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लाइफ स्टाइल
क्या आप जानते हैं, फल खाते समय भी कुछ नियम पालने होते हैं
Kajal Dubey
4 May 2023 12:05 PM GMT
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अच्छी सेहत के लिए खानपान का सही होना कई प्रमुख चीज़ों में से एक है. सही पोषक तत्वों के साथ ही खाने की सही मात्रा और सही समय भी महत्तवपूर्ण है. एक फ़ूड ग्रुप जो ढेर सारे पोषक तत्वों से भरपूर होता है, वह है फल. पोषक तत्वों से भरपूर फलों के कई और फ़ायदे होते हैं. तो, क्या उन्हें किसी भी समय और कितनी भी मात्रा में खाना ठीक है? सर्टिफ़ाइड क्लीनिकल डायटीशियन लक्षिता जैन, लेक्चरर, डायबिटीज़ एज्युकेयर, मीट टेक्नोलॉजिस्ट और एयूटीआर की फ़ाउंडर, कहती हैं ‘नहीं’. उनका कहना है कि फलों का सेवन करते समय कुछ बुनियादी नियमों का पालन करना होता है. आगे पढ़ें कि, वो किन नियमों की बात कर रही हैं.
एक दिन में दो फल खाएं
एक दिन में दो फल (चार से पांच सर्विंग्स) के सेवन से त्वचा की चमक बढ़ेगी और डायबिटीज़ और इंसुलिन रेज़िस्टेंस के जोख़िम को कम करने में मदद मिलेगी.
मात्रा पर नियंत्रण
फलों के साथ एक मसला यह है कि हम आसानी से ढेर सारा खा लेते हैं, यानी ओवरइटिंग हो जाती है. इसलिए मात्रा पर लगाम लगाना ज़रूरी होता है.फलों में फ्रुक्टोज़ पाया जाता है, जो एक प्रकार का कार्बोहाइड्रेट है. इसलिए अधिक मात्रा में फलों का सेवन करने से वज़न और ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है. एक दिन में दो फलों का ही सेवन करें.
फलों के रस डायट का हिस्सा हो सकते हैं
फलों के रस, कई सारे फलों को डायट में शामिल करने का एक शानदार तरीक़ा है. पैक्ड जूस के बजाय घर पर बने फ़ाइबर युक्त जूस को प्राथमिकता दें. जूस स्टोर ना करें, बनाकर तुरंत पिएं.
मौसमी और अपने स्थानीय क्षेत्र में उगाए गए फलों का सेवन करें
बाहर से आए फलों के बजाय मौसमी और स्थानीय क्षेत्रों में उगाए गए फलों को चुनें. मौसमी फल पोषक तत्वों से भरपूर और बजट के अनुकूल होते हैं. बाहर से आए फल महंगे होते हैं और कई दिनों तक सुरक्षित रखने के लिए प्रिज़र्वेटिव का इस्तेमाल किया जाता है.
समय का ध्यान रखें
अगर आप वज़न कम करना चाहते हैं या शुगर कंट्रोल करना चाहते हैं, तो फल खाने का सबसे अच्छा समय लंच तक ही होता है. शाम को या रात के खाने के समय अगर आप फल लेना चाहते हैं, तो एक कटोरी पपीता लें.
दूध के साथ फल
स्मूदी खाने के इस ट्रेंड में हमेशा एक बहस चलती है कि फल और दूध को एक साथ मिलाना चाहिए या नहीं. फलों को दूध के साथ लिया जा सकता है, लेकिन अगर आपको डायबिटीज़, पीसीओएस या कोई और हेल्थ प्रॉब्लम हो तो इस स्थिति में फल और दूध को एक साथ मिलाने से बचें. डेयरी मिल्क की जगह आप स्मूदी और शेक बनाने के लिए आमंड मिल्क चुनें.
फलों के साथ प्रोटीन जोड़ें
अगर आप फलों में पाए जानेवाले शुगर कॉन्टेंट को लेकर परेशान हैं या डायबिटीज़, मोटापा और पीसीओएस जैसी हेल्थ कंडिशन की वजह से कॉर्बोहाइड्रेट के सेवन को कम करना चाहती हैं तो फलों के साथ प्रोटीन जोड़ें.
क्या आपने करिश्मा कपूर वाली बीबी नबंर वन का गाना उफ़्फ़-उफ़्फ़ मिर्ची, हाय-हाय मिर्ची सुना है? सुना ही होगा! इस गाने में मिर्ची के तीख़ेपन की तारीफ़ हो रही है. आज हम आपको दुनिया की पांच ऐसी ही तीखी मिर्चों के बारे बताने जा रहे हैं, जिन्हें खाने के बाद लोग उफ़्फ़-उफ़्फ़ और हाय-हाय करते हैं. इसमें से एक मिर्च हमारे पूर्वोत्तर के राज्यों में उगाई जाती है. नाम है भूत झोलकिया, जिसे इंग्लिश में घोस्ट पेपर भी कहा जाता है. इसके अलावा इसे नागा मिर्च और राजा मिर्च भी कहते हैं.
दुनियाभर में लोगों को मिर्ची से बहुत लगाव है. मिर्च और हल्दी, दो ऐसी चीज़ें है, जिनका इस्तेमाल भारत में बननेवाली लगभग हर सब्ज़ियों में किया जाता है. मार्केट एनालिसिस फर्म इंडेक्स बॉक्स के साल 2018 के आंकड़ों के मुताब़िक औसतन हर आदमी ने एक साल में लगभग पांच किलो मिर्च खाई. कुछ देशों में इससे भी अधिक मिर्च खाने के आंकड़े मौजूद हैं. तुर्की, पूरी दुनिया में यहां सबसे ज़्यादा मिर्ची खाई जाती है. मैक्सिको अपने मसालेदार खाने के लिए मशहूर है, लेकिन तुर्की, मिर्ची खाने में उससे भी आगे है. मैक्सिको में एक व्यक्ति एक दिन में लगभग 50.95 ग्राम मिर्ची ही खाता है, वहीं तुर्की में एक दिन में एक व्यक्ति लगभग 86.5 ग्राम मिर्ची खाता है. इसके अलावा थाइलैंड, फिलीपिंस और मलेशिया में भी मिर्ची के इस्तेमाल में अन्य देशों की तुलना में आगे हैं. वहीं स्वीडन, फ़िनलैंड और नॉर्वे जैसे देशों में मिर्ची का सबसे कम इस्तेमाल किया जाता है.
हरी मिर्ची में विटामिन ए,बी और सी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. इसके अलावा कैल्शियम और फ़ॉस्फोरस भी अच्छी मात्रा होती है. मिर्ची में तीखापन इसमें पाए जानेवाले एल्केलायड रसायन ‘कैप्सेसिन’ (ओलियोरेजन) की वजह से होता है. मिर्ची पक जाने के बाद उसके लाल रंग की वजह उसमें मौजूद ‘कैप्सेन्थिन’ रसायन होता है. मिर्ची के तीखेपन को नापने के लिए स्कोविल हीट यूनिट (एसएचयू) स्केल का इस्तेमाल किया जाता है. यह पैमाना अमरीकी फ़ार्मासिस्ट विल्बर स्कोविल के नाम पर तैयार किया गया है. जिस मिर्च में जितना ‘कैप्सेसिन’ होता है वह उतनी तीखी होती है.
अब हम आपको मिर्च के पांच ऐसे प्रकार के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि दुनिया की सबसे तीख़ी मिर्च की सूची में शामिल हैं.
स्कोविल स्केल पर प्योर कैप्साइसिन का हीट यूनिट 16 मिलियन स्कोविल आता है और यह अब तक की सबसे पड़ा स्कोर है. और इस वजह से यह दुनिया की सबसे तीखी मिर्ची मानी जाती है. प्योर कैप्साइसिन, हेलोपिनो की तुलना में लगभग 3200 गुना अधिक तीखी होती है. हेलोपिनो में लगभग 5,000 स्कोविल हीट यूनिट ही होती है. इसके बाद नाम है स्टैंडंर्ड स्प्रे पेपर जो तीखेपन में दूसरे नंबर पर है.
कैरोलिना रीपर, दुनिया की तीसरे नंबर की तीखी मिर्च. कुछ शोध की माने तो यह सबसे पहले साउथ कैरोलिना में पाई गई थी, वहीं से इसका नाम कैरोलिना रीपर पड़ा है. और चौथे नंबर है ट्रिनाडाड मोरुगा स्कॉर्पियन मिर्च.
पांचवें नंबर है भुत झोलकिया. इसे नागा मिर्च भी कहते हैं. नागा इसलिए क्योंकि नागालैंड में इसकी बहुतायत रूप में खेती होती है. भूत झोलकिया इसलिए, क्योंकि इसे खाने के बाद आप वैसी ही हरक़त करने लगते हैं, जैसे आपके शरीर में भूत समा गया हो. नागालैंड की इस मिर्च को भूत झोलकिया और घोस्ट पेपर भी कहा जाता है. इसे 2008 में जीआई सर्टिफिकेशन मिला था. नागा राजा मिर्च एसएचयू के आधार पर दुनिया की सबसे तीखी मिर्च की सूची में शीर्ष पांच में लगातार बनी हुई है.
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