "हम जांच कर रहे हैं, कि क्या यही तरीका अन्य कैंसर मरीजों की मदद कर सकता है जहां, मरीजों के बचने की संभावनाएं अत्यंक कम होजाती हैं और ट्यूमर एमएमआरडी हो सकते हैं।" उन्होंने कहा कि, 'हम फिलहाल अब गैस्ट्रिक (पेट), प्रोस्टेट और अग्नाशय के कैंसर के रोगियों का नामांकन कर रहे हैं।'
कैंसर अभी तक एक जानलेवा बीमारी बनी हुई है और ब्रिटेन में हर साल 43 हजार तो अमेरिका में हर साल कोलोरेक्टल कैंसर के डेढ़ लाख मरीज मिलते हैं। वहीं, ब्रिटेन में हर साल कोलोरेक्टल कैंसर से 17 हजार और अमेरिका में 53 हजार मरीजों की मौत हो जाती है। लिहाजा, इस दवा को एक महत्वपूर्ण खोज माना जा रहा है। क्लिनिकल ट्रायल के दौरान डॉक्टर उस वक्त उत्साहित हो गये, जब उन्होंने देखा कि, Dostarlimab दवा का इस्तेमाल करने के बाद, जिन मरीजों के पास विशिष्ट आनुवंशिक मेकअप ट्यूमर होते हैं, जिसे मिसमैच रिपेयर-डेफिशिएंसी (MMRD) या माइक्रोसेटेलाइट अस्थिरता (MSI) के रूप में जाना जाता है, उन मरीजों पर ये दवा काफी असरदार हो गई। माना जाता है कि सभी रेक्टल कैंसर रोगियों में से केवल पांच से 10 प्रतिशत को एमएमआरडी ट्यूमर है, और क्लिनिकल ट्रायल में शामिल सभी मरीज इससे पीड़ित थे। मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कैंसर कोशिकाओं की सतह पर PD-1 नामक प्रोटीन से जुड़कर काम करती है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर कोशिकाओं को छिपाने और उन्हें नष्ट करने में प्रभावी रूप से 'अनमास्क' करने में मदद करता है। (ठीक होने वाली मरीजों की तस्वीर- सौजन्य- Memorial Sloan Kettering Cancer Center)
किस तरह किया गया क्लिनिकल ट्रायल?
क्लिनिकल ट्रायल के दौरान 18 मरीजों को कोलोरेक्टल कैंसर के लिए पिछले उपचार से गुजरना पड़ा था, जिसमें कीमोथेरेपी और जोखिम भरी सर्जरी शामिल थीं। अध्ययन में नामांकित मरीजों को छह महीने के लिए हर तीन सप्ताह में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी उपचार दिया गया। जिसके बाद शोधकर्ताओं ने 12 महीने बाद रोगियों की लगातार मॉनिटरिंग की और फिर टेस्ट के दौरान पता चला, कि कैंसर उनके शरीर से गायब हो गया था। डॉक्टरों ने कई बार सभी मरीजों का अलग अलग तरीके से स्कैनिंग की, उनका टेस्ट लिया, लेकिन डॉक्टरों को कैंसर नहीं मिला।
कितनी है इस दवा की कीमत?
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में Dostarlimab की कीमत लगभग 11,000 डॉलर यानि करीब आठ लाख 80 हजार रुपये प्रति 500mg है। जबकि, यूनाइटेड किंगडम में इस दवा की कीमत यूके में, इसे प्रति खुराक 5,887 पाउंट में बेचा जाता है। हालांकि, एनएचएस ने उन्नत एंडोमेट्रियल कैंसर के इलाज के लिए निर्माता ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन (जीएसके) के साथ छूट पर सहमति व्यक्त की है, जिसने अमेरिकी परीक्षण को प्रायोजित किया है। Dostarlimab हर साल लगभग 100 एडवांस एंडोमेट्रियल कैंसर रोगियों को दिया जाता है। जीवनदायिनी दवा का उद्देश्य उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना और कीमोथेरेपी से बचना है, जिसके अधिक दुष्प्रभाव होते हैं, जबकि सीमित लाभ हैं।
मरीजों को क्या करना चाहिए?
डॉ डियाज़ ने कहा कि, 'हमारा संदेश है, अगर आपको रेक्टल कैंसर है तो जांच करवाएं कि ट्यूमर एमएमआरडी है या नहीं। कोई फर्क नहीं पड़ता कि कैंसर किस स्टेज में है, हमारे पास मेमोरियल स्लोन केटरिंग में एक परीक्षण है जो आपकी मदद कर सकता है। और एमएसके के पास विशेष विशेषज्ञता है जो वास्तव में मायने रखती है।' न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने लिखा, 'इस रिपोर्ट के समय, किसी भी मरीज को कीमोरेडियोथेरेपी या सर्जरी नहीं हुई थी, और फॉलो-अप के दौरान फिर से कैंसर के दोबारा उभरने का मामला भी सामने नहीं आया।