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जब लंबे समय तक शरीर का ब्लड शुगर लेवल हाई बना रहता है तो इस शुगर यानी ग्लूकोज को एनर्जी में बदलने वाले हार्मोन इंसुलिन का उत्पादन कम हो जाता है और इस स्थिति को ही डायबिटीज कहते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस बीमारी का कोई निश्चित इलाज नहीं है.
डायबिटीज की वजह से किडनी फेलियर का खतरा
डायबिटीज की वजह से कई मरीजों को डायबीटिक नेफ्रोपैथी की बीमारी हो जाती है जो किडनी फेलियर का कारण बनती है. डायबिटीज से पीड़ित एक तिहाई लोगों को यह बीमारी अवश्य होती है. इस बीमारी से पीड़ित लोगों की भूख कम हो जाती है, जी मिचलाने लगता है, उल्टी आती है, नींद नहीं आती, हाथ, पैर और चेहरे पर सूजन हो जाती है, स्किन में खुजली होने लगती है. ब्लड शुगर को कंट्रोल करके इस बीमारी की इलाज किया जा सकता है.
डायबिटीज की वजह से नसों को भी होता है नुकसान
डायबिटीज की वजह से कुछ लोगों में नर्व पेन यानी नसों में दर्द की समस्या हो जाती है जिसे पेरिफेरल न्यूरोपैथी कहा जाता है और इस बीमारी का इलाज मुश्किल होता है. इस बीमारी में हाथ में, पैर में और उंगलियों में सुन्नता महसूस होने लगती है और कई बार बेहद तेज और चुभने वाला दर्द भी होता है. यह बीमारी टाइप 1 और टाइप 2 दोनों ही तरह के डायबिटीज के मरीजों में देखने को मिलती है.
हृदय रोग का कारण बनती है डायबिटीज की बीमारी
डायबिटीज के मरीजों को कोरोनरी आर्टरी डिजीज, कंजेस्टिव हार्ट फेलियर और हार्ट अटैक जैसे हृदय रोग होने का खतरा भी काफी अधिक होता है. नैशनल हार्ट एसोसिएसन के आंकड़ों की मानें तो डायबिटीज से पीड़ित करीब 65 प्रतिशत मरीजों के हृदय रोग से मौत का खतरा कई गुना अधिक होता है, खासकर उन लोगों के जिन्हें टाइप 2 डायबिटीज की बीमारी है. इसका कारण ये है कि डायबिटीज के मरीजों की कोरोनरी आर्टरी हार्ड हो जाती है जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है.
डायबिटीज की वजह से आंखों से जुड़ी बीमारियां
अगर शरीर में हाई ब्लड शुगर का लेवल लंबे समय तक बना रहे तो इसकी वजह से आंखों के पीछे मौजूद बेहद छोटी रक्तवाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं जिसकी वजह से रेटिनोपैथी, मोतियाबिंद, काला मोतियाबिंद और मैक्युलर एडिमा जैसी आंखों से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं. इसमें आंखों में सूजन हो जाती है, धुंधला दिखने लगता है और कई बार आंखों से तरल पदार्थ भी आने लगता है.