धर्म-अध्यात्म

आज नवरात्र के दूसरे दिन करें मां ब्रह्मचारिणी की वंदना, जानिए मां की पूजा-विधि एवं सिद्ध मंत्र

Triveni
14 April 2021 6:32 AM GMT
आज नवरात्र के दूसरे दिन करें मां ब्रह्मचारिणी की वंदना, जानिए मां की पूजा-विधि एवं सिद्ध मंत्र
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दुर्गा शक्ति के महापर्व नवरात्र में दुर्गा के 9 रूपों की पूजा-अर्चना की जाती हैं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| दुर्गा शक्ति के महापर्व नवरात्र में दुर्गा के 9 रूपों की पूजा-अर्चना की जाती हैं। शास्त्रों के अनुसार नवरात्र के दूसरे दिन मातृशक्ति देवी मां ब्रह्मचारिणी का पूजन किया जाता है। इस दिन साधक का मन स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित होता है।

भगवती दुर्गा शिवस्वरूपा हैं, गणेश जननी हैं। ये नारायणी, विष्णु माया और पूर्ण ब्रह्मस्वरूपिणी नाम से प्रसिद्ध हैं। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। नवरात्र में कैसे करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा और क्या है मां का सिद्ध मंत्र जानते है आचार्य राकेश डिमरी से–
दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी का:
नवरात्र पर्व के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। साधक इस दिन अपने मन को माँ के चरणों में लगाते हैं।
ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली।
ऐसा है मां ब्रह्मचारिणी का स्वरुप:
ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली।
इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएँ हाथ में कमण्डल रहता है।
मां ब्रह्मचारिणी को कैसे करें खुश:
इस दिन ऐसी कन्याओं का पूजन किया जाता है कि जिनका विवाह तय हो गया है लेकिन अभी शादी नहीं हुई है। इन्हें अपने घर बुलाकर पूजन के पश्चात भोजन कराकर वस्त्र, पात्र आदि भेंट किए जाते हैं।
माँ दुर्गाजी का यह दूसरा स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनन्तफल देने वाला है। इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है।
यह है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि:
-मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में मां को फूल, अक्षत, रोली, चंदन आदि अर्पण करें।
- उन्हें दूध, दही, घृत, मधु व शर्करा से स्नान कराएं और देवी को पिस्ते से बनी मिठाई का भोग लगाएं।
- इसके बाद पान, सुपारी, लौंग अर्पित करें।
- कहा जाता है कि मां पूजा करने वाले भक्त जीवन में सदा शांत चित्त और प्रसन्न रहते हैं। उन्हें किसी प्रकार का भय नहीं सताता।
स्रोत पाठ:
ब्रह्मचारयितुम शीलम यस्या सा ब्रह्मचारिणी.
सच्चीदानन्द सुशीला च विश्वरूपा नमोस्तुते..
ओम देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥
.या देवी सर्वभेतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
दधाना कर मद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू.
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा..!!
करें मां ब्रह्मचारिणी के मंत्रों का जाप:
"या देवी सर्वभू‍तेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ ब्रह्मचारिणी: ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:"
इस मंत्र का नियमित रूप से जाप करने से भय, दुख, दर्द और दरिद्रता से मुक्ति मिलती है और सभी कष्टों का शमन होता है।


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