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बेटी हो जाती है मां से दूर
टीनएज मां और बेटी दोनों के लिए एक नया लर्निंग एक्सपीरियंस हो सकता है। टीनएज में आपके शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं जिनके कारण कई तरह की भावनाएं मन में चलती रहती है। ऐसे में अधिकतर मां के साथ बहस करना या उनके सामने गुस्सा दिखाना आम बात बन जाती है। इस दौरान पीरियड्स के कारण भी चिड़चिड़ाहट होना लाजमी है। अधिकतर बच्चे खुद को पहचान रहे होते हैं और समझने की कोशिश करते हैं।
मां-बेटी के रिश्ते को समझना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। लड़कों से परे लड़कियां इस दौरान बहुत ज्यादा इमोशनल होती हैं। ऐसे समय में हेल्दी रिश्ता वही होगा जिसमें प्यार और आदर के साथ दोस्ती की भावना भी हो। मां और बेटी के रिश्ते में अधिकतर कुछ ऐसी समस्याएं आ जाती हैं जिन्हें आसानी से सुधारा जा सकता है।
किन कारणों से होते हैं झगड़े?
एक दूसरे को समझने की दिक्कत
बिना सोचे गुस्से में जवाब देना
प्राइवेसी के बारे में ना सोचना
दोस्तों और रिश्तेदारों को लेकर बार-बार टोकना
बहुत ज्यादा स्ट्रिक्ट पेरेंटिंग करना
इनाम से ज्यादा सजा के बारे में सोचना
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झगड़ा करने से पहले दूसरे के बारे में सोचें
मां समय के साथ आगे बढ़ने की कोशिश करती है, लेकिन जरूरी नहीं कि वह जो समझ पाए वो सही ही हो। बेटी जरूरत से ज्यादा मॉर्डन हो सकती है, लेकिन उसे भी मां की भावनाओं को समझना चाहिए कि उसकी मां क्या कहना चाह रही है। ऐसे ही मां को भी यह समझना चाहिए कि बेटी की भावनाएं उसके अपने एक्सपीरियंस के हिसाब से हैं।
एक दूसरे से झगड़ा करने से पहले एक दूसरे की स्थिति को समझने की कोशिश करें। अगर आप ऐसा नहीं करेंगी, तो झगड़े हमेशा बढ़ेंगे।
गुस्से में जवाब देने से बचें
आपको गुस्सा आ रहा है, तो रिएक्ट करने से पहले अपने दिमाग में कम से कम 5 तक गिनें। इस तरीके से गुस्सा शांत हो जाएगा और एकदम से आप कुछ दुखदाई कहने से बचेंगीं। (गुस्सा शांत करने के 5 तरीके)
पर्सनल स्पेस बहुत जरूरी है
हां, मां-बेटी का रिश्ता बहुत करीब होता है, लेकिन पर्सनल स्पेस हमेशा होनी चाहिए। अगर बेटी का बात करने का मन नहीं है, तो मां को कुछ समय उसे अकेला छोड़ देना चाहिए। ऐसे ही अगर मां बहुत परेशान है, तो बेटी को उनका हालचाल पूछकर यह जानने की कोशिश करनी चाहिए कि मां को अकेले रहने का मन है या किसी के साथ की इच्छा है। पर्सनल स्पेस कई बार हीलिंग का एक जरिया बन जाती है।
आप उन इमोशन्स को बाहर निकाल सकती हैं जिन्हें शायद आप किसी के सामने ना कह पाएं।
दोस्तों और रिश्तेदारों की बातों को इग्नोर करें
मैं यह नहीं बोल रही हूं कि आपको हर बात इग्नोर ही करनी है। अगर बेटी की संगत गलत हो रही है, तो आप उसे टोकें। अगर रिश्तेदार आपकी पर्सनल स्पेस को ही खत्म कर रहे हैं या मेंटल हेल्थ पर असर कर रहे हैं, तो आप मां को बताएं, लेकिन हर बात पर ना बोलें। कई बार माता-पिता बच्चों के दोस्तों को बिल्कुल ही नकार देते हैं और बच्चों के लिए बहुत सख्त नियम बना देते हैं। ऐसे में बच्चे ज्यादा स्ट्रेस में आ जाते हैं और इस तरह के नियमों के कारण उन्हें जिंदगी भर दोस्त बनाने में दिक्कत महसूस होती है।
ऐसा ही रिश्तेदारों के साथ होता है। कई बार किसी रिश्तेदार को कारण बेटी की मेंटल और फिजिकल हेल्थ पर भी असर पड़ सकता है। ऐसे में आपको बेटी की भावनाओं को समझना है और आगे बढ़ना है।
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बॉन्डिंग पर ध्यान दें सजा पर नहीं
आपको बेटी के साथ अच्छा बॉन्ड बनाना है, तो आप उसके साथ उसके इंटरेस्ट के हिसाब से समय बिताने की कोशिश करें। हमेशा कोई सख्त नियम बनाकर ही बच्चे को सीख दी जाए यह जरूरी नहीं है। उम्र के इस पड़ाव में जरूरी है कि आप अपनी बेटी को समझें।
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