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हार्ट की बीमारी के खतरे को कम
फ्लू को लोग आमतौर पर हल्के में लेते हैं। लेकिन एक हालिया शोध में बताया गया है कि फ्लू का संक्रमण हृदय रोगियों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है, जो जानलेवा भी हो सकता है। इसलिए बचाव जरूरी है। इस संबंध में अमेरिकी शोधकर्ताओं ने बताया है कि फ्लू का वार्षिक टीका हार्ट डिजीज के खतरे की गंभीरता की रोकथाम में भी कारगर हो सकता है।
यह बात सर्वविदित है कि फ्लू में फेफड़े में संक्रमण और श्वसन तंत्र से संबंधित ब्रानकाइटिस जैसी तकलीफें होती हैं। लेकिन संक्रमणकारी वायरसों का हार्ट पर असर के बारे में ज्यादा नहीं सोचा गया है। हालांकि कई अध्ययनों में यह बताया गया है कि इन्फ्लूएंजा संक्रमण में सामान्य स्थितियों की तुलना में हार्ट अटैक का खतरा छह गुना तक बढ़ जाता है और इसकी आशंका एक सप्ताह से लेकर सालभर या उसके बाद तक बनी रहती है। लेकिन अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन जर्नल में प्रकाशित नए अध्ययन के मुताबिक, फ्लू का टीका न सिर्फ आम लोगों बल्कि ज्यादा जोखिम उम्र वर्ग (दो साल से कम उम्र के बच्चों और 65 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों) के लोगों की हालत गंभीर होने से बचाने के साथ ही कार्डियोवस्कुलर रोगों से मौत के खतरे को भी कम करता है.
ह्यूस्टन मेथोडिस्ट के शोधकर्ताओं ने बताया है कि जिन लोगों ने फ्लू का टीका लिया था, उनके अस्पताल में भर्ती होने की नौबत 37 प्रतिशत तक कम थी और आइसीयू में भर्ती होने का जोखिम तो 82 प्रतिशत कम रहा।अध्ययन की लेखिका प्रियंका भुगरा ने बताया कि इसी तरह फ्लू के टीके की वजह से सर्वाधिक जोखिम वाले समूह के लोगों में कार्डियोवस्कुलर रोगों में भी उल्लेखनीय कमी आई। इसका कारण यह है कि इन्फ्लूएंजा- हार्ट और वस्कुलर सिस्टम में स्ट्रेस (तनाव) उत्पन्न करता है ताकि संक्रमण के प्रतिकार के लिए शरीर में इंफ्लेमेट्री रिस्पांस पैदा हो सके। उन्होंने डाक्टरों को सलाह दी कि कार्डियोवस्कुलर समस्याओं वाले पुराने रोगियों को हृदय रोगों से जुड़े गंभीर परेशानियों से बचाने के लिए इंफ्लूएंजा का टीका लगवाया जाना सुनिश्चित करें।
दिल की सेहत को ठीक रखता है टीका।
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