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मासिक चक्र को नियमित बनाने के लिए खाएं सौंफ

Neha Yadav
31 Jan 2023 11:45 AM GMT
मासिक चक्र को नियमित बनाने के लिए खाएं सौंफ
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सौंफ की पत्तियों में खांसी संबंधी परेशानियां जैसे दमा व ब्रोन्काइटिस को दूर रखने की भी क्षमता होती है।
हरी और कुरकुरी सौंफ हम सभी मुखवास के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। यही सौंफ सेहत के लिए भी खासी गुणकारी है। आइए जानते हैं इसके ऐसे 17 फायदे जो सेहत के लिए अनमोल हैं।
सौंफ में विटामिन सी की जबर्दस्त मात्रा है और इसमें आवश्यक खनिज भी हैं जैसे कैल्शियम, सोडियम, फॉस्फोरस, आयरन और पोटेशियम।
1. पेट की बीमारियों के लिए यह बहुत प्रभावी दवा है जैसे मरोड़, दर्द और गैस्ट्रिक डिस्ऑर्डर के लिए।
2. सौंफ आपकी याददाश्त बढ़ाती है।
3. सौंफ का नियमित सेवन दृष्टि को तेज करता है। 5-6 ग्राम सौंफ रोज लेने से लीवर और आंखों की ज्योति ठीक रहती है।
4. सिंकी हुई सौंफ मिश्री के साथ खाने से आवाज तो मधुर होती ही है यह खांसी भी भगाती है।
5. अगर आप चाहते हैं कि आपका कोलेस्ट्रॉल स्तर न बढ़े तो खाने के लगभग 30 मिनट बाद एक चम्मच सौंफ खा लें। सौंफ कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रण में रखती है।
6. सूखी, रोस्टेड और कच्ची सौंफ को बराबर मात्रा में मिला लें। इसे खाने के बाद खाएं। इससे पाचन क्रिया बेहतर रहेगी और आप हल्का महसूस करेंगे।
7. अगर आप एक चम्मच सौंफ 2 कप पानी में उबाल लें और इस मिश्रण को दिन में दो-तीन बार लें तो आपकी आंतें अच्छा महसूस करेंगी और खांसी भी लापता हो जाएगी।
8. सौंफ की पत्तियों में खांसी संबंधी परेशानियां जैसे दमा व ब्रोन्काइटिस को दूर रखने की भी क्षमता होती है।
9. सौंफ को अंजीर के साथ खाएं और खांसी व ब्रोन्काइटिस को दूर भगाएं। कफ और खांसी के इलाज के लिए सौंफ खाना उपयोगी है।
10. मासिक चक्र को नियमित बनाने के लिए सौंफ खाएं।
11. अपच संबंधी विकारों में सौंफ बेहद उपयोगी है। बिना तेल के तवे पर सिंकी हुई सौंफ और बिना सिंकी सौंफ को मिलाकर लेने से अपच के मामले में बहुत लाभ होता है।
12. दो कप पानी में उबली हुई एक चम्मच सौंफ को दो या तीन बार लेने से अपच और कफ की समस्या समाप्त होती है।
13. अस्थमा के उपचार में सौंफ कमाल की सहायक है।
14. गुड़ के साथ सौंफ खाने से मासिक धर्म नियमित होता है।
15. यह शिशुओं के पेट और उनके पेट के अफारे को दूर करने में बहुत उपयोगी है।
16. एक चम्मच सौंफ को एक कप पानी में उबलने दें और 20 मिनट तक इसे ठंडा होने दें। इससे शिशु के कॉलिक का उपचार होने में मदद मिलती है। शिशु को एक या दो चम्मच से ज्यादा यह घोल नहीं देना चाहिए।
17. सौंफ के पावडर को शकर के साथ बराबर मिलाकर लेने से हाथों और पैरों की जलन दूर होती है। भोजन के बाद 10 ग्राम सौंफ लेनी चाहिए।
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