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नन्हें-मुन्नों की मासूम शरारतें सभी के चेहरे पर मुस्कान ले आती हैं
नन्हें-मुन्नों की मासूम शरारतें सभी के चेहरे पर मुस्कान ले आती हैं। उनकी एक मुस्कराहट के लिए माता-पिता कुछ भी करने को तैयार रहते हैं, पर कभी-कभी ये नन्हें-मुन्ने हमारे धैर्य की परीक्षा भी लेने लगते हैं...
चलिए जानते है कैसे करें बच्चों की परवरिश-
1.नियमित दिनचर्या व अनुशासन:- अक्सर माता-पिता बच्चों को अनुशासन सिखाने व उनकी दिनचर्या नियमित करने के लिए नियम तो बनाते हैं, पर उनका पालन करने को लेकर गंभीरता नहीं दिखाते। यहीं पैदा होती है समस्या। अगर आपने बच्चे के खेलने, खाने और सोने का समय निर्धारित किया है तो यह जरूरी है कि इस संबंध में निरंतरता बनाए रखें। अगर आप बच्चों के लिए बनाए गए इन नियमों का कड़ाई से पालन नहीं करेंगे तो बच्चा कनफ्यूज हो जाएगा। जब आप उसे कुछ करने से मना करेंगी तो वह चिड़चिड़ाहट जाहिर करने लगेगा। बच्चा यह जरूर सोचेगा कि क्या वजह थी कि एक दिन आपने उसे पार्क में आधा घंटा अधिक खेलने की इजाजत दे दी, पर आज उसके जिद करने पर आप मना कर रही हैं। इसलिए बच्चों को अनुशासन का महत्व सिखाने के क्रम में उनके लिए निर्धारित दिनचर्या के नियमों के पालन में निरंतरता बनाए रखना बेहद जरूरी है।
2.नकारात्मक बातों को महत्व:- माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा व्यवहार में सबसे अच्छा बने। वहीं बच्चे अक्सर कुछ न कुछ गलतियां कर बैठते हैं। बच्चा और गलतियां न करे, इस चक्कर में माता-पिता उन्हें डांटते-फटकारते रहते हैं, पर उसके अच्छे व्यवहार पर शाबासी देना भूल जाते हैं। जब बच्चा कोई सामान फेंकता है या कुछ गलत करता है तो उसके व्यवहार को सुधारना जरूरी है, पर अगर वह कुछ अच्छा करता है तो उसके लिए पुरस्कार भी दें। यह पुरस्कार कुछ भी हो सकता है जैसे उसे बाहों में लेकर प्यार करना या उसकी तारीफ। उससे आप यह कह सकती हैं कि जिस तरह शांत रहकर तुमने मेरी बात सुनी, वह देखकर मुझे अच्छा लगा। आपसे इस प्रकार तारीफ सुनकर बच्चा अच्छे व्यवहार के लिए प्रेरित होगा।
3.अनुचित मांगों को मानना:- बच्चों को यह पता होता है कि माता-पिता उनसे बेहद प्यार करते हैं। अगर वह रोने का नाटक करेंगे या जिद करेंगे तो माता-पिता उनकी बातों को मान ही लेंगे। लेकिन ऐसे में तो बेहतर होगा कि उसकी ओर ध्यान ही न दें। थोड़ी देर में बच्चा खुद ब खुद समझ जाएगा कि उसकी यह ट्रिक काम नहीं करने वाली।
4.खेल का महत्व:- बच्चों के बेहतर विकास के लिए खेलना आवश्यक है। पेरेंट्स सोचते हैं कि अगर बच्चा ऐसे खेलों में रुचि लेगा, जो उसके बेहतर मानसिक व शारीरिक विकास को ध्यान में रखते हुए उन्होंने उसके लिए सलेक्ट किए हैं तो ज्यादा अच्छा रहेगा, पर यहीं वे गलती कर बैठते हैं। बच्चे को उसकी मर्जी से खेल चुनने दें। जो भी उनका खेलने का मन है, उन्हें वहीं खेलने दे।
TagsParenting Tips
Rani Sahu
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