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प्रॉपर्टी को अपने घरवालों के नाम करना या दान में देना ये हर व्यक्ति का निजी फैसला होता है। मगर कई बार परिस्थितियां ऐसी हो जाती हैं कि हम सोचते कुछ हैं और करना कुछ और पड़ता है।
जनता से रिश्ता वेबडेसक | प्रॉपर्टी को अपने घरवालों के नाम करना या दान में देना ये हर व्यक्ति का निजी फैसला होता है। मगर कई बार परिस्थितियां ऐसी हो जाती हैं कि हम सोचते कुछ हैं और करना कुछ और पड़ता है। ऐसा ही कुछ हाल मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में एक किसान के साथ देखने को मिला। उसने अपने बेटों से तंग आकर अपनी प्रॉपर्टी अपने पालतू कुत्ते और अपनी पत्नी के नाम कर दी। शख्स ने कुत्ते को उसकी वफादारी के लिए अपनी संपत्ति का 50 प्रतिशत हिस्सा उसके नाम कर दिया। जबकि बाकी बचा आधा हिस्सा अपनी पत्नी को दे दिया।
छिंदवाड़ा के बाड़ीबाड़ा गांव में रहने वाले किसान ओम नारायण का कहना है कि उसने ऐसा फैसला अपने बेटों से दुखी होकर लिया है। वह अपने बेटों के व्यवहार से काफी नाराज थे। उनका कहना है कि अक्सर घर में विवाद होता था। बेटे उनका कहा नहीं मानते थे। इसी के चलते उन्होंने अपनी वसीयत में से अपने बेटे की जगह पालतू कुत्ते को जायदाद का हिस्सेदार बना दिया। उन्होंने अपनी वसीयत में लिखवाया कि उनकी पत्नी और उनका पालतू कुत्ता उनका सबसे अजीज है। वे दोनों ही उनका ख्याल रखते हैं। इसलिए उनकी संपत्ति के असली हकदार भी यही दो लोग हैं।
किसान ने अपनी जायदाद के 2 एकड़ जमीन अपने पालतू कुत्ते के नाम कर दी है। बाकी हिस्सा उन्होंने अपनी पत्नी चंपा के लिए छोड़ा है। शख्स का कहना है कि उनके न रहने के बाद ये दो लोग ही उनकी संपत्ति की देख—रेख करेंगे। इन्हें ही वारिस माना जाएगा। उनके लिए पालतू कुत्ता बेटे से बढ़कर है। उसने हमेशा अपनी वफादारी साबित की है।
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