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पपीता ऐसा फल है जिसे हम कई रूपों में काम में ला सकते हैं। इसे खाते रहने से हम बहुत से रोगों से बचे रहते हैं। इसके गुण हमारे लिए लाभदायक हैं।
पपीते के फल को नियमित रूप से प्रतिदिन खाली पेट खाते रहने से सौदर्यं में निखार आता है। इसका गूदा चेहरे पर प्रतिदिन रगड़ कर धो डालने से मुंहासे, झाइयां आदि दूर होकर सुंदरता निखरती है। इससे त्वचा पर सुकुमारता और कांति आती है। सौंदर्य वृद्धि का यह सस्ता उपाय है। दाद, खुजली तथा अन्य चर्म रोगों पर कच्चे पपीते का ताजा रस (दूध) कुछ दिनों तक लगातार लगाते रहने से उनसे मुक्ति पा सकते हैं। चर्म रोगों को जड़ से मिटाने में यह दूध काफी गुणकारी है।
पेट के रोग, तिल्ली आदि में खाली पेट पका हुआ ताजा पपीता खाना चाहिए। इससे आमाशय और आंतें साफ हो जाती हैं और पाचन संस्थान ठीक से काम करने लगता है। पेट में कीड़े पड़ जाने पर या निरंतर अजीर्ण की स्थिति बने रहने पर कच्चे पपीते का रस लेने से पेट के कीड़े और अजीर्ण नष्ट हो जाते हैं।
रक्ताल्पता की वजह से अधिकांश स्त्रियों के स्तनों में दूध कम हो जाया करता है। ऐसी महिलाओं को ताजे, पके हुए पपीते लगातार दस-पंद्रह दिन तक खिलाना चाहिए। इससे दूध बढ़ेगा और रक्त की कमी तथा अन्य उदर रोग भी नष्ट होंगे। बच्चों के यकृत के बढ़ जाने पर पपीते का रस 5-7 बूंद चीनी के साथ मिलाकर दिन में तीन बार देते रहना चाहिए। यकृत रोगों, पीलिया, वात व्याधि में पपीते का रस 5 से 10 बूंद तक बताशे में रखकर खाना बहुत फायदेमंद रहता है।
कच्चे पपीते की सब्जी तथा रायता खाने से अजीर्ण, आंतों के रोग और कृमि नष्ट होते हैं। पपीते का हलुवा वजन और बल बढ़ाने में एक चमत्कारिक औषधि की तरह काम करता है। पपीता पचने में हल्का और काफी पौष्टिक होता है। जिन्हें कच्चा पपीता खाने में रूचिकर नहीं लगता, वे जरा सा सेंधा नमक, काली मिर्च छिड़क कर खाएं। कुछ स्थानों को छोड़कर आज भी पपीता एक सस्ता, सुलभ और लोकप्रिय फल है।