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क्या आपको पता है भारत के श्रापित हीरे की कहानी जिसने कई करोड़पतियों को कर दिया बर्बाद
SANTOSI TANDI
5 Oct 2023 9:19 AM GMT
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श्रापित हीरे की कहानी जिसने कई करोड़पतियों को कर दिया बर्बाद
क्या कोई गहना किसी इंसान की जिंदगी तबाह कर सकता है? दादी-नानी की कहानियों में हमने बहुत से ऐसे जवाहरातों के बारे में सुना है जिनके कारण राजे-रजवाड़े खत्म हो गए, लेकिन ये फिक्शन है या सच? ऐसे ही एक नेकलेस की कहानी भारत से जुड़ी हुई है। इस नेकलेस का नाम है ब्लू होप डायमंड नेकलेस। यह भारत की कोल्लूर माइंस में से निकाला गया था और दुनिया के सबसे महंगे हीरों में से एक है। हालांकि, इसकी प्रसिद्धि की वजह इसका महंगा होना नहीं है। इसकी प्रसिद्धि की वजह कुछ और ही है।
इस डायमंड को गोलकोंडा डायमंड भी कहा जाता है जिसकी खोज 1673 में की गई थी। हालांकि, मिलने के बाद से ही यह बहुत बदल गया है और भारत से चलकर इसने पूरी दुनिया की सैर कर ली है। हर बार अपने मालिक के साथ इस हीरे ने कुछ ऐसा कर दिया कि इसका नाम दुनिया के सबसे श्रापित हीरों में शुमार हो गया।
क्या है कारटियर ब्लू होप डायमंड नेकलेस की कहानी?
इसकी कहानी 1600 की सदी में शुरू हुई जब फ्रेंच जेम मर्चेंट जीन बैप्टाइस्ट टैवेर्नियर को यह हीरा भारत की एक खदान से मिला। यह हीरा आंध्र प्रदेश के गुंटूर की कोल्लूर खदान में था। उस वक्त इस इलाके को गोलकोंडा कहा जाता था इसलिए इस हीरे का नाम गोलकोंडा डायमंड भी है।
लोककथाओं में यह भी शुमार है कि इस फ्रेंच मर्चेंट ने यह 115.16 कैरेट का हीरा किसी मूर्ति से चुराया था। यह हीरा उस मूर्ति की आंख के तौर पर लगा हुआ था और इसके बारे में पता चलते ही एक पुजारी ने हीरे से एक श्राप को जोड़ दिया। जिस किसी के पास भी हीरा आएगा उसका विनाश होगा। इसके बाद ही उस फ्रेंच मर्चेंट को बुखार चढ़ा और उसकी मौत हो गई।
इतिहासकार रिचर्ड कुरिन और उनके अलावा कुछ रिपोर्ट्स मानती हैं कि इस हीरे को किंग लुईस फोर्टीन्थ को बेच दिया गया था। हालांकि, इस हीरे के साथ भारत से लाए और भी कई हीरे किंग लुईस को बेचे गए थे।
नोवल 'द फ्रेंच ब्लू' में जेमोलॉजिस्ट और हिस्टॉरियन रिचर्ड डब्लू ने लिखा है कि इस हीरे को बेचने के लिए उस फ्रेंच मर्चेंट को पेटेंट ऑफ नोबेलिटी भी दिया गया था। हालांकि, इस हीरे को फ्रेंच रॉयल परिवार में रखा गया और इसे कुछ राजाओं ने पहना, लेकिन 1792 तक उस परिवार में कुछ ना कुछ होता रहा। 1792 में लुईस फोर्टींथ के परिवार को बंदी बना लिया गया।
फ्रेंच राज परिवार में चोरी भी हुई और उसमें फ्रेंच ब्लू डायमंड को चुरा लिया गया, लेकिन तब तक लुईस फोर्टींथ और उनके परिवार के कई सदस्यों का सिर कलम करवा दिया गया था।
कब पड़ा ब्लू होम डायमंड नाम?
इतिहास में इस डायमंड को धीरे-धीरे श्रापित कहना शुरू कर दिया गया और 1910 में जब तक यह फ्रेंच ज्वेलर पियरे कार्टियर के पास आया तब तक इसकी ख्याति बढ़ चुकी थी। पियरे कार्टियर फ्रांकोएस कार्टियर के पोते थे जिन्होंने कार्टियर ज्वेलरी की स्थापना की थी। उन्होंने इस हीरे को नाम दिया ब्लू होप डायमंड। इसके बाद अमेरिकन सोसियलाइट ईवलिन ने इसे 1 लाख 80 हजार यूएस डॉलर में खरीदा जो आज की डेट में 5 मिलियन यूएस डॉलर के बराबर होगा।
उस वक्त ईवलिन अपनी हर पार्टी और ट्रिप पर इस हीरे को पहनती थीं। ऐसा माना जाता है कि वह हीरे को छुपा दिया करती थीं और लोगों से उसे ढूंढने को कहती थीं और इस खेल को 'फाइंड द होप' नाम दिया जाता था। उन्होंने चर्च में जाकर इस हीरे के लिए प्रार्थना भी करवाई थी और उसी समय बिजली गिरी थी, लेकिन ईवलिन डरीं नहीं और वह मजाक में कहा करती थीं कि उनके लिए अनलकी चीजें भी लकी हो जाती हैं।
हालांकि, कुछ समय बाद ईवलिन का नौ साल का बेटा एक कार एक्सीडेंट में मारा गया। उसके बाद उनका अपने पति से तलाक हो गया क्योंकि उनका किसी और के साथ अफेयर था। इसके बाद ईवलिन को कई बार घाटा भी लगा, लेकिन आर्थिक तंगी में भी उन्होंने इस हीरे को नहीं छोड़ा।
साल 1946 में उनकी बेटी की ड्रग ओवरडोज से मौत हो गई और उसके बाद भी ईवलिन ने इस हीरे को नहीं छोड़ा। हालांकि, 1947 में निमोनिया के कारण ईवलिन की मौत हो गई और उन्होंने अंतिम क्षण तक इस हीरे को पहने रखा। अपनी विल में इस हीरे को उन्होंने अपने परिवार को दिया था जिसके बाद इसे बेच दिया गया।
अब कहां है ब्लू होप डायमंड?
अब ब्लू होप डायमंड स्मिथसोनियन इंस्टिट्यूशन में वॉशिंगटन डीसी में मौजूद है। यह म्यूजियम का अहम हिस्सा है और हर किसी को इसकी कहानी के बारे में बताया जाता है।
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