लाइफ स्टाइल

प्रोफ़ेशनल लाइफ़ की कपोल कल्पनाएं, जो बड़ा दुख देती हैं

Kajal Dubey
29 April 2023 4:54 PM GMT
प्रोफ़ेशनल लाइफ़ की कपोल कल्पनाएं, जो बड़ा दुख देती हैं
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जब हम स्कूल-कॉलेज में होते हैं, तब एक-एक साल इस भरोसे पर खिसका रहे होते हैं कि पढ़ाई पूरी होने के बाद अच्छे दिन आ जाएंगे. यहां अच्छे दिन से हमारा मतलब है हम नौकरी करने लगेंगे फ़ायनैंशियली इंडिपेंट हो जाएंगे. सबकुछ कितना अच्छा होगा ना! पर ऐसा होता है क्या? जैसे ही हम तमाम उम्मीदे पाले और कच्चे-पक्के सपनों के पंख लगाएं नौकरी करना शुरू करते हैं, हक़ीक़त के उस धरातल पर पहुंच जाते हैं, जिसके बारे में हमें किसी ने नहीं बताया होता है. हमें लगने लगता है नौकरी से अच्छे दिन आना बचपन की मासूम कपोल कल्पना थी. आप इस तरह की कपोल कल्पना के शिकार न हों, इसलिए आइए जानते हैं प्रोफ़ेशनल लाइफ़ के कुछ डार्क साइड, जिनके बारे में जानकारी आपको मानसिक रूप से मज़बूत बनाएगी.
कपोल कल्पना क्रमांक एक: ऑफ़िस में अच्छा परफ़ॉर्म करके आप सबके आंखों का तारा बन जाएंगे
कर्म करते जाओ के सिद्धांत का पालन करनेवाले लोग जॉब मिलते ही अपनी क्षमता को कार्यक्षमता में बदल डालते हैं. पर आपको तब जाकर धक्का लगता है, जब अपनी ओर से पूरी कोशिश करने के बाद भी ऑफ़िस में आपकी अहमियत में रत्तीभर भी वृद्धि नहीं होती. बल्कि होता बिल्कुल उल्टा ही है. दरअस्ल, जब आप हाई परफ़ॉर्मिंग कर्मचारी होते हैं, तब आपके शुरुआती शुभचिंतक अपने लिए चिंतित होने लगते हैं. वे आपसे जलन भावना रखने लगते हैं. पीठ पीछे आपको कई अनवांछित उपमाओं से नवाज़ने लगते हैं. वे आपके बारे में अफ़वाह फैलाते हैं. आपके काम को आसान बताते फिरते हैं. बुरा तो तब होता है, जब यह बात बॉस के दिमाग़ में बैठ जाती है. वे भी आपको एक्स्ट्रा काम से लाद देते हैं. वहीं दूसरे कलीग अपने में मस्त रहते हैं.
कपोल कल्पना क्रमांक दो: कंपनी के साथ, साथ आपकी पर्सनल ग्रोथ भी होगी
एचआर राउंड में आपको बड़े आत्मविश्वास से बताया जाता है कि हमारी कंपनी दूसरी कंपनियों से कितनी अलग है. यहां कर्मचारियों की संतुष्टि और उनकी पर्सनल ग्रोथ को भी ध्यान में रखा जाता है. पर एचआर पर भरोसा करना आपकी निरी मूर्खता होगी. कंपनी आपको सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने फ़ायदे के लिए हायर करती है. आपको कंपनी के लिए परफ़ॉर्म करना है. कंपनी आपका तेल निकलने तक आपको निचोड़ने को अपना अधिकार समझती है. रही बात आपकी पर्सनल ग्रोथ की तो उस बात को तेल लेने के लिए भेज दिया जाता है. जब आप ऑफ़िस में एक्स्ट्रा ऑवर्स में बैठते हैं तो कोई ध्यान नहीं देता, एक दिन थोड़ा जल्दी या फिर टाइम पर निकल कर देखिए, लोग अपनी-अपनी घड़ी देखने लग जाएंगे. लगातार दो-तीन दिन ऐसा करने पर एक्स्ट्रा काम पकड़ा दिया जाएगा.
कपोल कल्पना क्रमांक तीन: मेरा काम है काम करना, रुपए-पैसे का मामला कंपनी देख लेगी
जब हम नई-नई नौकरी जॉइन करते हैं तो इतने उत्साहित होते हैं कि रुपए-पैसे के बारे में नहीं सोचते. यह मानकर चलते हैं कि जब अच्छे से काम करेंगे तब कंपनी अच्छा ग्रोथ देगी. आपको अपने काम से प्यार होता है. आप वह दिल लगाकर करते हैं. पर धीरे-धीरे आपको रियलाइज़ होने लगता है कि कंपनी को अपने पैसे से प्यार होता है. वह किसी भी क़ीमत पर उन्हें बचाने की कोशिश करती है. संक्षेप में कहें तो आपको जल्द से जल्द इस बात को समझ लेना चाहिए कि आप पैसे के लिए काम कर रहे हैं. और आपको इस मामले में कंपनी पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहिए. अपने हक़ के पैसे के लिए आपको खुलकर बात करनी चाहिए. अगर यहां आपको अपने काम की सही क़ीमत न मिल रही हो तो जॉब चेंज करने का विकल्प खुला रखें. कंपनी के लिए ज़रूरत से ज़्यादा लॉयल्टी ठीक नहीं.
कपोल कल्पना क्रमांक चार: मेरे कलीग्स सबसे अच्छे हैं. मेरे ऑफ़िस में ऑफ़िस पॉलिटिक्स की कोई जगह नहीं है
यह भी बड़ी भारी वाली कपोल कल्पना है. यह इंसानी फ़ितरत का नतीजा ही है कि, जहां दो से ज़्यादा लोग एकजुट होकर काम करना शुरू करते हैं, वहां दबे पांव राजनीति भी दाख़िल हो जाती है. हर ऑफ़िस में पॉलिटिक्स होती ही है. जब तक आप इसके बेनिफ़िशरी होते हैं, आपको अंदाज़ा नहीं होता, पर जैसे ही दूसरी ओर पहुंचते हैं बुरी तरह रियलाइज़ होता है. ऐसे में आपके पास इस खेल से बच निकलने का कोई रास्ता नहीं होता. आप ऑफ़िस में तभी सर्वाइव कर सकते हैं, अगर आप इस खेल के थोड़े गुर सीख लें.
कपोल कल्पना क्रमांक पांच: पांच‌ दिन जमकर काम, वीकएंड्स पर ख़ूब आराम
जैसे ही आपको बताया जाता है कि आप फ़ाइव डे वीक वाली कार्यप्रणाली का हिस्सा बनने जा रहे हैं, आप ख़ुशी के मारे फूले नहीं समाते. ये तो स्कूल-कॉलेज से भी ज़्यादा छुट्टी है. पर कुछ ही महीनों में आपकी यह ग़लतफ़हमी फुस्स हो जाती है. पांच दिन शाम का सूरज तक नहीं देख पाने के बाद आप शनिवार को देर तक सोते हैं. दिन में उठकर हफ़्तेभर के काम निपटाते हैं. संडे भी ज़रूरी कामों को फटाफट निपटाने में बीत जाता है. और आ जाती है संडे शाम. जिसकी कल्पना आपको यह आर्टिकल पढ़ते हुए भी डरा देगी. फिर मंडे ब्लूज़ के साथ आप अगले पांच दिन पिसने के लिए ऑफ़िस पहुंच जाते हैं.
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