लाइफ स्टाइल

घर में न बनाएं परीक्षा जैसा माहौल

Kajal Dubey
3 May 2023 11:23 AM GMT
घर में न बनाएं परीक्षा जैसा माहौल
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ज़्यादातर घरों में परीक्षा के दौरान ऐसा माहौल बन जाता है जैसे, कोई बड़ी ही गंभीर बात हो, पर हमें समझना चाहिए कि ऐसा करके हम बच्‍चों को डराने का ही काम करते हैं. उन्हें यूं लगने लगता है‌ कि जैसे इसके अलावा जीवन में और कुछ है ही नहीं. मैं अपने बच्‍चे को बार-बार पढ़ने के लिए नहीं टोकती. बच्‍चे ख़ुद जानते हैं कि उन्हें क्या करना है.
दसवीं कक्षा में बोर्ड परीक्षा के समय भी मेरा बेटा हर्ष सुबह दो घंटे पढ़ने के बाद कुछ देर म्यूज़िक सुनता था. थोड़ा फ्रेश होकर दोबारा पढ़ने बैठता था. दो घंटे बाद कुछ देर के लिए टीवी देखता था. शाम को ट्यूशन्स से आने के बाद वह बैडमिंटन खेलने जाता था और आने के बाद कुछ देर पढ़कर सोने चला जाता था. जब वो ख़ुद ही इतना समझदार है तो मुझे हो-हल्ला मचाने की ज़रूरत क्यों होनी चाहिए?
दरअस्ल, सारी समस्या तब पैदा होती है, जब हम बच्‍चों की परीक्षा को अपनी परीक्षा समझने लगते हैं. यदि बच्‍चा थोड़ी देर खेलने जाना चाहे या टीवी देखना चाहे तो भी मना कर देते हैं. यह ठीक है कि आप उसका समय कम कर दें, पर मना कर देना सही नहीं है. उन्हें दोस्तों से बातचीत करने और मनचाहा काम करने का समय दें. हर समय यह जताते रहने से कि परीक्षाएं सर पर हैं, कोई लाभ नहीं होनेवाला.
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