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वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने दावा किया है कि दुनिया भर में बड़ी संख्या में लोगों की मौत का कारण नमक है. WHO की रिपोर्ट में बताया गया है कि जरूरत से ज्यादा नमक कई बीमारियों की वजह बनता है. WHO का लक्ष्य 2025 तक लोगों के खाने से 30 प्रतिशत नमक कम करने का है लेकिन ऐसा होना आसान नहीं लगता. केवल नौ देशों -ब्राजील, चिली, चेक गणराज्य, लिथुआनिया, मलेशिया, मैक्सिको, सऊदी अरब, स्पेन और उरुग्वे ने ही नमक कम खाने के लिए कुछ खास तरह के नियम बनाए हैं.
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि अगर समय रहते जरूरी कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले सात सालों में करीब लाखों लोग इससे जुड़ी बीमारियों से अपनी जान गंवा सकते हैं.
नमक (Salt) में सोडियम होता है जो शरीर के लिए बेहद जरूरी है लेकिन ज्यादा मात्रा में इसका सेवन हृदय रोग, स्ट्रोक और किडनी रोग का खतरा बढ़ा सकता है. इसके अलावा दुनिया भर में हुई कई रिसर्च में सामने आया है कि लंबे समय तक सोडियम की ज्यादा मात्रा लेने से मोटापा, पेट का कैंसर और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों का जोखिम बढ़ता है.
नमक में सोडियम और पोटैशियम दोनों होते हैं. सोडियम इंसान के शरीर में पानी का सही लेवल बनाने से लेकर ऑक्सीजन और पोषक तत्व सभी अंगों तक पहुंचाने में मदद करता है. इसी की वजह से हमारा वेस्कुलर और नर्वस सिस्टम ठीक तरह से काम कर पाता है.
भारतीयों के बीच नमक की खपत बढ़ रही है. इसकी वजह हमारा खानपान है. हम आजकल जिस तरह के खानपान का सेवन कर रहे हैं, उसमें नमक ज्यादा होता है. किसी भी व्यक्ति को दिन में पांच ग्राम से ज्यादा नमक नहीं खाना चाहिए लेकिन पूरी दुनिया में लोग हर रोज 10.8 ग्राम नमक का सेवन करते हैं, जो कि एक समय के बाद शरीर में घातक परिणाम देने लगता है और हार्ट अटैक, किडनी, स्ट्रोक, हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारी की वजह बनता है.
भारतीयों के खानपान में जरूरत से ज्यादा नमक कितना खतरनाक हो सकता है, इस बारे में मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट के डायरेक्टर डॉक्टर रोमेल टिकू कहते हैं, ”इसमें कोई शक नहीं है कि नमक कई बीमारियों की वजह है. शॉर्ट टर्म में नमक के ज्यादा इस्तेमाल से धड़कनें तेज होना, प्यास ज्यादा लगना जैसी परेशानियां हो सकती हैं. लॉन्ग टर्म में सोडियम का ज्यादा इस्तेमाल हाइपरटेंशन यानी हाई ब्लड प्रेशर का रिस्क बढ़ाता है जो आगे चलकर स्ट्रोक और अन्य गंभीर हार्ट डिसीस का कारण बन सकता है. हाइपरटेंशन क्रॉनिक किडनी डिजीज का मेन रिस्क फैक्टर है.”
उन्होंने कहा, ”यहां समझने वाली बात ये है कि हमारी डाइट में सोडियम की मात्रा घर के खाने से नहीं बढ़ती है बल्कि बाहर के पैक्ड फूड इसके लिए जिम्मेदार हैं. पैक्ड फूड, फ्रोजन और रेडी टू ईट फूड्स में बहुत नमक होता है. इसलिए इसे सीमित करना जरूरी है. अगर आप पैक्ड फूड खाते हैं तो उसके लेबल पर सोडियम की मात्रा जरूर चेक करें.”
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ टेड्रोस अदनोम गेब्रेयसस के मुताबिक, अनहेल्दी डाइट दुनिया भर में बीमारियों और उनसे होने वाली मौतों का एक प्रमुख कारण है. साथ ही खाने में अधिक सोडियम खाने की वजह से मौत के आंकड़े बढ़े हैं. रिपोर्ट दर्शाती है कि अधिकतर देशों ने अभी तक सोडियम कटौती के लिए कोई खास कदम नहीं उठाए हैं जिसकी वजह से इन देशों के लोगों में हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक, स्ट्रोक जैसी कई स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ रहा है.
डब्ल्यूएचओ ने सभी देशों से इस मुद्दे पर सख्त नीतियां बनाने की अपील करते हुए कहा है कि अगर लोग खाने में नमक का सेवन सीमित करते हैं तो बीमारियों की वजह से वक्त से पहले होने वाली मौतों पर कंट्रोल किया जा सकता है.
आजकल लोगों के बीच साधारण आयोडीन नमक की जगह सेंधा नमक (रॉक सॉल्ट) के इस्तेमाल का ट्रेंड बढ़ने लगा है. भारत में पहले लोग सिर्फ व्रत में सेंधा नमक खाते थे लेकिन अब रोज के खाने में भी इसका इस्तेमाल होने लगा है.
इस पर डॉक्टर रोमिल ने बताया, ”रॉक सॉल्ट में साधारण नमक की तुलना में ज्यादा मिनरल्स होते हैं क्योंकि इसे बनाने के लिए केमिकल प्रक्रिया का इस्तेमाल नहीं होता है. इसमें मैग्नीशियम, सल्फर, कैल्शियम, पोटैशियम और जिंक जैसे तत्व पाए जाते हैं जो हड्डियों, मांसपेशियों, पाचन और ब्लड प्रेशर से जुड़ी कई समस्याओं को दूर रखते हैं. लेकिन इसे साधारण नमक की जगह देना काफी मुश्किल है और ऐसा भी नहीं है कि इसमें सोडियम नहीं पाया जाता है.”
रिसर्च के मुताबिक एक चम्मच रॉक सॉल्ट में लगभग 1,680 मिलीग्राम सोडियम होता है जो साधारण नमक में पाई जाने वाली सोडियम की मात्रा से थोड़ा ही कम है. इसलिए कोशिश यह करनी चाहिए कि आप ओवरऑल अपने खाने में नमक के सेवन को सीमित करें. सेंधा नमक लॉन्ग टर्म सॉल्यूशन नहीं है. हमें इसके लिए परमानेंट सॉल्यूशन ढूंढना होगा.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन का कहना है कि लोग अपने खाने में कम नमक का सेवन करें, इसके लिए उन्हें जागरूक करना सबसे जरूरी है. ज्यादा नमक खाने की आदत बदलने के लिए कैंपेन और अवेयरनेस प्रोग्राम चलाने चाहिए. सार्वजनिक संस्थानों जैसे अस्पतालों, स्कूलों, दफ्तरों में भी ज्यादा सोडियम वाले खाद्य पदार्थों की बिक्री को सीमित करने के लिए नीतियां अपनानी चाहिए और कम सोडियम वाले खाद्य पदार्थों की उपलब्धता बढ़ानी चाहिए.
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, पैक्ड फूड में नमक कम करने के साथ क्वांटिटी के बारे में बताना चाहिए ताकि खरीदने वाला आसानी से पढ़ और समझ सके कि वो कितना नमक खा रहा है. साथ ही ऐसा करने से लोगों के लिए कम सोडियम वाले फूड्स का चुनाव करने में भी आसानी होगी और इस तरह वो ज्यादा नमक के सेवन से बचेंगे.
अगर आप भी अपनी डाइट में सोडियम की मात्रा कम करना चाहते हैं तो नमक का इस्तेमाल सीमित कर दें. खाना बनाते समय भी कम नमक का इस्तेमाल करें.
भारतीय खानपान में अक्सर नमक की मात्रा पहले से काफी ज्यादा होती है. जबकि कई लोगों को तेज नमक खाने और भोजन के ऊपर नमक छिड़कने की आदत होती है. अगर आपके साथ भी ऐसा है तो आपको इसे तुरंत बदल लेना चाहिए.
खाने में ऊपर से नमक डालकर खाना बिलकुल भी सही नहीं है. इसकी वजह से नर्वस सिस्टम, हार्ट और किडनी से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं. खाने के साथ पका हुआ नमक ऊपर से छिड़के हुए नमक से ज्यादा बेहतर होता है. सलाद में नमक की जगह नींबू निचोड़कर डालें जिससे आपको नमक की कमी महसूस नहीं होगी और उसका जायका भी बढ़ जाएगा.
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Apurva Srivastav
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