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लंबी अवधि तक किसी बीमारी से ग्रसित रहने के बाद स्वास्थ्य तो ठीक हो जाता है, लेकिन इसके दुष्प्रभाव से कुछ अन्य लक्षण दिखने लगते हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। लंबी अवधि तक किसी बीमारी से ग्रसित रहने के बाद स्वास्थ्य तो ठीक हो जाता है, लेकिन इसके दुष्प्रभाव से कुछ अन्य लक्षण दिखने लगते हैं, जैसे कि कोरोना से पीड़ित अधिसंख्य लोगों को कई माह तक थकान, सांस फूलना, स्वाद या गंध महसूस करने में परेशानी हुई। तेज बुखार या किसी बीमारी से उबरने के बाद कुछ लोगों को बाल झड़ने की शिकायत हो जाती है और ये समस्या छह माह तक रह सकती है।
तनाव बनता है कारण: जब कोई व्यक्ति बहुत तनाव से गुजरता है तो शरीर में समय से पहले कई तरह के बदलाव होते हैं। शरीर विज्ञान के अनळ्सार इसमें सामान्य से अधिक मात्रा में ऐनेगन हेयर रेस्टिंग टेलोजन अवस्था में उगते हैं। रेस्टिंग व झड़ने की अवस्था में रहने वाले 10 फीसद बालों की जगह 50 फीसद तक बाल रेस्टिंग में होते हैं और झड़ने लगते हैं, जो सामान्य से बहुत अधिक है। हालांकि टेलोजन एफ्लुवियम की अधिकतर समस्या तीन से छह माह में ठीक हो जाती है।
आहार और दवाएं: इस समस्या से ग्रसित लोग भोजन में फल, मौसमी सब्जियां व प्रोटीन वाली चीजें शामिल करें। दवाओं की बात करें तो टेलोजन एफ्लुवियम का सबसे बेहतरीन उपचार उस जगह पर मिनाक्सीडिल जैसी दवाओं का प्रयोग है। इस दवा को महिला व पुरुष दोनों पर उपयोग के लिए एफडीए से अनुमति मिली हुई है, लेकिन गर्भवती व स्तनपान करा रही महिलाओं को इसके उपयोग से परहेज करना चाहिए। इसके अतिरिक्त पीआरपी थेरेपी से भी बालों को उगाने में मदद मिलती है।
डर से बिगड़ती है स्थिति: दवाएं या अन्य थेरेपी उन रोगियों के लिए उपयुक्त रहती हैं, जिनके बालों का झड़ना चार या छह माह के अंदर शुरू हुआ हो। कई रोगियों को गंजेपन का डर सताता है, जो स्थिति को और बिगाड़ देता है। इसमें महिला रोगियों की संख्या अधिक होती है। इसलिए महिलाओं को चाहिए कि अपने बालों की देखभाल, जैसे धुलना या स्टाइल बनाना कतई बंद न करें।
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