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हिन्दी कैलेंडर के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है।
हिन्दी कैलेंडर के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस वर्ष मोहिनी एकादशी 23 मई दिन रविवार को है। मोहिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को दुख औ कष्ट से मुक्ति मिलती है। साथ ही जो व्रत रखता है, वह बुद्धिमान और लोकप्रिय होता है। उसके प्रभुत्व और व्यक्तित्व बढ़ता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है। जागरण अध्यात्म में आज हम जानते हैं कि मोहिनी एकादशी व्रत की तिथि, मुहूर्त और पारण का समय क्या है? आइए जानते हैं इसके बारे में।
मोहिनी एकादशी व्रत तिथि एवं मुहूर्त
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 22 मई दिन शनिवार को सुबह 09 बजकर 15 मिनट पर हो रहा है। इस तिथि का समापन 23 मई को प्रात: 06 बजकर 42 मिनट पर होगा। एकादशी की उदया तिथि 23 मई को प्राप्त हो रही है, ऐसे में मोहिनी एकादशी का व्रत 23 मई को रखा जाएगा। इस दिन ही फलाहार करते हुए व्रत रहना है और भगवान विष्णु की पूजा करनी है।
मोहिनी एकादशी व्रत का पारण समय
जो लोग मोहिनी एकादशी का व्रत रखेंगे, वे लोग अगले दिन 24 मई दिन सोमवार को प्रात: 06 बजकर 01 मिनट से सुबह 08 बजकर 39 मिनट के मध्य पारण कर सकते हैं। पारण से पूर्व स्नान आदि से निवृत होकर भगवान विष्णु की पूजा करें। उसके बाद ब्राह्मणों को दान दें और फिर भोजन ग्रहण करके व्रत को पूरा करें।
मोहिनी एकादशी व्रत का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनसुार, वैशाख शुक्ल एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार धारण किया था। समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश को जब राक्षस लेकर भागने लगे, तब मोहिनी रुप धारण कर श्रीहरि ने उस अमृत कलश की राक्षसों से रक्षा की थी। ऐसी भी मान्यता है कि सीता जी के वियोग में दुखी भगवान राम ने भी मोहिनी एकादशी का व्रत रखा था, जिसके प्रभाव से उनको उस दुख से मुक्ति मिली। ऐसे ही द्वापर युग में युधिष्ठिर ने भी अपने कष्टों से मुक्ति के लिए मोहिनी एकादशी का व्रत रखा था।
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