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वजन कम करना सबसे आसान भी है और कठिन भी। क्योंकि मोटापे का एक संबंध आपके भोजन और नींद से भी है जिसे बदला ही सबसे कठिन होता है। अधिक कैलोरी या फैट वाले खाने का त्याग करने के बाद ही आप 5 आसान आजमाएंगे तो बहुत जल्दी फायदा मिलेगा।
1. ताड़ासन ( Tadasana) : इससे शरीर की स्थिति ताड़ के पेड़ के समान हो जाती है, इसीलिए इसे ताड़ासन कहते हैं। ताड़ासन और वृक्षासन में फर्क होता है। यह आसन खड़े होकर किया जाता है। पंजे के बल खड़े रहकर दोनों होथों को उपर ले जाकर फिर फिंगर लॉक लगाकर हाथों के पंजों को ऊपर की ओर मोड़ दें और अर्थात हथेलियां आसमान की ओर रहें। गर्दन सीधी रखें। यह ताड़ासन है।
आसन का लाभ : इस आसन को नियमित करते रहने से पैरों में मजबूती आती है साथ ही पंजे मजबूत होते हैं तथा पिंडलियां भी सख्त होती हैं। इसके अलावा पेट व छाती पर खिंचाव पड़ने से उनके सभी प्रकार के रोग नष्ट होते हैं। पेट संबंधी रोग दूर होता है। वीर्यशक्ति में वृद्धि होती है। पाइल्स रोगियों को इससे लाभ मिलता है। यह आसन बच्चों की शारीरिक ग्रोथ और लंबाई बढ़ाने में महत्वपूर्ण है।
2. उष्ट्रासन ( Ustrasana ) : ऊंट के समान दिखाई देने के कारण उष्ट्रासन। वज्रासन की स्थिति में बैठने के बाद घुटनों के ऊपर खड़े होकर पगथलियों के ऊपर एक एक कर क्रम से हथेलियां रखते हुए गर्दन को ढीला छोड़ देते हैं और पेट को आसमान की ओर उठाते हैं। ये उष्ट्रासन है।
आसन लाभ : उदर संबंधी रोग और एसिडिटी को दूर करता है यह आसन। उदर संबंधी रोग, जैसे कॉस्ट्रयूपेशन, इनडाइजेशन, एसिडिटी रोग निवारण में इस आसन से सहायता मिलती है। गले संबंधी रोगों में भी यह आसन लाभदायक है। इस आसन से घुटने, ब्लडर, किडनी, छोटी आंत, लीवर, छाती, लंग्स एवं गर्दन तक का भाग एक साथ प्रभावित होता है, जिससे कि उपर्युक्त अंग समूह का व्यायाम होकर उनका निरोगीपन बना रहता है। श्वास, उदर, पिंडलियों, पैरों, कंधे, कुहनियों और मेरुदंड संबंधी रोग में लाभ मिलता है।
3. भुजंगासन ( Bhujangasana Yoga) : भुंजग अर्थात सर्प के समान। पेट के बल लेटने के बाद हाथ को कोहनियों से मोड़ते हुए लाएं और हथेलियों को बाजूओं के नीचे रख दें। अब हथेलियों पर दबाव बनाते हुए सिर को आकार की ओर उठाएं। यह भुजंगासन है।
आसन लाभ : खासकर इस आसन से तोंद कम होती है और फेफड़े मजबूत होते हैं। इस आसन से रीढ़ की हड्डी सशक्त होती है और पीठ में लचीलापन आता है। इस आसन से पित्ताशय की क्रियाशीलता बढ़ती है और पाचन-प्रणाली की कोमल पेशियां मजबूत बनती है। इससे पेट की चर्बी घटाने में भी मदद मिलती है। कब्ज दूर होता है। जिन लोगों का गला खराब रहने की, दमे की, पुरानी खांसी अथवा फेंफड़ों संबंधी अन्य कोई बीमारी हो, उनको यह आसन करना चाहिए।
4. शयन पाद संचालन ( shayan pad sanchalan) : लेटी हुई अवस्था में पैरों का संचालन करना ही शयन पाद संचालन आसन है। यह ठीक उसी तरह है जबकि कोई बच्चा लेटे-लेटे साइकल चला रहा हो। यह आसन दो तरह से किया जा सकता है। पहला तरीका बहुत ही साधारण है और दूसरा तरीका स्टेप बाई स्टेप है। पीठ के बल भूमि पर लेट जाएं। हाथ जंघाओं के पास। पैर मिले हुए। अब धीरे से पैर और हाथ एकसाथ उठाकर हाथ-पैरों से साइकल चलाने का अभ्यास करें। थक जाएं तो कुछ देर शवासन में विश्राम करके पुन: अपनी सुविधा अनुसार यह प्रक्रिया करें।
आसन का लाभ : इस आसन के नियमित अभ्यास से मोटापा दूर होगा और पाचन तंत्र संबंधी रोग दूर होंगे। यह आसन मधुमेह रोग को दूर करने में भी लाभदायक सिद्ध होगा। इससे तोंद हट जाएगी और आपका पेट पहले वाली स्थिति में होगा। इससे पेट की मांसपेशियां मजबूत होगी और कमजोर आंतों को भी शक्ति मिलेगी।
5. नौकासन ( Naukasana yoga) : नियमित रूप से यह आसन न सिर्फ पेट की चर्बी कम करने में मददगार है बल्कि शरीर को लचीला बनाने से लेकर पाचन संबंधी समस्याओं में यह काफी फायदेमंद साबित हुआ है। यह आसन पेट के बल और पीठ के बल लेटकर किया जाता है। पीठ के बल लेटकर किए जाने वाले आसन को विपरीत नौकासन कहते हैं। यह दोनों ही आसन करना चाहिए।
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