लाइफ स्टाइल

देश की पांच अनदेखी, अनजानी घूमने की जगहें

Kajal Dubey
30 April 2023 1:51 PM GMT
देश की पांच अनदेखी, अनजानी घूमने की जगहें
x
यात्रा चाहे मन की हो या जीवन की, सफ़र उम्र का हो या रास्तों का, हम हज़ारों मर्तबा कही बातों को ही दोहराते रहते हैं. हर बार वही देखकर संतुष्ट हो जाते हैं, जो सैकड़ों मर्तबा देखा, सुना, बताया गया है. जबकि आज भी हज़ारों रास्ते ऐसे हैं, जिन्हें इंतज़ार है हमारे क़दमों का. जो हमारी दृष्टि को एक नई दिशा दे सकते हैं और मन को एक नया बोध. तो आइए, चलते हैं इस बार एक ऐसे ही अनदेखे, अनजाने सफ़र पर जिसके रास्ते भी नए हैं और नज़ारे भी और खोजते हैं कुछ नई दिशाएं.
पूर्व में मधुबनी (बिहार)
बिहार में दरभंगा मंडल के अंतर्गत एक शहर है मधुबनी, जिसने अपने नाम के अनुरूप ही अपने भीतर कला और संस्कृति का मधुवन बसाया हुआ है. मिथिला संस्कृति का द्विध्रुव माने जाने वाले इस शहर में यूं तो मैथिली और हिंदी बोली जाती है, लेकिन इसके पास रंगों की एक और भाषा भी है. जिसके सहारे यह आने वालों के मन पर कभी न भूली जा सकने वाली यादों की इबारत लिखता है. मधुबनी को मिथिला पेंटिंग और मखाना के पैदावार की वजह से विश्वभर में जाना जाता है. यह जानना रोचक है कि धरती पर रंगों से शगुन रचने की कला यानी रंगोली से शुरू होकर मिथिलाकला धीरे-धीरे कपड़ों, दीवारों और काग़ज़ों तक फैलती चली गई. आज यहां के कलाकार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना रहे हैं. मधुबनी के इतिहास की मुट्ठी में अगर बापू के आंदोलन में भाग लेने के क़िस्से हैं, तो भारत छोड़ो आंदोलन में शिरकत करने की कहानियां भी कम नहीं. लेकिन सौराथ के महादेव मंदिर, कोइलख के भद्रकाली मंदिर, बलिराज गढ़ की महिमा से लिपटा इसका वर्तमान भी पर्याप्त दर्शनीय है.
केंद्र में धार (मध्यप्रदेश)
उत्तर में मालवा, मध्य क्षेत्र में विंध्यांचल रेंज और दक्षिण में नर्मदा घाटी. पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में स्थित धार ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है. मध्यकाल में परमार वंश के राजा भोज द्वारा बसाए इस शहर में दूर-दूर तक पहाड़ियों, झीलों, हरे-भरे दरख़्तों की छांव नज़र आती है और नज़र आते हैं यहां-वहां बिखरे हिन्दू-मुस्लिम स्मारकों के अवशेष. समय किस तरह शेष होकर भी शेष नहीं होता, यह धार जाकर सहज ही अनुभव किया जा सकता है. कहते हैं कि 1857 में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने धार के क़‌िले पर अपना कब्ज़ा कर लिया था और तब इसे बहुत राजनीतिक उठापटक का शिकार होना पड़ा था. लेकिन आज भी यहां प्राचीन क़‌िला, भोजशाला मंदिर, प्रसिद्ध जैन स्थल मोहन खेड़ा, बाग नदी के किनारे स्थित गुफाएं, 5वीं और 6वीं शताब्दी की चित्रकला के नमूने, बौद्धकला के शेषांश और मंदिर ही नहीं दूसरे कई ऐसे दर्शनीय स्थल हैं, जो सहज ही पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं.
पश्चिम में विराट नगर (राजस्थान)
कई जगह बैराठ के नाम से प्रसिद्ध विराटनगर राजस्थान के जयपुर ज़‌िले में बसा है. चारों ओर से पहाड़ियों से घिरी इस मत्स्य राज की राजधानी में पुरातात्विक अवशेषों का भंडार है. पौराणिक और ऐतिहासिक विरासत को समेटे खड़ा विराटनगर दरअस्ल महाभारत-कालीन एक स्थल है, जिसके बारे में कहा जाता है कि दुर्योधन से जुए में हारने के बाद 13 वर्षों के लिए अज्ञातवास में रहने को बाध्य पांडवों ने एक वर्ष यहीं बिताया था. जिसका प्रमाण है, पहाड़ियों पर बने पैरों के निशान और द्रौपदी के लिए खोदी गई भीम गंगा. लेकिन पौराणिक कहानियों के इतर भी यहां देखने के लिए बहुत कुछ है जैसे पुरा शक्तिपीठ, गुहा चित्रों के अवशेष, बौद्ध मठों के भग्नावशेष, अशोक का शिलालेख और मुग़लकालीन भवन, बीजक पहाड़ी, 27 लकड़ी के खंभों वाला बौद्ध मंदिर, प्राचीन कुंड, श्री केशवराय का मंदिर, थोड़ा दाएं-बाएं बढ़ जाएं तो सरिस्का टाइगर रिज़र्व, भर्तृहरी का तपोवन, भैरुबाबा का मंदिर, पाण्डुपोल नाल्देश्वर, सिलिसेढ़ आदि. यहां अकबर की छतरी भी है, कहते हैं बादशाह अकबर शिकार के दौरान यहां आराम करते थे.
उत्तर में चौकोरी (उत्तराखंड)
पिथौरागढ़ जिले में स्थित चौकोरी ऐसा अनदेखा, अनसुना-सा हिल स्टेशन है, जिसके दामन में पसरा सुकून किसी भी मायने में शिमला, मसूरी से कम नहीं. पश्चिम में हिमालय की पर्वतश्रृंखला, उत्तर में तिब्बत और दक्षिण में तराई से घिरे चौकोरी में देवदार, बांज और रोडोडेंड्रॉन के जंगल हैं. मक्का के आकर्षक खेत हैं. फलों के बाग़ हैं. ऐतिहासिक मंदिर हैं. हंसते-मुस्कुराते पहाड़ हैं. धरती से बतियाते आसमान के नज़ारे हैं. और बादलों का जमावड़ा तो हरदम लगा ही रहता है यहां. नज़र जिधर घूम जाए, उधर एक नया अनुभव. एक नया नज़ारा. पास ही बेरीनाग गांव में एक नागमंदिर है. मान्यता है कि इसका निर्माण नागवेणी राजा बेनीमाधव ने करवाया था. अलावा इसके गुफा के रास्ते पर बना भुवनेश्वर मंदिर, भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक महाकाली मंदिर, उल्का देवी, घनसेरा देवी मंदिर, कामाक्ष मंदिर और केदार मंदिर चौकोरी के अन्य दर्शनीय स्थल हैं. जिन्हें पुण्य कमाने की दृष्टि के साथ-साथ प्राचीन स्थापत्य की कारीगरी, नक़्क़ाशी के हुनर देखने के लिहाज़ से भी देखा जाता है.
दक्षिण में अदोनी (आंध्रप्रदेश)
हैदराबाद के दक्षिण-पश्चिम में चेन्नई-मुंबई रेलमार्ग पर बसा दक्षिण भारत का एक ख़ूबसूरत शहर है अदोनी. यहां जाकर ही आप जान पाएंगे कि उस शहर में जीना कैसा होता है, जिसके एक पन्ने पर शक्तिशाली विजयनगर साम्राज्य की कहानी लिखी हो, दूसरे पर बीजापुर के सुल्तान के क़िस्से, तीसरे पर ब्रिटिश हुक़ूमत की बातें और चौथे पर आज़ादी के गीत. 14वीं शताब्दी में विजयनगर शासकों द्वारा बनवाए गए एक दुर्ग के अवशेष आज भी पहाड़ियों पर बिखरे देखे जा सकते हैं. अदोनी शहर इसी दुर्ग के नीचे बसा हुआ है. इतिहास कहता है कि 1792 में इस पर क़ब्ज़े के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी और टीपू सुल्तान में युद्ध हुआ, जिसके परिणामस्वरूप यह हैदराबाद के निज़ाम के हाथ में चला गया. बेशक़ समय के साथ जैसे-जैसे राज बदला, शहर का मिज़ाज भी बदला, लेकिन फिर भी समय के प्रवाह में जिस ख़ूबसूरती से इसने अपनी पुरातन गंध को बचाए रखा है, वह दर्शनीय है. उम्दा कारीगरी वाले सूती कालीनों के चटख रंगों से सजी शहर की सड़कों पर चलते हुए, 1680 में बनवाई गई भव्य मस्ज़िद और बाराखिला के शिखर पर रखे अद्भुत शिलातोप को देखना भी एक अलग अनुभव देता है. तो फिर जा रहे हैं न आप उस अनदेखे अदोनी को देखने, जिसके पास जितना समृद्ध इतिहास है, उतना ही उत्कृष्ट वर्तमान भी.
Next Story