- Home
- /
- लाइफ स्टाइल
- /
- सपनें टूट ना...
x
लाइफस्टाइल: कुछ दिनों से अपनी प्रिय सखी से बात नहीं हुई थी,वह खुद ही अक्सर फोन किया करती थी,मुझे अजीब लग रहा था,सोचा कि मिल लेती हूँ.. मायके गई थी,पता चला वह भी आई हुई है,मेरी प्यारी नटखट सहेली..इतनी शांत कैसे हो गई है,,शादी क्या इतना बदल देती है,सबको..सिर्फ दो साल में,,बदली तो मैं भी हूँ, पर मैं शांत से चुलबुली सी हो गई हूँ. खैर, जब उससे बात की,तो उसने कहा..कि वह कभी भी संयुक्त परिवार में शादी नहीं करना चाहती थी,इसीलिए.. ढेरों अमीर रिश्ते छोड़ कर उसने समीर को चुना जो कि बैंक की नौकरी के चलते घर से बाहर रहता था.साधारण परिवार था,सोचा था मैं इतनी पढ़ी लिखी हूँ, खूब खुश होंगे.. मान सम्मान मिलेगा.. संयुक्त परिवार में सबको लड़ते झगड़ते देख उसने ये फैसला लिया था.उसने सोचा था कि वह दिल से कुछ भी करेगी,तो सब खुश होंगे, कि देखो इतने अच्छे परिवार से है.फिर भी विषम परिस्थितियों में काम कर रही है.नखरे नहीं है..।ऐसा उसने अपने घर में भी देखा था.जब माँ उसकी पढ़ी लिखी भाभी की हर बात की तारीफ करती.उन्हें कष्ट न होने देती.जबकि वे अत्यंत साधारण परिवार से थी.पर माँ तो उनके प्रयासों की ईमानदारी से ही खुश हो जाती थी पर यहाँ सब उल्टा पढ़ गया.घर तो कमतर मिला ही,ऊपर से सबके नखरे हजार.पहली बार में ही सास ननद, जेठानी का मनमुटाव समझ में आ गया.उनका ये रुप देख घबरा कर दस दिनों में ही मायके लौट आई.बताती..जिसके पास जाती..वो काम से आगे कोई बात जानता था..या सिलाई बुनाई,कढ़ाई की बातें.. या बुराइयाँ.. बस।ऊपर से समीर ऐसा व्यवहार करता जैसे शादी नहीं चोरी करके लाया हो|रात में ही आता कमरे में,सबके सोने के बाद...सुबह मुझे उठाकर भगा देता सबके उठने के पहले.घरवालों के सामने बात ना करता.एक दिन सात बजे नींद खुली.सासु माँ बुरी तरह दरवाजा पीट रही थी.बुरे-बुरे तानों के साथ. वह दिन है..और आज का दिन.. तब से ससुराल में कभी चैन की नींद नहीं आईं. डर के कारण..कि फिर ज्यादा सो गई तो।और भी बातें थी..क्या क्या सुनाऊं..कोई मेरी नहीं सुनता था..सब अपनी ही सुनाने में लगे रहते।उसको बहुत चोट पहुंची थी..दिल पर। अपनी बातों में उसने बताया कि मैं भी तो सपने लेकर आई हूँ।ये बात हर गुजरती रात के साथ धूमिल होती जा रही है।रात इसलिए कहा,क्योंकि ये सपने तो रात को ही देखे जाते है ना,कहने को तो मैं अलग रहती हूँ, सास ससुर से..पर ऐसा लगता नहीं है।कहते है,नयी नयी शादी में थोड़ा समय देना चाहिए, एक दूसरे को।समीर कुछ समझता ही न था।समीर हर बात के लिए इतना क्यों सोचता है..घर जाने का प्लान मुझे बिना बताए बना लेता है।
एक महीना भी नहीं हुआ,था..मुझे आए..पर हर पंद्रह में चार पांच घंटों का सफर करके ससुराल जाना और फिर दो तीन दिन में वापस आना..।वहां जाकर समीर का बिल्कुल ही बदल जाना।पत्नी से ऐसे बात करना,मानों कोई पराई नार हो।क्या हो जाता है,तुम्हें समीर।मैं तुम पर भावनात्मक रुप से निर्भर हूँ, तुम मुझे अभी से ये किस प्रतियोगिता का हिस्सा बना रहे हो।मैं सब समझती हूँ.. कि कहीं मैं पिछड़ ना जाऊं.. इस सुघड़ सुशील बहू प्रतियोगिता में...इसीलिए बार बार.. ये साबित करना जरुरी है..कि देखों तुम्हारी पत्नी कितनी सुयोग्य है।दो तीन दिन में ही आठ दिन का काम करके चली जाती है।ये हर पंद्रह दिनों में सास ससुर की सेवा में हाजिर होती है।दूसरो की पढ़ी लिखी पत्नियों का नाम लिया करता..देखों ना यहां आकर कितनी बदल जाती है,घूंघट में काम किए जाती है,पर वह यह नहीं जानता था,कि उनके घर का माहौल अलग था,और घर भी।ये प्रिया पहली बार में ही सब परख आई थी।उसने आगे बताया कि मैं भी तुम्हारे लिए(समीर) सब किए जाती हूँ.. पर एक बात मुझे समझ नहीं आती..कि समीर.. ये सुयोग्य बहू प्रतियोगिता मेरे लिए ही क्यों है..तुम्हारी बहन क्यों अपने ससुराल नहीं जाती..ये प्रतियोगिता करने..क्योंकि जब भी मैं वहाँ जाती हूँ.. वह मुझे वहीं मिलती है।मैं और जेठानी जी होते है..हाजिर सबकी सेवा में।मैं सच कहती हूँ.. मुझे लग रहा है..जेठानी जी का मानसिक संतुलन थोड़ा गड़बड़ाने लगता है..कभी कभी।वे इतना काम करती है..कि गड़बडिय़ां करने लगती है।आपको पता है..जबसे उन्होंने अपना गर्भ खोया है..तभी से ये हालत है..उनकी।अब मुंह ना खुलवाना.. आप भी जानते हो,किसकी सेवा में दिनरात खटती थी वे..गर्भावस्था में इतना काम..और ऊपर से मानसिक कष्ट भी।कैसे झेलेगा कोई।
आप मुझे भी इन सबका हिस्सा बनाना चाहते हो।मैं खुद एक अच्छी बहू का सपना लिए आई थी..पर ये सब एकतरफा नहीं होता समीर।तुम्हारे लिए कितनी बार मैं तुम्हें छोडकर यहां (ससुराल)रही..जब हमारी शादी के कुछ ही दिन हुए थे।एकदम विपरीत परिस्थितियों में,अजीबोगरीब माहौल में..मेरा परीक्षण किया जा रहा था..मैं तुम्हें खुश करने के लिए हर परीक्षा का हिस्सा बनी,पर समीर एक बार तो कोई मुझे सराह देता, मैं प्रेम की भूखी थी,ताने और उलाहनों की नहीं.. ये कैसा रिवाज है,कि बहू को दूसरों के सामने शर्मिंदा करो।इन घटनाओं की बार बार पुनरावृत्ति होती रही,मैं ससुराल जाती रही,धीरे धीरे मैंने महसूस किया,मेरा स्वास्थ्य बार बार खराब हो रहा था,मानसिक रुप से परेशान रहने लगी थी,चीजे भूलने लगी थी,मैं वही लड़की थी,जो अत्यंत मेधावी थी,जिसकी सभी सराहना करते थे,वो मैं ही थी,जो ज्वंलत समस्याओं पर भाषण दिया करती थी,अब मुंह से आवाज नहीं आती थी,क्या हुआ था मुझे? सब समझ रही हूँ, मैं..ताकि तुम्हारी नाक ऊंची हो सके।तुम्हें मेरी भावनाएँ क्यों नहीं दिखाई देती।मैं नई नवेली दुल्हन कुछ अधखुले सपने लेकर आई थी..तुम्हारे पास.. जो सपने मुकुलित ही ना हो पाए।तुमने मेरी भावनाओं की कद्र ही नहीं की..मैं तुम्हें छीन नहीं रही हूँ.. किसी से..पर मैं भी कुछ हूँ, तुम्हारी... मेरे प्रति भी कुछ दायित्व है..तुम्हारे वह भी समझ लों।खैर मैंने जब मेरी सहेली को इतना परेशान देखा तो यही कहा..कि तुमने अपनी सारी कोशिशें कर ली ना..अगर परिवार वाले खुश नहीं है..तो मत सोचों..और अपनी खूबियों पर ध्यान दों,और उन्हें निखारों..किसी की खातिर खुद को मत खोना..और अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दो..बता दो समीर को..क्या असर हो रहा है..तुम पर।एक बार शांत मन से बातें करके समझाओं..तुमने अपनी पीड़ा उससे नहीं कही है..फिर मुझे लगता है.. वह समझेगा।अगर ना समझा तो समझना उसे तुमसे प्यार नहीं है..ये कड़वी बात है..पर सच्ची है..प्यार होगा तो कुछ तो समझेगा..
मेरे कहे अनुसार उसने बात की..समीर से।वह भी परेशान था.उसके गिरते स्वास्थ्य को लेकर।खैर इसके बाद उसका गाँव जाना कम हुआ.. और कुछ फुर्सत के पलों में उन्होंने बाहर घूमने जाना भी शुरू किया..संबंधों में सुधार हुआ.. अब समीर प्रिया की योग्यताओं को निखारने में लगा है..वह नहीं जो वह नहीं कर सकती.. बल्कि जो उसके अंदर मौजूद है..।कभी कभी सब बोल देना चाहिए.. सच्चे मन से..अगर आप गलत नहीं हो तो।आज वह नेट क्वालीफाई करके लेक्चरार शिप कर रही है..समीर भी गौरवान्वित है।अब सबके मुंह लगभग बंद हो गए है..
Manish Sahu
Next Story