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यह योगासन घर पर
हर किसी को हेल्दी और फिट रहने के लिए रोजाना कुछ देर योग जरूर करना चाहिए। लेकिन कुछ योगासन महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए खासतौर पर फायदेमंद होते हैं। आज हम आपको जठर परिवर्तनासन के बारे में बता रहे हैं। यह तीन शब्दों जठर, परिवर्तन और आसन से मिलकर बना है। जठर का अर्थ 'पेट', परिवर्तन का 'मरोड़ना' और आसन का 'मुद्रा' होता है।
इस आसन को करने से पेट और महिलाओं की रिप्रोडक्टिव हेल्थ से जुड़ी समस्याओं को दूर किया जा सकता है। इस योगासन की जानकारी हेल्थ और वेलनेस कोच महक खन्ना ने शेयर की है।
एक्सपर्ट का कहना है, ''यूट्रस को हेल्दी बनाना चाहती हैं, तो रिप्रोडक्टिव अंगों और पेल्विक एरिया को मजबूत बनाने वाले जठर परिवर्तनासन को करें। इसे माइल्ड ट्विस्टिंग पोज के नाम से भी जाना जाता है। इसे करते समय आपका शरीर तिरछा हो जाता है, जिससे पेट और लिवर, पैनक्रिंयाज, पेट, किडनी, यूट्रस, ओवरीज जैसे इंटरनल ऑर्गन्स की मालिश होती है।''
जठर परिवर्तनासन के फायदे
पेट की मसल्स में खिंचाव लाता है।
रिप्रोडक्टिव अंगों में ब्लड फ्लो बढ़ता है और गर्भधारण में मदद मिलती है।
सेंट्रर नर्वस सिस्टम को शांत करता है और ब्लड स्ट्रीम में तनाव हार्मोन के लेवल को कम करता है।
यूट्राइन लाइनिंग को मोटा और टोन करता है। मिसकैरेज को रोकता है।
पीरियड्स को नियमित करता है।
पीसीओडी, एंडोमेट्रियोसिस और फाइब्रॉएड के लक्षणों को कम करता है।
एएमएच (महिलाओं की ओवरीज में एग्स की संख्या) के लेवल को बढ़ाता है।
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सेक्सुअल हेल्थ को सही रखता है।
एग्स की क्वालिटी में सुधार करता है।
पीठ के निचले हिस्से में होने वाले दर्द से राहत दिलाता है।
पेल्विक बाउल को खोलता है।
रीढ़ की हड्डी में फ्लेक्सिबिलिटी लाता है।
पेट की चर्बी कम करने में मददगार है।
किडनी को हेल्दी रखता है।
एसिडिटी की समस्या से निजात मिलता है।
डाइजेस्टिव सिस्टम ठीक रहता है।
थकावट, चिंता और तनाव को दूर करता है।
एनर्जी लेवल बढ़ाता है।
जठर परिवर्तनासन की विधि
मैट पर पीठ के बल लेट जाएं।
दोनों हाथों को सिर के पीछे रखें।
पैरों को घुटनों से मोड़कर कंधे के बराबर दूरी में खोलें।
फिर दाएं घुटने को बाएं पैर से टच कराने की कोशिश करें।
इसके बाद, बाएं घुटने से दाएं पैर को टच कराने की कोशिश करें।
रिलैक्स करने के लिए घुटनों को मोड़कर पैरों को आपस में मिला लें।
हाथों को साइड में रखें।
कम से कम 8 बार धीमी, लेकिन पूरी सांसें लें।
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जठर परिवर्तनासन करने का समय
इसे आप सुबह-सुबह खाली पेट कर सकते हैं।
इसे लंच के 3-4 घंटे के बाद शाम को भी किया जा सकता है।
सावधानियां
पीठ के दर्द से परेशान महिलाएं इसे करने से बचें।
इसे पीरियड्स के दौरान न करें।
आप भी इस योगासन को करके ये सारे फायदे पा सकते हैं। यदि आपको भी हेल्थ से जुड़ी कोई जानकारी चाहिए, तो हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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