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फैटी : बच्चों में फैटी लिवर की बीमारी आम होती जा रही है, जिसे नजरअंदाज करने की गलती बिल्कुल नहीं करनी चाहिए। फैटी लिवर डिजीज, जिसे कभी मुख्य रूप से वयस्कों के स्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय माना जाता था, अब बच्चों में भी तेजी से बढ़ता जा रहा है। इस स्थिति को नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी) के रूप में भी जाना जाता है। यह समस्या तब होती है, जब बच्चों के लिवर सेल्स में अधिक फैट जमा हो जाती है। ऐसा खासतौर से इनएक्टिव लाइफस्टाइल, पैश्चराइज्ड फूड आइटम्स, एक्स्ट्रा शुगर और अनहेल्दी फैट वाले डाइट के अधिक सेवन के चलते होता है। बच्चों में फैटी लीवर के लक्षणों की पहचान करना और समय पर इलाज कराना ही इससे बचने का एकमात्र उपाय है। आइये जानते हैं इसके लक्षणों के बारे में। थकान और कमजोरी: फैटी लिवर वाले बच्चे बेवजह थकान और कमजोरी महसूस करते हैं, जिससे उनका दैनिक जीवन काफी प्रभावित हो सकता है। मोटापा या अधिक वजन: फैटी लिवर वाले से जूझने वाले सभी बच्चे मोटापे का शिकार नहीं होते हैं, हालांकि, कुछ में अधिक वजन देखने को मिलता है। शरीर का एक्स्ट्रा वजन, खासकर पेट के आसपास, एनएएफएलडी के लिए एक सामान्य जोखिम कारक है।जिसे नजरअंदाज करने की गलती बिल्कुल नहीं करनी चाहिए। फैटी लिवर डिजीज, जिसे कभी मुख्य रूप से वयस्कों के स्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय माना जाता था, अब बच्चों में भी तेजी से बढ़ता जा रहा है। इस स्थिति को नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी) के रूप में भी जाना जाता है। यह समस्या तब होती है, जब बच्चों के लिवर सेल्स में अधिक फैट जमा हो जाती है। ऐसा खासतौर से इनएक्टिव लाइफस्टाइल, पैश्चराइज्ड फूड आइटम्स, एक्स्ट्रा शुगर और अनहेल्दी फैट वाले डाइट के अधिक सेवन के चलते होता है। बच्चों में फैटी लीवर के लक्षणों की पहचान करना और समय पर इलाज कराना ही इससे बचने का एकमात्र उपाय है। आइये जानते हैं इसके लक्षणों के बारे में। थकान और कमजोरी: फैटी लिवर वाले बच्चे बेवजह थकान और कमजोरी महसूस करते हैं, जिससे उनका दैनिक जीवन काफी प्रभावित हो सकता है। मोटापा या अधिक वजन: फैटी लिवर वाले से जूझने वाले सभी बच्चे मोटापे का शिकार नहीं होते हैं, हालांकि, कुछ में अधिक वजन देखने को मिलता है। शरीर का एक्स्ट्रा वजन, खासकर पेट के आसपास, एनएएफएलडी के लिए एक सामान्य जोखिम कारक है।