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- मिर्गी, चिंता से नहीं...
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मिर्गी रोग एक तरह का न्यूरोलॉजिकल डिस्ऑर्डर है जिसका इलाज संभव है. लेकिन जागरूकता की कमी के कारण अधिकतर मरीज इलाज नहीं कराते हैं. मिर्गी का दौरा लगभग दो से तीन मिनट के लिए पड़ता है. उस दौरान मरीज के मुंह से झाग निकलता है, शरीर अकड़ जाता है, झटका महसूस होता है, दांत भिंच जाते हैं. मिर्गी का दौरा एक दिन के बच्चे से लेकर सौ साल के बुज़ुर्ग तक को पड़ सकता है. यह रोग आंशिक और पूर्ण दो तरह का होता है. आंशिक मिर्गी में मस्तिष्क का एक भाग और पूर्ण मिर्गी में मस्तिष्क के दोनों भाग प्रभावित होते हैं.
नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ हेल्थ की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत में कुल जनसंख्या का एक प्रतिशत भाग अर्थात कुल 1.3 करोड़ लोग मिर्गी से पीड़ित हैं. वहीं पूरे विश्व में लगभग 6 करोड़ लोगों को मिर्गी अपना शिकार बना चुकी है. भारत में यह बीमारी शहरों की अपेक्षा ग्रामीण इलाक़ों में अधिक पाई जाती है. एनआईएच के आंकड़ों के अनुसार इसका प्रतिशत 1.9 है. मिर्गी में पीड़ित को होश और बेहोशी दोनों हालत में झटके आते हैं, जिसकी वजह से कुछ समय के लिए उसकी याददाश्त चली जाती है. यदि किसी रोगी में 3 बार से अधिक झटकों की हिस्ट्री मिलती है, तो उसे मिर्गी का रोगी कहा जाता है.
60 प्रतिशत मिर्गी पीड़ितों को इस रोग के होने की वजह का पता नहीं होता है, जबकि 40 प्रतिशत रोगियों में सिर की चोट, दिमाग़ का इंफ़ेक्शन, दिमाग़ का विकास ठीक से न होना, दिमाग़ में रक्त स्राव होना या ऑक्सिजन की कमी होना, दिमाग़ में ट्यूमर,अल्ज़ाइमर डिज़ीज़ और रक्त में शुगर, कैल्शियम, मैग्नीशियम और हिमोग्लोबिन की कमी के कारण होता है.
बचाव एवं उपचार
पोषक आहार लें.
धूप में निकलते समय धूप के चश्में पहनें एवं शरीर को ढक के रखें.
रात में पर्याप्त मात्रा में नींद लें.
ओमेगा-3 फ़ैटी एसिड से भरपूर भोजन लें, जैसे-अलसी के बीज, अखरोट, मछली, अंकुरित धान आदि.
रोज़ाना नाश्ता करना ना भूलें.
बहुत ठंडे या गर्म पानी से न नहाएं.
कुनकुना पानी पिएं.
तेल के स्थान पर कुछ साल पुराना गाय का घी प्रयोग करें.
सोते समय एवं सुबह नाक में पोषक तेल या घी डालें, जैसे बादाम का तेल, गाय का घी, अणु का तेल आदि.
किसी अच्छे आयुर्वेद विशेषज्ञ की निगरानी में वचा, शंखपुष्प, कुष्मांड (पेठा) मुलैठी जटामांसी, तगर और ब्राह्मी आदि आयुर्वेदिक दवाओं का प्रयोग करें.
उदसलीव, शुद्ध हींग आदि दवाओं को गले में लटकाने से भी मिर्गी के रोगियों को लाभ होता है.
माना कि मस्तिष्क या दिमाग़ हमारे शरीर की सर्वशक्तिमान शक्ति है जो सभी अंगों को नियंत्रित करता है, लेकिन हृदय के बिना अपाहिज है. हृदय के द्वारा ही मस्तिष्क में रक्त पहुंचता है, जो उसे पोषण प्रदान करता है. यदि हम चाहते हैं कि दिमाग़ अपना कार्य सुचारू रूप से करता रहे तो हृदय को स्वस्थ रखना होगा. इसलिए मिर्गी के रोगी को हॉर्ट टॉनिक, पार्थयारिष्ट और ख़ून बढ़ाने वाले हिमाटेनिक्स दें, ताकि मस्तिष्क को अच्छा पोषण एवं ऑक्सिजन मिले और वह अपना काम सुचारू रूप से करता रहे.
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Kajal Dubey
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