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एक्सपर्ट्स का दावा, कोरोना काल में आत्महत्या की घटनाएं बढ़ने की वजह क्या है जानें

Triveni
7 Nov 2020 12:37 PM GMT
एक्सपर्ट्स का दावा, कोरोना काल में आत्महत्या की घटनाएं बढ़ने की वजह क्या है जानें
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कोरोना वायरस महामारी के चलते आत्महत्या की घटनाएं बढ़ने लगी हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं, लेकिन मुख्य कारण अवसाद और तनाव है।

जनता से रिश्ता वेब्डेस्क| कोरोना वायरस महामारी के चलते आत्महत्या की घटनाएं बढ़ने लगी हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं, लेकिन मुख्य कारण अवसाद और तनाव है। तनाव एक मानसिक विकार है। इस बीमारी में व्यक्ति नकारात्मक और काल्पनिक दुनिया में जीने लगता है। जहां केवल और केवल अंधेरा छाया रहता है। जबकि व्यक्ति पूरी तरह से हताश और निराश हो जाता है। उसके मन मस्तिष्क में केवल नकारात्मक विचार उमड़ते रहते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो इसका इलाज संभव है। अगर इलाज में लापरवाही बरतते हैं, तो खतरनाक साबित हो सकता है। इस बीमारी से बाहर निकलना आसान नहीं होता है। व्यक्ति को अंदर से बेहद मजबूत होना पड़ता है। व्यक्ति को सोशल सक्रियता बढ़ानी चाहिए। फ़िलहाल मानसिक बीमारी की कोई जांच उपलब्ध नहीं है। इसके लिए जागरूकता और अपनापन ही सुरक्षा कवच है। अगर आप भी कोरोना काल में मानसिक तनाव महसूस कर रहे हैं, तो अपने परिवार के सदस्य अथवा डॉक्टर से जरूर परामर्श लें। आइए स्वास्थ्य विशेषज्ञ से जानते हैं कि कोरोना काल में आत्महत्या की घटनाएं बढ़ने की वजह क्या है-

डॉ ज्योति कपूर, सीनियर साइकेट्रिस्ट, पारस हॉस्पिटल, गुरुग्राम का कहना है कि कोरोना काल में मेन्टल हेल्थ बीमारी के केसेस में लगभग दुगना बढ़ोत्तरी हुई है। सायकेट्री ओपीडी में 25% ऑब्सेशन्स के नए केसेस और 50% से ज्यादा केस एंग्जाइटी के हैं। साइकोसोमेटिक मैनिफेस्टेशन (मनोदैहिक अभिव्यक्तियां) भी बढ़ रही हैं। इससे पता चलता है कि कैसे कोरोनोवायरस महामारी हमारी मेंटल हेल्थ पर भारी पड़ रही है। लंबे समय तक आइसोलेशन और सोशल डिस्टेंसिंग के उपायों से पुराने/प्री एक्सिजिस्टिंग मरीजों की कंडीशन ख़राब हो रही है।

यहां तक कि उन मरीजों में भी डिप्रेशन के लक्षण दिख रहे हैं जो पहले नार्मल थे।लेकिन लोग इस स्थिति से उबरने के लिए मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट की मदद ले रहे हैं क्योंकि मेंटल हेल्थ संबंधी चिंताओं के कारण मेंटल हेल्थ के प्रति जागरूकता बढ़ी है और सुशांत सिंह राजपूत की मौत जैसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं ने इस भयावह सच्चाई पर प्रकाश डाला है। इससे यह पता चला है कि कोई भी साइकेट्रिक समस्या से अछूता नहीं है। जब मेंटल हेल्थ की बात आती है तो मरीज फिजिकल एग्जामनेशन से ज्यादा टेली कंसल्टेशन को प्राथमिकता देते हैं। हमारे पास हर दिन 10 से 12 टेलीकॉन्स्लेशन रिक्वेस्ट आ रही हैं।

डॉ श्वेता शर्मा, कंसल्टेंट-क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल, पालम विहार, गुरुग्राम कहना है कि "हमने मेन्टल हेल्थ के केसेस में भारी वृद्धि देखी है। कोरोना काल में मेंटल हेल्थ के केसेस में 80% की वृद्धि हुई है। ज्यादातर मरीज 19 से 40 साल की उम्र के हैं, और उनमे यह समस्या नौकरी जाने, पास में कोविड केस मिलने, और लॉकडाउन के कारण दोस्तों तथा परिवार वालों से न मिल पाने से हुई है। कई लोगों को डर हैं कि कोविड-19 से लड़ने के लिए बनाये गए हाइजीन प्रोटोकॉल से ऑब्सेसिव-कम्पलसिव डिसऑर्डर (OCD) हो सकता है। रिसीव हुए केसेस में ज्यादातर मरीजों को पहले कोई भी मेन्टल हेल्थ समस्या नहीं थी। अनलॉक के बावजूद भी केसेस की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है।"


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