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लाइफ स्टाइल
लंबे समय तक बैठने से होता हैं ,रीढ़ की हड्डी को ये नुकसान
Kajal Dubey
19 Nov 2021 2:51 AM GMT

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रीढ़ की हड्डी में किसी भी प्रकार की क्षति व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। रीढ़ की हड्डी में किसी भी प्रकार की क्षति व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है. जब ऐसा होता है तो मांसपेशियों में कमजोरी के साथ डिप्रेशन, शरीर के कई हिस्सों में दर्द की शिकायत हो सकती है. कोरोना वायरस के चलते दुनियाभर में वर्क फ्रॉम होम का कल्चर बढ़ गया है. लेकिन इससे लोगों रीढ़ की हड्डी को बहुत ज्यादा नुकसान हो रहा है. आइए जानें क्या कहती है ये रिसर्च.
क्या कहती है रिसर्च
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के शोध से पता चलता है कि रीढ़ की हड्डी में गड़बड़ी एक व्यक्ति को शारीरिक और भावनात्मक दोनों तरह से प्रभावित करती है. पीएमसी लैब में हुए शोध में कहा गया है कि कोविड 19 के दौरान घर से काम करने वाले 41.2 फीसदी लोगों ने पीठ दर्द की शिकायत की है और 23.5 फीसदी लोगों ने गर्दन में दर्द की शिकायत की.
लंबे समय तक बैठने से होते हैं ये नुकसान
पीठ दर्द की शिकायत
लगातार झुकने से रीढ़ की डिस्क सिकुड़ने लगती है. साथ ही कम शारीरिक गतिविधि के कारण रीढ़ के आसपास के लिगामेंट्स कसने लगते हैं. इससे रीढ़ की हड्डी का लचीलापन कम होता है. नतीजतन, लंबे समय तक बैठने से पीठ दर्द होता है.
कमजोर मांसपेशियां
रीढ़ की हड्डी के अत्यधिक फैलाव के कारण पेट के अंदर और आसपास की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं. यह देर तक बैठने के कारण होता है.
गर्दन और कंधे का दर्द
रीढ़ की हड्डी को सिर से जोड़ने वाले सर्वाइकल वर्टिब्रा में तनाव के कारण गर्दन में दर्द होता है. इसके साथ ही कंधे और पीठ की मांसपेशियां भी क्षतिग्रस्त हो जाती हैं.
ब्रेन फॉग में कठिनाइयां
बिना मूवमेंट के, ब्रेन तक पहुंचने वाले रक्त और ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है. सोचने की क्षमता प्रभावित होती है.
बिहेवियर इफेक्ट
लंबे समय तक बैठने से न्यूरोप्लास्टी प्रभावित होती है. न्यूरॉन्स की एक्टिविटी भी कमजोर होती है, जिससे व्यक्ति भावनात्मक रूप से कमजोर हो जाता है और डिप्रेशन बढ़ता है.
रीढ़ की हड्डी की बीमारी के प्रमुख कारण
- स्पाइन यूनिवर्स के अनुसार, लंबे समय तक बैठे रहने से ग्लूट्स में रक्त संचार बाधित होता है. ग्लूट्स रीढ़ की हड्डी को सहारा देने वाली प्रमुख मांसपेशियां हैं.
- बैठने के दौरान झुकने और मुड़ने से रीढ़ के लिगामेंट्स और डिस्क पर तनाव बढ़ जाता है. इससे कंधे, गर्दन और पीठ में दर्द होने लगता है. इसे पुअर पोस्चर सिंड्रोम कहते हैं.
- जब आप किसी स्क्रीन को लंबे समय तक देखते हैं और उसे देखने के लिए अपना सिर बार-बार झुकाते हैं, तो रीढ़ की हड्डी पर खिंचाव होता है, जो रीढ़ की डिस्क को सिकुड़ने लगती है.
इस तरह बच सकते हैं रीढ़ की हड्डी के नुकसान से
अगर आपका काम लगातार बैठने का है तो आप हर घंटे 6 मिनट की वॉक करें. इससे रीढ़ की हड्डी को होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है. इसके अलावा चाइल्ड पोज, कैट और काउ पोज जैसे योगासन रोजाना करें. यदि रीढ़ की हड्डी में दर्द बढ़ जाए तो डॉक्टर से सलाह लें.
रीढ़ की हड्डी को ऐसे रखें स्वस्थ
मुंबई के लीलावती अस्पताल के सलाहकार स्पाइन सर्जन डॉ विनोद अग्रवाल बता रहे हैं स्पाइन को स्वस्थ रखने का तरीका.
मांसपेशियों को करें मजबूत
रीढ़ की हड्डी की मजबूती के लिए पेट और पीठ की मांसपेशियों का मजबूत होना बहुत जरूरी है. ये मांसपेशियां रीढ़ को संतुलित और मजबूत बनाती हैं. वे जितने मजबूत होंगे, रीढ़ पर पड़ने वाले भार का दबाव उतना ही कम होगा.
ब्रिज एक्सरसाइज
जमीन पर लेट जाएं. पंजों पर जोर रखते हुए कूल्हों को ऊपर उठाएं और शरीर को एक सीध में बना लें. 10 से 15 सेकंड के लिए रुकें. 15 मिनट के तीन सेट करें. हर सेट के बीच एक मिनट का गैप रखें. इस ब्रिज एक्सनरसाइज से कूल्हों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं. जिससे रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है और इन पर दबाव कम पड़ता है.
बाल मुद्रा योग
अपने पैर की उंगलियों पर बैठो. हथेलियों को फर्श के पास रखें. सांस लेते हुए इस स्थिति में 1 से 2 मिनट तक रहें. सांस लेते हुए वापस पूर्व स्थिति में आ जाएं. इससे शरीर और रीढ़ में रक्त परिसंचरण में सुधार, जांघों, कूल्हों और टखनों को मजबूत करता है. रीढ़ की हड्डी की मांसपेशियां मजबूत होती हैं.
वॉक
टीवी देखते समय बीच-बीच में टहलें. इससे मांसपेशियों की अकड़न कम होती है. लचीलापन बढ़ता है.
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