लाइफ स्टाइल

ऑफ़िस में फ़ॉलो करें ये अच्छी आदतें

Admin2
14 May 2023 2:42 PM GMT
ऑफ़िस में फ़ॉलो करें ये अच्छी आदतें
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हमेशा ही देर से आना
डेडलाइन्स मिस करना या मीटिंग्स में समय पर न पहुंच पाना, आपका मैनेजमेंट इन बातों को ज़रूर नोट कर रहा होगा. “दूसरों के समय का सम्मान न करना, फिर चाहे बात कलीग्स, क्लाइंट्स या बाहरी वेंडर्स की हो, यह आपके वर्क एथिक्स पर बुरा प्रभाव डालता है. जो एम्प्लॉईज़ समय पर अपनी रिपोर्ट्स नहीं देते या ज़रूरी जानकारी नहीं भरते, उनकी वजह से पूरी टीम की प्रोडक्टिविटी प्रभावित होती है,” कहती हैं डॉ गायत्री वासुदेवन, को-फ़ाउंडर और सीईओ, लेबरनेट सर्विसेस इंडिया, सुविधाहीनों को रोज़गार मुहैया करानेवाली सामाजिक संस्था.
क्या करें आप: अपने प्लैनर में हर मीटिंग का वक़्त तय समय के 15 मिनट पहले का शेड्यूल करें. इससे आपको समय पर पहुंचने के लिए 15 मिनट का बफ़र टाइम मिलेगा. यदि तब भी आप देर से ऑफ़िस पहुंच रही हैं और इसकी वजह काम में आपकी रुचि की कमी है तो अपनी मुख्य समस्याओं को मैनेजर या काउंसलर की मदद से दुरुस्त करने या सुलझाने की कोशिश करें.
लंबे ब्रेक्स लेना
वर्ष 2014 में salary.com द्वारा कराए गए वेस्टिंग टाइम वर्क सर्वे के अनुसार, 89 प्रतिशत लोग ऑफ़िस में अपना वक़्त बर्बाद करते हैं. जहां 31 प्रतिशत लोग हर दिन 30 मिनट तक वक़्त ज़ाया करते हैं, वहीं 31 प्रतिशत लोग तक़रीबन एक घंटा. तेजा गुडलुरु, सीईओ और फ़ाउंडर, यूडूज़, एक ऐप जो उपभोक्ताओं को विभिन्न विषयों पर एक्स्पर्ट सलूशन मुहैया कराता है, का कहना है,“औसतन एम्प्लॉईज़ इंटरनल चैट्स, जैसे ढेरों नॉन-प्रोडक्टिव टास्क्स पर अपना बहुत सारा वक़्त बर्बाद करते हैं.” सोशल मीडिया पर ऑनलाइन होना, बहुत बड़े पैमाने पर काम से आपका ध्यान खींचता है और आपके वर्क एथिक्स को बुरी तरह प्रभावित करता है. इसमें कोई दोराय नहीं कि ऐसे एम्प्लाईज़ कभी स्टार परफ़ॉर्मर्स की सूची में नहीं शामिल हो पाते. दिनभर निजी कॉल्स पर लगे रहना, दोस्तों के साथ लंच के लिए लंबे समय तक बाहर रहना और शॉपिंग के लिए बाहर जाना या ऑफ़िस टाइम पर अपने निजी काम करना, जैसी बातें आपके ख़िलाफ़ काम करती हैं.
क्या करें आप: मोनिदीपा जी, कंटेंट डेवलपर ने ऑफ़िस में अपने इंटरनेट यूज़ेज़ में कटौती की. “मैंने पूरी कोशिश की, कि जब मैं किसी काम में लगी रहूं तो किसी भी ईमेल के आते ही काम के बीच ही तुरत-फुरत उसका जवाब न देने लगूं. मैंने एक समय तय किया है, जब मैं काम की वरीयता के मुताबिक़ उनका रिप्लाई करती हूं.” स्टेफ़ोकस्ड और लीचब्लॉक या स्पेसेस, डेस्कटॉप्स और पोमोडोरो जैसे ऐप्स ध्यान भटकानेवाली चीज़ों को ब्लॉक कर आपका पूरा ध्यान काम पर बनाए रखने में मदद कर सकते हैं. दोस्तों और परिवार वालों को कहें कि आपका ऑफ़िस का समय बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए जब तक बहुत अहम् काम न हो, तब तक फ़ोन न करें. और यदि तब भी आपका ब्राउज़िंग करने का मन करे, तो याद रखें, जो एम्प्लॉई ग़ैरभरोसेमंद होते हैं, कंपनी उन्हें अलविदा कहने में गुरेज़ नहीं करती.
दूरदर्शिता की कमी
बुरी प्लैनिंग और चीज़ों को अंतिम समय तक लटकाए रखना बिल्कुल ग़लत है, क्योंकि लंबे समय में इसका बुरा असर पूरी टीम की प्रोडक्टिविटी पर पड़ता है. “योजनाओं के अभाव में पूरी की पूरी टीम प्रभावित हो सकती है. उदाहरण के लिए यदि मैनेजर शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म लक्ष्य, समय सीमा के साथ तय नहीं करता तो वह अपने कलीग्स को दिशा-निर्देश कैसे देगा?” पूछती हैं डॉ वासुदेवन.
क्या करें आप: सेल्स मैनेजर, मीरा मलिक, कहती हैं,“मैं हर सुबह टू-डू लिस्ट बनाती हूं और कोशिश करती हूं कि उसी का अनुसरण करूं. उसके बाद अपने बॉस और को-वर्कर्स से बात कर दिन के सबसे महत्वपूर्ण कामों के मुताबिक़ अपनी प्राथमिकताएं तय करती हूं. मैं इन्हें सबसे पहले पूरा करने की कोशिश करती हूं.”
गैंगबाज़ी
एम्प्लॉयर्स को वे लोग पसंद नहीं जो ऑफ़िस पॉलिटिक्स में शामिल होते हैं. फिर भले ही आपको अपने कलीग्स या सीनियर्स के बारे में गॉसिप करने में या लोगों को एक-दूसरे के ख़िलाफ़ करने में मज़ा आता हो. यह सबकुछ आपके बॉस के नज़रों में ठीक नहीं है. मीडिया मंत्र की को-फ़ाउंडर और डायरेक्टर पूजा पाठक कहती हैं,“टीम के उत्साह में कमी, अहंकार और पावर का लालच एम्प्लॉईज़ को एक-दूसरे के साथ के बजाय एक-दूसरे के ख़िलाफ़ काम करने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है.”
क्या करें आप: किसी भी ऑर्गेनाइज़ेशन को ऐसा इंसान पसंद नहीं आएगा, जो ऑफ़िस की तारतम्यता को ख़राब करे. इसलिए गॉसिप करना बंद करें. यदि आपके पास को-वकर्स या बॉस के बारे में कहने के लिए कुछ अच्छा नहीं है तो चुप ही रहें. कलीग के सामने अपनी नौकरी का रोना न रोएं. उनके बजाय आपके बॉस से यदि आप अपने काम के बारे में बात करेंगे, तो बेहतर होगा.
नए से नफ़रत
ऑर्गेनाइज़ेशन में कुछ साल गुज़ारने के बाद आपका एक रूटीन में बंध जाना वाजिब है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप किसी नए काम के लिए पहल ही न करें. “एम्प्लॉईज़ के लिए कई ट्रेनिंग सेशन्स रखे जाते हैं, लेकिन बहुत कम ही लोग उसका फ़ायदा उठा पाते हैं. वे अपने वर्तमान कौशल से संतुष्ट हो जाते हैं और अपनी ग्रोथ के बारे में नहीं सोचते,” कहती हैं पूजा.
क्या करें आप: जब भी आपका फ़ोकस घटने लगे तो उन सारी बातों के बारे में सोचें, जिस वजह से आप अपने काम को पसंद करते हैं. “पहल करें, सुधार के लिए सलाह दें और टीममेट्स को बेहतर परफ़ॉर्म करने में मदद करें,” कहती हैं डॉ वासुदेवन.
ख़राब आचरण
कई बार हम बहुत जल्दी कैशुअल मोड में आ जाते हैं, ख़ासतौर पर जब हमारे ऑफ़िस का कल्चर काफ़ी रिलैक्स्ड हो. लेकिन कई बार यह आपके क़दमों को बहका सकता है और ऐसी अजीब-सी स्थिति में ला सकता है, जहां आप अटपटी-सी बातचीत का हिस्सा बन जाएं.
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