- Home
- /
- लाइफ स्टाइल
- /
- क्या आप जानते हैं ,कि...
लाइफ स्टाइल
क्या आप जानते हैं ,कि ये टेस्टी और अनोखी चीज कब हुई लोगो के बिच प्रदर्शित
Kajal Dubey
11 Oct 2021 10:55 AM GMT
x
कैसे पड़ा कॉटन कैंडी नाम?
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बचपन में लगभग हर किसी ने कॉटन कैंडी खाई होगी, हर जगह इसके अलग-अलग नाम होंगे, लेकिन स्वाद और दिखावट लगभग एक जैसी ही होती है. कुछ जगह इस कॉटन कैंडी को हवा मिठाई, बुढ़िया के बाल या गुड़िया के बाल भी कहा जाता है. ज्यादातर गुलाबी रंग की ये कैंडी गली-मोहल्लों में आसानी से मिल जाती थी. रूई के जैसी दिखने वाली और मुंह में जाते ही घुल जाने वाली इस मीठी कैंडी का जिक्र आते ही आज भी मुंह में मिठास घुल जाती है. पहले तो मेलों-जलसों में ये कॉटन कैंडी खासा आकर्षण का केंद्र होती थी. आज भी इसकी लोकप्रियता इतनी है कि अब ये शादी व बर्थडे पार्टियों के स्टॉल्स में भी अपनी जगह बनी चुकी है, क्या आप जानते हैं कि ये टेस्टी और अनोखी यानी यूनिक चीज सबसे पहले कहां बनी थी?
अमर उजाला अखबार में छपी खबर के मुताबिक, अमेरिका में विलियम्स जेम्स मॉरिसन (Williams James Morrison) नाम के दांतों के एक डॉक्टर (Dentist) थे,वो हमेशा नई और अनोखी चीज बनाने में लगे रहते थे. साल 1897 की बात है, जेम्स मॉरिसन ने एक हलवाई जॉन सी व्हाटर्न (John C Wharton) के साथ मिलकर एक ऐसी मशीन बनाई, जो गर्म चीनी को घुमाते हुए कॉटन कैंडी बनाती थी. उस जमाने में ये अपने आप में एक अनूठा अविष्कार था.
पहली बार मेले में की गई प्रदर्शित
इस मशीन के बनाने के करीब 7 साल बाद 1907 में विलियम्स जेम्स मॉरिस ने सेंट लुइस वर्ल्ड फेयर (St. Louis World Fair) में अपने इस नए प्रोडक्ट को पहली बार लोगों के सामने रखा. धीरे-धीरे ये मशीन लोगों के बीच काफी फेमस हो गई. अमेरिका में इसे 'फेयरी फ्लॉस' (fairy floss) का नाम दिया गया था.
घी और गुड़ का कॉम्बिनेशन देता है गजब के फायदे, इस तरह करें इस्तेमाल
घी और गुड़ का कॉम्बिनेशन देता है गजब के फायदे, इस तरह करें इस्तेमाल
मेले में बेची गई मशीन से बनने वाली कॉटन कैंडी सफेद रंग की थी और उसका स्वाद भी कुछ खास नहीं था, लेकिन फिर भी उसकी बनावट ने लोगों को आकर्षित किया था. मेला शुरू होने से आखिरी दिन तक कॉटन कैंडी की करीब 68 हजार मशीने बिक गई थीं.
कैसे पड़ा कॉटन कैंडी नाम?
इसके बाद साल 1921 में और डेंटिस्ट जोसेफ लास्कॉक्स (Josef Lascaux) ने एक और कॉटन कैंडी की मशीन बनाने का दावा किया. कहतें कि लॉस्कॉक्स को ही इस रूई जैसी दिखने वाली चीज का नाम 'कॉटन कैंडी' (Cotton Candy) रखने का श्रेय जाता है. इसके पीछे असली वजह ये बताई जाती है कि कपास पेड़ पर लगे रेशेदार फूलों से बनाया जाता है. जबकि कैंडी को बनाते समय कम मात्रा में चीनी को मशीन में घुमाया जाता है जिससे वो रूई जैसा आकार ले लेती है.
कैंडी मशीन कब हुई ऑटोमैटिक?
समय के साथ-साथ कॉटन कैंडी मशीन में कई बदलाव आए. साल 1970 में एक और कॉटन कैंडी मशीन आई जो पूरी तरह से ऑटोमैटिक थी. इस मशीन को चलाने के लिए किसी व्यक्ति की जरूरत नहीं थी, ये अपने आप ही कॉटन कैंडी बना सकती थी.
वक्त के साथ रंगों और स्वाद में भी बदलाव
कॉटन कैंडी मशीन आने के बाद से लंबे समय तक इसका रंग गुलाबी और कुछ जगहों पर नीला बना रहा . हालांकि इसका स्वाद सिर्फ मीठा ही था, लेकिन अब इसे कई रंगों जैसे हरा, बैंगनी आदि में भी देखा जा सकता है. अब तो कॉटन कैंडी के टेस्ट भी आ गए हैं, इसमें खट्टे आम से लेकर अदरक तक के फ्लेवर आ गए हैं. कॉटन कैंडी कितनी फेमस है इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि अमेरिका में हर साल 7 दिसंबर को 'नेशनल कॉटन कैंडी डे' भी मनाया जाता है.
Kajal Dubey
Next Story