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लाइफ स्टाइल
क्या आपका बच्चा भी स्कूल जाने से है कतराता, जानें कारण और समस्या दूर करने के उपाय
SANTOSI TANDI
15 Jun 2023 6:45 AM GMT
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क्या आपका बच्चा भी स्कूल जाने से है कतराता
स्कूल एक ऐसी जगह हैं जहां बच्चों का शैक्षिक विकास होने के साथ ही मानसिक और शारीरिक विकास भी होता हैं। बच्चों को स्कूल में एक अलग माहौल मिलता हैं जिस वजह से स्कूल जाने में उन्हें ख़ुशी मिलती हैं। स्कूल की एक्टिविटी, फ्रेंड्स और नई चीजें सीखना और चैलेंजेज लेना बच्चों को पसंद आता है। लेकिन कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जो स्कूल जाने से कतराते हैं। कई बार तो छोटे बच्चे स्कूल जाने के डर से रोने लगते हैं और अंत में उनका रोना देखकर पेरेंट्स उन्हें स्कूल नहीं भेजते हैं। लेकिन पेरेंट्स के लिए इसके पीछे के कारण जानना जरूरी हैं कि आखिर बच्चा स्कूल जाने से कतरा क्यों रहा हैं। आज इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं कि क्या वजह हो सकती हैं जो बच्चों को स्कूल से दूर रखती हैं और उन्हें कैसे दूर किया जाए। आइये जानते हैं इस बारे में...
ये हो सकते हैं स्कूल ना जाने के कारण
पैरेंट्स से दूर होने का डर
अक्सर देखा जाता है कि लंबी छुट्टियों के बाद बच्चे स्कूल जाने से मना करते हैं। दरअसल, घर में माता-पिता के साथ लंबा वक्त बिताने के बाद उन्हें स्कूल में बच्चों और नए टीचर्स के सामने जाना अच्छा नहीं लगता है। बच्चों के इस व्यवहार को सेपरेशन एंग्जायटी डिसऑर्डर कहा जाता है, जिसके चलते बच्चे घर में अपने पैरेंट्स के साथ ही रहना पसंद करते हैं।
असफलता का डर
बच्चों का मन बहुत कोमल होता है। स्कूल के पहले दिन अगर उनके साथ कोई बात हो जाए या कुछ गलत हो जाएं तो वे स्कूल न जाने का मन बना लेते हैं। उनके मन में आत्मविश्वास की कमी हो सकती है और वे रोज स्कूल जाने से भी डरने लगते हैं। यहीं नहीं इस जर के कारण बच्चे कुछ नया करने से भी डरने लगते हैं क्योंकि वह असफल नहीं होना चाहते हैं लेकिन साथ ही पेरेंट्स को बच्चे को यह समझने की जरूरत होती है कि बिना कोशिश किए वे सफल नहीं हो सकते हैं।
दूसरे बच्चे की तुलना में खुद को कम समझना
स्कूल के शुरूआती दिनों में बच्चे अपने दोस्तों या क्लास के बच्चों के साथ हर बात पर कॉम्पिटीशन करते हैं। चाहे फिर पढ़ाई हो या खेल वे आगे रहने की कोशिश करते हैं और ऐसा करना सही भी है लेकिन कई बार हार जाने या न कर पाने के डर से भी बच्चे स्कूल जाने से मना करते हैं। वह अपनी तुलना में अपने साथियों को बेहतर समझने लगते हैं। इसके अलावा अगर बच्चे को अन्य बच्चों की तुलना में सीखने में अधिक समय लगता है, तो वे डरने लगते हैं।
बुरा स्कूल एक्सपीरिएंस
स्कूल में बच्चों को कई तरह के एक्सपीरिएंस होते हैं जिसमें की कुछ अच्छे तो कुछ बुरे भी हो सकते हैं। बच्चा बुरे एक्सपीरिएंस को जल्दी अपने दिमाग में बैठा लेता है और स्कूल से दूरी बनाने लगता है। क्लास के अन्य बच्चों द्वारा बुली करना, टीचर की डांट ऐसे कई कारण हैं जो बच्चे को परेशान कर सकते हैं। जिस वजह से स्कूल जाने के टाइम पर बच्चों के पेट में दर्द, चेस्ट में दर्द और ड्रिजीनेस हो जाती है।
स्कूल जाने के डर को इस तरह करें दूर
बच्चों को समझने की करें कोशिश
अगर आपका बच्चा स्कूल जाने के लिए आनाकानी कर रहा है तो पैरेंट्स को सबसे पहले यह कोशिश करनी चाहिए कि आखिर वह स्कूल क्यों नहीं जाना चाहता है। कई बार कुछ विशेष परिस्थितियों की वजह से बच्चे स्कूल नहीं जाना पसंद करते हैं। अगर आप उनकी बातों को समझेंगे तो इसका सामाधान निकालना आसान हो सकता है।
बच्चों को मानसिक रूप से करें तैयार
आप अगर बच्चेच का नए स्कूकल में एडमिशन करा रहे हैं तो उस स्कूल में बच्चे को जरूर विजिट कराएं और उसकी क्लास टीचर, स्टूडेंट, स्टागफ आदि से पहले ही भेंट करा दें। प्रयास करें कि लोगों से अच्छे माहौल में वो मिले। आप उनके साथ कुछ मजेदार बात करें जिससे हंसी का माहौल रहे। ऐसा करने से बच्चाक कंफर्टेबल हो पाएगा।
सुनाएं स्कूल से जुड़ी मजेदार कहानियां
कहानियों का बाल मन पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। बच्चे को ऐसे लोगों या छात्रों की कहानियां जरूर सुनाएं जो रोज स्कूल जाते थे और सफलता भी हासिल की। उसे यह जरूर सुनाएं कि स्कूल जाने से फलां बच्चा पढ़ाई में आगे निकल गया या खेलों में अव्वल आया। स्कूल जाने के फायदे गिनाएं। उसे यह बताएं कि स्कूल में साथ खेलने और साथ लंच लेने के लिए उसे बच्चों की बड़ी टीम मिलती है, जो घर पर कभी नहीं मिल सकती है।
आसपास के बच्चों के साथ भेजें स्कूल
अगर बच्चा स्कूल जाने से कतराता है, तो सबसे अच्छा तरीका यही है कि उसे आपके आसपास के बच्चों व दोस्तों के साथ स्कूल भेजें। सुनिश्चित करें कि वह आसपास के बच्चों व उसके दोस्तों के साथ स्कूल जा रहा है और स्कूल से घर आ रहा है। साथ ही यदि बच्चे की क्लास में उसका कोई दोस्त है, तो टीचर से बात करके बच्चे को अपने दोस्त के पास ही बैठने दें।
चेहरे पर रखें पॉजिटिव फीलिंग
बच्चोंप को यह भरोसा दिलाएं कि आप जानते हैं कि वह बेहतर तरीके से स्कूसल में खुद की परेशानियों को डील कर सकता है। शांत रहें और डांट लगाने या मार पीट करने से बचें।
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