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Life Style लाइफ स्टाइल : चिलचिलाती गर्मी और उसके तुरंत बाद बारिश, ऐसा मौसम राहत दिलाने से ज्यादा उमस बढ़ाने increase the humidity का काम करता है और साथ ही वायरल इन्फेक्शन का खतरा भी। वैसे तो मौसमी बुखार 5 से 6 दिन बाद खुद से ठीक भी हो जाते हैं, लेकिन कुछ वायरल इन्फेक्शन ऐसे होते हैं, जो गंभीर रूप ले सकते हैं। सही समय पर जांच व उपचार न किया जाए तो यह खतरनाक हो सकता है। इससे बचने के लिए जरूरी है कि जरूरी सावधानियां बरतें।
सिरदर्द, खांसी, गले में खराश, बुखार, ठंड लगना, शरीर व मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, थकान, उल्टी या दस्त होना आदि।
इन्फ्लुएंजा या मौसमी बुखार इन्फ्लुएंजा नामक वायरस से होता है। जो एक से दो दिन में अपना असर दिखता है, लेकिन अच्छी बात यह है कि 5 से 7 दिनों में यह खुद से ठीक भी हो जाता है। लोग आमतौर पर इस बुखार को नॉर्मल समझ लेते हैं, लेकिन कई बार यह गंभीर रूप ले लेता है। छोटे बच्चों, बुजुर्गों या पहले से किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे व्यक्ति के लिए मौसमी बुखार गंभीर साबित हो सकता है।
कब करें डॉक्टर से संपर्क?
बुखार जब लगातार 5 से 6 दिनों तक बना रहे।
सिरदर्द, बुखार के साथ सांस लेने में भी परेशानी हो।
पानी पीने के बाद भी यूरिन कम आ रहा हो।
लगातार उल्टी या दस्त हो।
ऊपर बताए गए कोई भी लक्षण नजर आएं, तो तुरंत सावधानी बरतकर इससे आगे होने वाले खतरों को काफी हद तक कम किया जा सकता है। पांच साल तक के बच्चों से लेकर, 65 साल या इससे ज्यादा उम्र के लोगों, गर्भवती महिलाओं के अलावा हार्ट, किडनी, कैंसर के मरीजों के लिए यह खतरनाक हो सकता है।
मौसमी बुखार से बचाव का कारगर उपाय है वैक्सीन लेना। 6 महीने से ऊपर के बच्चे और बड़ी उम्र के लोग वैक्सीन ले सकते हैं। इस वैक्सीन को साल में एक बार लेना जाता है। इससे फ्लू के खतरों को कम किया जा सकता है।
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