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लाइफस्टाइल: क्या आपने कभी सुना है कि ब्रेड पर किसी ने मुरब्बा लगाकर खाया हो? अधिकतर ब्रेड पर जैम ही लगाया जाता है, ऐसे ही डेजर्ट बनाने के लिए मार्मालेड का इस्तेमाल किया जाता है। आप मार्केट में जाएं, तो आपको ना जाने कितने ऑप्शन पहले से ही तैयार मिलते हैं, लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि इन सभी के बीच अंतर क्या होता है? किस तरह से ये सभी बनाए जाते हैं?
स्कूल जाने वाले बच्चों के टिफिन बॉक्स की बात हो या फिर झटपट नाश्ता कर ऑफिस जाने की, फ्रूटी फ्लेवर वाले ये मीठे स्प्रेड्स असल में बहुत काम के साबित होते हैं।
जैम, जेली, कम्पोट, फ्रूट पेस्ट और मार्मालेड ये सभी एक ही तरह की खाने की चीजें हैं। इन्हें बनाया भी फलों से ही जाता है, लेकिन इनके स्वाद में अंतर होता है। इसका कारण है इनके लिए इस्तेमाल किए जाने वाले इंग्रीडिएंट्स।
चलिए आपको आज इनके बारे में थोड़ी और जानकारी देते हैं।
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कॉमन इंग्रीडिएंट्स जो इन सभी में मिलाए जाते हैं
सबसे पहले आपको बता दें कि इन सभी को फलों के रस और उनके गूदे से बनाया जाता है। इसके साथ ही इनमें रिफाइंड शुगर बहुत मात्रा में होती है। यही कारण है कि इन्हें डायबिटीज के मरीजों को खाने को मना किया जाता है।
इसके साथ ही, अधिकतर प्रोडक्ट्स में प्रिजर्वेटिव्स भी मिलाए जाते हैं। हालांकि, कुछ ब्रांड्स अब बिना प्रिजर्वेटिव्स के भी अपने प्रोडक्ट्स देने लगे हैं।
क्या होता है जैम?
आम भारतीय घरों में सबसे ज्यादा जैम का इस्तेमाल किया जाता है। जैम का टेक्सचर असल में बहुत अलग होता है। इसमें थोड़ा थक्केदार टेक्सचर होता है। इसका कारण यह है कि जैम हमेशा फलों के गूदे और उसे अन्य हिस्सों से बनते हैं। फलों के गूदे या उनके टुकड़ों में शक्कर मिलाई जाती है।
यह पके हुए फलों से ही बनाए जाते हैं इसलिए इनका स्वाद बाकियों की तुलना में ज्यादा मीठा हो सकता है। हालांकि, अगर कोई घर में जैम बना रहा है, तो बिना प्रिजर्वेटिव्स के वो ज्यादा दिन नहीं चल पाएगा। इसी के साथ, घर में उसका टेक्सचर ज्यादा मैश्ड नहीं आएगा।
क्या होती है जेली?
जेली का टेक्सचर हमेशा लचीला होता है। नहीं-नहीं इलास्टिक वाला लचीला नहीं। दरअसल, इसे जब आप हिलाते हैं, तो इसके टेक्सचर के कारण यह कुछ सेकंड ज्यादा हिलती रहती है। यह बहुत मीठी होती है और इसके जरिए कई तरह के डेजर्ट बनाए जा सकते हैं। हालांकि, आप किस तरह के इंग्रीडिएंट्स इस्तेमाल कर रहे हैं, उसके आधार पर जेली का टेक्सचर बदल जाता है।
यह फ्रूट जूस से बनती है और इसमें पल्प का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं होता है। यही कारण है कि इसका टेक्सचर थोड़ा सॉलिड होता है। हालांकि, प्रिजर्वेटिव्स और कुछ एक्स्ट्रा केमिकल्स के कारण मार्केट में मिलने वाली जेली बहुत ज्यादा सॉलिड और लचीली हो जाती है। घर पर अगर आप सिर्फ शक्कर और फ्रूट जूस के साथ उसे बनाएंगी, तो यह इतनी ज्यादा लचीली नहीं होगी।
क्या होता है मार्मालेड?
आम घरों में मुरब्बा तो हमेशा बना ही होगा। बस मार्मालेड यही होता है। यह जैम और जेली की तरह बहुत मीठा नहीं होता है। दरअसल, इसमें फलों के गूदे के साथ-साथ उसके छिलकों का भी इस्तेमाल किया जाता है जिसके कारण यह ना तो उतना स्मूथ टेक्सचर दे पाता है और ना ही उतना मीठा होता है।
ऐसे लोग जिन्हें बहुत ज्यादा मीठा खाना नहीं पसंद उनके लिए मुरब्बा उर्फ मार्मालेड बहुत ही अच्छा ऑप्शन हो सकता है। इसके लिए फलों का बहुत ज्यादा पका होना भी जरूरी नहीं है। इसके टेक्सचर में सिट्रस पील्स के कारण कुछ रेशे भी आ जाते हैं जिसके कारण इसका टेक्सचर थोड़ा अलग होता है। इसका रंग हमेशा जैम और जेली के मुकाबले थोड़ा हल्का होता है।
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Manish Sahu
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