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बच्चे में पोषण की कमी को लेकर चिंतित हैं
बच्चे में पोषण की कमी को लेकर चिंतित हैं? उसे दिन-रात फल-सब्जी खिलाने के उपाय करते नहीं थकते? अगर हां तो ब्रिटेन स्थित एस्टन यूनिवर्सिटी का हालिया अध्ययन आपके लिए खासा मददगार साबित हो सकता है। इसमें बच्चे के सामने खुद की थाली में भी भारी मात्रा में फल-सब्जी परोसने और उसे हंसते-मुस्कराते खाने की सलाह दी गई है।
अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने चार से छह साल के 111 बच्चों को तीन समूह में बांटा। तीनों समूह के बच्चों की थाली में ब्रोकली परोसी गई। इसके बाद पहले समूह के बच्चों को ऐसे व्यक्ति का वीडियो दिखाया गया, जो मजे से ब्रोकली का सेवन कर रहा है।
वहीं, दूसरे समूह के बच्चों के सामने ऐसे व्यक्ति का वीडियो पेश किया गया, जिसे मन मारकर ब्रोकली खानी पड़ रही है। तीसरे और अंतिम समूह के बच्चों को साधारण वीडियो दिखाया गया।
अध्ययन के अंत में शोधकर्ताओं ने पाया कि पहले समूह के बच्चों ने औसतन 11 ग्राम ब्रोकली का सेवन किया। दूसरे समूह के मामले में यह मात्रा पांच ग्राम, जबकि तीसरे समूह में तीन ग्राम दर्ज की गई।
इससे स्पष्ट है कि बच्चे को फल-सब्जी खाने के लिए प्रेरित करने में घर के बड़ों की अहम भूमिका हो सकती है। उनमें कम स्वादिष्ट लेकिन ज्यादा पौष्टिक आहार लेने की आदत विकसित करने के लिए मां-बाप का खुद फल-सब्जी को मजे लेकर खाना जरूरी है।
मुख्य शोधकर्ता केटी एडवर्ड्स के मुताबिक अध्ययन में भले ही ज्यादातर ऐसे बच्चे शामिल थे, जिन्हें पहली बार ब्रोकली का स्वाद मिला था। लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि घर के बड़े बच्चों में फल-सब्जी के प्रति लगाव पैदा करने में अहम भूमिका निभाते हैं।
उन्हें ब्रोकली, कद्दू, लौकी, सेब, अनार आदि का लुत्फ उठाता देख बच्चे दोगुनी मात्रा में इन फल-सब्जियों को खाने के लिए प्रेरित होते हैं। अध्ययन के नतीजे 'जर्नल एपेटाइट' के हालिया अंक में प्रकाशित किए गए हैं।
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