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ब्लड प्रेशर हाई रहता हो या लो, दोनों ही समस्याएं सेहत के लिए सही नहीं। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि ये लाइलाज बीमारियां हैं।
ब्लड प्रेशर हाई रहता हो या लो, दोनों ही समस्याएं सेहत के लिए सही नहीं। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि ये लाइलाज बीमारियां हैं। हेल्दी लाइफस्टाइल और खानपान से काफी हद तक इसे कंट्रोल में रखा जा सकता है। ब्लड प्रेशर (बीपी) नियंत्रित करने को लेकर एक नया अध्ययन किया गया है। जिसका दावा है कि सेब, नाशपाती और जामुन के सेवन से न सिर्फ ब्लड प्रेशर के स्तर को मेनटेन किया जा सकता है बल्कि कई प्रकार के गट बैक्टीरिया में भी व्यापक सुधार हो सकता है। इस तरह के फलों में भरपूर मात्रा में फ्लेवोनाइड मौजूद होता है। यह तत्व एंटी-इंफ्लेमेटेरी होता है, जो सेल्स (कोशिकाओं) को डैमेज होने से बचाता है।
माइक्रोबायोम का भूमिका
हाइपरटेंशन पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, फ्लेवोनाइड से भरपूर खाद्य पदार्थों का सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर से 15.2 फीसद संबंध पाया गया है। शोधकर्ताओं ने अध्ययन के आधार पर बताया कि रोजाना करीब 125 ग्राम जामुन खाने से सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर कम हो सकता है। उत्तरी आयरलैंड की क्वींस यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल फूड सिक्योरिटी की शोधकर्ता एडिन कासिडी ने कहा, इसमें गट माइक्रोबायोम की अहम भूमिका होती है। इस अध्ययन से यह जाहिर होता है कि रोजाना के खानपान में आसान बदलावों के जरिए ब्लड प्रेशर को कम करना कोई मुश्किल काम नहीं।
क्या है मक्रोबायोम
पाचन तंत्र में विविध प्रकार के बैक्टीरिया पाए जाते हैं। इन्हें माइक्रोबायोम कहते हैं। शोधकर्ताओं ने अध्ययन में फ्लेवोनाइड से भरपूर खानपान की चीज़ों का बीपी के साथ ही गट माइक्रोबायोम से संबंध पर भी गौर किया। पहले हुई रिसर्च से भी यह बात सामने आ चुकी है कि फ्लेवोनाइड के इस्तेमाल से हृदय रोग के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
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