- Home
- /
- लाइफ स्टाइल
- /
- बच्चों को डिसिप्लिन...
x
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आजकल ज्यादातर पैरेंट्स की अपने बच्चों से यह शिकायत रहती है कि वो समय से अपना कोई काम नहीं करते हैं, न ही अपनी कोई चीज सही जगह पर रखते हैं। हद तो तब हो जाती है जब वो अपने से बड़ों का कहना भी नहीं सुनते और पूरा टाइम मोबाइल या टीवी के आगे बैठे रहते हैं। उनके इस तरह के स्वभाव का सीधा असर या तो उनकी पढ़ाई या फिर शारीरिक और मानसिक विकास पर पड़ता है। अगर आपके घर में भी बच्चों का कुछ ऐसा ही हाल है तो आपको बताते हैं बच्चों को अनुशासित करने के कुछ ऐसे पॉज़िटिव तरीक़े जिन्हें फॉलो करने के बाद बच्चे न केवल अनुशासन में रहेंगे, बल्कि अदब और प्यार भी सीखेंगे।
बच्चे समान बिखेरकर रखते हों-
ज़्यादातर माता-पिता की अपने बच्चों से यह शिकायत रहती है कि उनके बच्चे अपने कमरे में हर चीज फेंकते-फैलाते रहते हैं। ऐसे में बच्चों को चीज़ें जगह पर रखने की सीख खेल-खेल में ही दें। टाइमर लगाकर उन्हें चीज़ों को व्यवस्थित रखने के लिए कहें। इसे एक रियल लाइफ गेम की तरह ट्रीट करें। ऐसा करने से कुछ समय बाद आप देखेंगे कि आपका बच्चा किस तरह खेल-खेल में चीज़ों को व्यवस्थित रखना सीख गया है।
बच्चे करें नखरे-
बच्चे अगर नखरे करें तो समझ जाए कि वो अभी मेंटली अपसेट हैं।ऐसे में उन्हें डांटना-मारना सही नहीं होगा. आप उनके साथ जादू की झप्पी वाला ट्रीटमेंट आज़माकर देखें। आपके स्नेह और प्यार से उसका भावनात्मक उतार-चढ़ाव तुरंत संतुलित होगा और वो झट से नॉर्मल हो जाएगा।
बच्चा दिखाए रौब-
अक्सर बच्चे अपने से छोटों या अपनी बात सुनने वालों पर रौब झाड़ना शुरू कर देते हैं। ऐसे में बच्चे को अपना सहायक बनाकर देखें। वे पूरे लगन से उस काम को करने में जुट जाएंगे। कुछ समय बाद आप देखेंगे कि किस तरह ज़िम्मेदारी उन्हें एक अच्छे बच्चे में बदल देती है।
खाने में करे नखरे-
अगर आपका बच्चा खाना खाते समय नखरे करे तो उसे ठीक करने के लिए 'वन बाइट रूल' बना लें। जिसमें बच्चे खाने को पहले खाना टेस्ट करने से लिए कहे। उनसे प्यार से आग्रह करें कि वे पहले एक कौर खाना खाकर देखें, अगर उसके बाद पसंद न आए तो नहीं खाएंगे।
होमवर्क कराना हो बड़ा टास्क-
ज़्यादातर बच्चे होमवर्क करने के नाम पर ही मुंह या बहाने बनाने लगते हैं। ऐसे में कई पैरेंट्स उन्हें पढ़ने में अच्छे बच्चों से कंपेयर करके प्रोत्साहित करना चाहते हैं, जिससे बच्चे और भी चिढ़ जाते हैं। आपको चाहिए कि बच्चे के साथ ज़ोर-ज़बर्दस्ती या उनकी तुलना करने के बजाय पढ़ाई में उनकी रुचि जगाएं।
समय के महत्व को नहीं समझे बच्चा-
दो मिनट में आता हूं' कहकर घंटों खेलने वाले बच्चे की आदतें अगर बचपन में ही नहीं सुधारी गईं तो बच्चे ज़िंदगीभर ढीले और समय को लेकर अस्तव्यस्त बन जाती है। अगर बच्चे ऐसा करें तो उन्हें सबक सिखाने के लिए उनके फ़ेवरेट काम के टाइम को कम कर दें। आपके ऐसा करने से बच्चे को अपनी पसंदीदा गतिविधि के लिए समय नहीं मिलेगा, तो वे बाक़ी कामों में समय के महत्व को समझ जाएगा।
आदतन झूठ बोलने लगे बच्चा-
अगर आपका बच्चा आदतन झूठा बन जाता है। वह असल ज़िंदगी से जुड़ी चीजों को भी बढ़ा-चढ़ाकर बताने लगता है तो उसकी इस आदत को छुड़ाने के लिए उसे कहानी लिखने की प्रेरणा दें। उससे कहें कि वह अपनी कल्पना का इस्तेमाल करके एक कागज पर कहानी लिखे।
Tara Tandi
Next Story