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उम्र के किसी भी पड़ाव पर हमें त्वचा संबंधी समस्याएं होती हैं और कई बार ये हमारे जीवन का हिस्सा भी बन जाती हैं. युवावस्था में आनेवाले मुहांसे, पीरियड्स के समय के ब्रेकआउट्स और डिलिवरी के बाद त्वचा में आनेवाले कई तरह के बदलाव महिलाओं और लड़कियों के लिए हमेशा से चिंता का विषय रहे हैं. इनसे निपटने के लिए इंटरनेट पर 1001 तरीक़े और हैक्स मिल जाते हैं, जिन्हें हम कई बार अप्लाई भी करते हैं, लेकिन इनसे निपटने के लिए वह तरीक़ा जिससे आप अपनी सेहत और सुंदरता, दोनों को बनाए रख सकती हैं और वो है योग आसान.
हम अपनी त्वचा पर चाहे कितने ही नए और महंगे प्रॉडक्ट्स इस्तेमाल कर लें, लेकिन सच यह है कि हमारी त्वचा में बहुत तेज़ी से बदलाव होता है और इसके लिए हमारी व्यस्त जीवन-शैली के साथ-साथ प्रदूषण, तनाव, चिंता, अस्वस्थ भोजन ज़िम्मेदार हैं, जो हमारी त्वचा को धीरे-धीरे नुक़सान पहुंचाते हैं. त्वचा की सेहत हमारे शरीर और मन की स्थिति पर भी निर्भर करती है कि वो कितना स्वस्थ और ख़ुश है.
हालांकि अपनी त्वचा को चमकदार बनाए रखने के लिए अगर हम प्रभावी ढंग से कुछ कर सकते हैं, तो वो है अस्वस्थ आदतों को छोड़कर स्वस्थ आदतों को अपनाना. इसके अलावा योग करना. रोज़ाना योग करने से शरीर के सभी अंगों में ब्लड फ़्लो बढ़ता है, इसमें हमारा मस्तिष्क और चेहरा भी शामिल है. हम यहां पर कुछ आसन बता रहे हैं, जिसे अपनी दिनचर्या में शामिल करके आप अपनी त्वचा को प्राकृतिक रूप से चमकदार रख सकती हैं.
मत्स्यासन
हलासन
बालासन
सूक्ष्म प्राणायाम
मत्स्यासन
मत्स का मतलब होता है मछली और इस आसन को करते समय आपके शरीर का आकार मछली की तरह हो जाता है. मत्स्यासन को रोगों के नाशक के रूप में भी जाना जाता है. मत्स्यासन करने के लिए दंडस्सन की मुद्रा में बैठ जाएं और सांस अंदर लें और पद्मासन की मुद्रा में आ जाएं. अपनी पीठ को धीरे-धीरे पीछे ले जाएं और अपनी कोहनियों को ज़मीन पर टिका दें. अब गर्दन को झुकाते हुए उसे ज़मीन से टिकाएं और हाथों को उठाकर उससे अपने पैर के अंगूठों को पकड़ें. अपनी क्षमता के अनुसार आप 60 से 90 सेकेंड तक इस मुद्रा में बने रह सकते हैं.
फ़ायदे: इस मुद्रा को नियमित रूप से करने से पीठ दर्द, चिंता और थकान में राहत मिलती है. सबसे अच्छी बात यह है कि इस मुद्रा के नियमित अभ्यास से शरीर में ब्लड फ़्लो बढ़ता है, जो आपके हार्मोन्स को संतुलित रखने में मदद करता है. हार्मोन्स असंतुलन महिलाओं में त्वचा संबंधित समस्याओं का एक प्रमुख कारण है.
हलासन
हलासन को उसका नाम खेती में इस्तेमाल होनेवाले उपकरण हल से मिला है. इस मुद्रा में आप हल की भांति नज़र आते हैं. इस मुद्रा को करने के लिए एक मैट पर शवासान की मुद्रा में लेट जाएं. इसके बाद अपनी टांगों को 90 डिग्री में उठाएं और पीछे की तरफ़ सीधे ले जाएं. इसके लिए अपने दोनों हाथों को मोड़कर कमर नीचे रखें, जिससे आपको सपोर्ट मिलेगा. कोशिश करें कि आपके पैर का अंगूठा आपके सिर के पास की ज़मीन को छू दे. अब हाथ कमर के नीचे से हटाकर ज़मीन पर सीधा रख दें. हथेली नीचे की तरफ़ रखें या जैसा आपको सुविधा हो. इस अवस्था में 30 से 60 सेकेंड तक बने रहें. आसन को समाप्त करते समय जल्दबाज़ी ना करें, धीरे-धीरे आराम से पैरों को पहले के स्थान में लाएं.
फ़ायदे: हल मुद्रा या हलासन आपकी नींद को बेहतर करने में मदद करता है. इस मुद्रा से आपके चेहरे और सिर में ब्लड को बेहतर तरीक़े से पहुंचने में मदद मिलती है. इससे आपके दिमाग़ को आराम मिलता है और आपकी स्किन बेटर ब्रीद करती है.
बालासन
बालासन करते समय ज़मीन पर अपने दोनों पैरों को घुटनों से पीछे की तरफ़ मोड़ कर बच्चे की तरह बैठ जाएं और आगे की तरफ़ लेट कर हिप्स को ऊपर उठाएं और हाथों को आगे तरफ़ ले जाएं. इसे करते समय सांस लेने और छोड़ने की पूरी प्रक्रिया पर अधिक ध्यान दें.
फ़ायदे: क्लासिक विश्राम मुद्रा या बालासन को सही तरीक़े से करने पर थकान दूर करने में मदद मिलती है, पीठ के दर्द से आराम मिलता है और ब्लड सर्कुलेशन भी बेहतर होता है. बालासन एक सुपर आसान है, जिसे आप कभी भी, कहीं भी कर सकते हैं.
प्राणायाम
प्राणायाम से हम अपने सांसों के द्वारा अपने मस्तिष्क को कंट्रोल कर पाते हैं और इस बात का भी पता लगा पाते हैं कि हम कितने में तनाव में हैं. इस तरह से प्राणायाम सीधे तौर पर आपके मस्तिष्क को प्रभावित करता है. इसके अलावा यह आपकी त्वचा और बालों के लिए भी फ़ायदेमंद है. स्किन डीटॉक्स करने, बालों के ग्रोथ और मानसिक रूप से संतुलित बनाए रखने के लिए रोज़ाना कुछ देर प्राणायाम करना चाहिए. प्राणायाम में आप कपालभांति, अनुलोम-विलोम और भस्त्रिका प्राणायाम ट्राय कर सकते हैं.
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