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किसी अपने के व्यवहार में दिखे इन बदलावों को ना करें नजरअंदाज, वो हो सकते हैं डिप्रेशन का शिकार

SANTOSI TANDI
10 Aug 2023 2:41 PM GMT
किसी अपने के व्यवहार में दिखे इन बदलावों को ना करें नजरअंदाज, वो हो सकते हैं डिप्रेशन का शिकार
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वो हो सकते हैं डिप्रेशन का शिकार
आजकल की ख़बरों में आत्महत्या या सुसाइड के मामले बहुत देखने को मिल रहे हैं जिसके पीछे का मुख्य कारण अवसाद अर्थात डिप्रेशन बन रहा हैं। डिप्रेशन एक गंभीर समस्या है। इन दिनों कम उम्र में ही लोग डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वर्तमान में डिप्रेशन के साथ रहने वाले 300 मिलियन लोगों में से 50 प्रतिशत लोगों का इलाज नहीं किया जाता है। कुछ लोग इसके लक्षणों को समझने ही नहीं पाते और मन ही मन घुटते रहते हैं। ऐसे में कई बार वह गलत कदम भी उठा लेते हैं। इसलिए आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसे लक्षणों के बारे में बताने जा रहे हैं जो डिप्रेशन का इशारा करते हैं। अपनों के व्यवहार में आए इन बदलावों को देखकर आप उनकी मदद कर सकते हैं और किसी भी तरह की अप्रिय घटना को होने से रोक सकते हैं।
भ्रम और अनिश्चितता
हर कदम पर भ्रमित होने की प्रवृत्ति, धीमी सोच, और बार-बार भूलने भी डिप्रेशन के सूक्ष्म संकेत साबित हो सकते है। हालांकि, यह सच है कि निर्णय लेने में असमर्थता एक सामान्य मानव विशेषता है, लेकिन कई बार यह चिंताजनक साबित हो सकती है। यह जानना महत्वपूर्ण है कि कोई संज्ञानात्मक तरीके से कैसे काम कर रहा है। हालांकि, कोई अवसाद के भी बिना अनिश्चित हो सकता है, फिर भी हर छोटी घटना पर अचानक निराशा हो जाना धीरे धीरे डिप्रेशन का कारण बन सकता है।
चिंता और तनाव
एंजाइटी के दौरान आपको घबराहट, बेचैनी, या तनाव महसूस करना बेहद आम हो जाता है। एंजाइटी के लक्षणों में खतरे, घबराहट या डर की भावना महसूस होती है। हृदय गति तेज हो जाती है। तेजी से सांस लेना, खूब पसीना आना, कांपना या मांसपेशियों में मरोड़ होना। जिस चीज के बारे में आप चिंतित हैं, उसके अलावा किसी और चीज के बारे में स्पष्ट रूप से ध्यान केंद्रित करने या सोचने में परेशानी होना इसके लक्षण हैं।
सामाजिक वापसी और अभिव्यक्ति
यदि व्यक्ति, जो पहले अत्यधिक सामाजिक रहे हैं और किसी भी कामों से अपने आप को वापस खींचना शुरू करते हैं, यह एक तरह का अलार्म हैं। अलगाव और सामाजिक वापसी अत्यधिक आम अवसादग्रस्त लक्षण हैं। डिप्रेशन के दौरान, सामाजिक तौर पर अलग होना बीमारी को और बढ़ाता है। आप जिन चीज़ों से प्यार करते हैं उनसे धीरे-धीरे दूरी बनाना। पहले आप जिस काम को करके आनंदित महसूस करते थे चाहे खेल हो या दोस्तों के साथ बाहर जाना। लेकिन अब इन कामों में आपकी रुचि का कम होना या पीछे हटना अवसाद का एक और स्पष्ट संकेत है।
भूख में अनियमितता
डिप्रेशन के दौरान भूख बढ़ जाती है या कम हो जाती है यह आम बात है। यह एक व्यक्ति से दूसरे में भिन्न होता है।जबकि कुछ का वजन कम होने लगता है और कुछ का बढ़ने लगता है। जबकि कुछ स्थितियों में कई लोग पूरी तरह से भोजन से परहेज करते हैं, अन्य लोग पूरे दिन कुछ खाते रहते हैं। खासतौर पर उन खाद्य पदार्थों पर जो चीनी और वसा में उच्च होते हैं। डिप्रेशन के दौरान, सामाजिक तौर पर अलग होना बीमारी को और बढ़ाता है। अवसाद वाले लोगों के लिए वजन और भूख में उतार-चढ़ाव हो सकता है। यह अनुभव प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग हो सकता है। कुछ लोगों को भूख बढ़ेगी और वजन बढ़ेगा, जबकि अन्य को भूख नहीं लगेगी और वजन कम हो जाएगा।
गुस्सा
बिना किसी वैध कारण के अत्यधिक गुस्सा भी मानसिक स्वास्थ्य गिरने का एक बड़ा संकेत होता है। एक साथी, सहकर्मियों, परिवार और मित्र, या यहां तक कि अजनबियों में निरंतर स्नैपिंग भी एक संकेत है। चिड़चिड़ापन या क्रोध भी आधे से अधिक लोगों के लिए एक गंभीर और दीर्घकालिक अवसाद का सामना करने का एक लक्षण है। इसके अलावा, अनैच्छिक जिद्दीपर एक और संकेत है, जो वयस्कों और बच्चों दोनों में देखा जा सकता है।
सोशल मीडिया की लत
विशेष रूप से सोशल मीडिया अपडेट के लिए लगातार देखना, इस उम्र और समय में सामान्य चीज़ की तरह लग सकती है। यह एक प्रमुख नकारात्मक पक्ष है। बगैर रुके सोशल मीडिया में रहना एक कारण है जो अनियंत्रित डिप्रेशन को बढ़ाता है। आज के समय को ध्यान में रखते हुए, यह दिखाई देता है कि हर बार जब कोई चीज़ अपडेट होती है तो एक निश्चित स्थिती पैदा होती है। हर किसी के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि इन आदतों को सीमा में रखने में ही फायदा है और इससे चिंता को टाला जा सकता है।
सोने का तरीक़ा
नींद के दौरान होने वाली कठिनाई डिप्रेशन का लक्षण है। नींद में कठिनाई, रात के दौरान बेचैनी और सुबह उठने की इच्छा नही होना शांतिपूर्ण दिमाग के लिए रोडब्लॉक हैं। निराश मरीजों के बीच अनिद्रा बहुत आम है। कई मामलों से पता चलता है कि अनिद्रा वाले लोगों के पास अच्छी तरह सोते लोगों की तुलना में अवसाद होने की दस गुना संभावना होती है। इसलिए किसी के नींद के पैटर्न पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है।
मृत्यु की इच्छा
अवसाद कभी-कभी आत्महत्या से जुड़ा होता है। क्योंकि इस दौरान व्यक्ति कहीं और ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता और उसके जीने की इच्छा खत्म होने लगती है। आत्महत्या से मरने वाले लोग आमतौर पर पहले लक्षण दिखाते हैं। अक्सर लोग अपने जीवन को समाप्त करने में सफल होने से पहले इसके बारे में बात करेंगे या पहला प्रयास करेंगे। ऐसे में अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जो इस परिस्थिती से जूझ रहा है तो आप उसकी मदद कर सकते हैं।
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