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शंख का पूजा और शुभ कार्यों में विशेष महत्व है. समुद्र मंथन जिन 14 रत्नों की प्राप्ति हुई थी उसमे से एक शंख भी था. आइए जानते हैं 'दक्षिणावर्ती शंख' के बारे में
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Laxmi Pujan: पूजा और शुभ कार्यों में शंख का प्रयोग अत्यंत शुभ माना गया है. हिंदू धर्म में शंख को विशेष महत्व दिया गया है. क्योंकि इस प्राप्ति समुद्र मंथन से हुई है. समुद्र मंथन देवताओं और असुरों के बीच हुआ था. समुद्र मंथन 14 रत्न प्राप्त हुए, जिसमें से एक शंख भी था.
शादी विवाह, उत्सव और अन्य मांगलिक कार्यों में शंख बजाने की परंपरा है. शंख की ध्वनि को अत्यंत शुभ और मंगलकारी माना गया है. शास्त्रों में शंख की स्थापना के नियम भी बताए गए हैं. शंखों में दक्षिणावर्ती शंख को श्रेष्ठ और शुभ मना गया है.
दक्षिणावर्ती शंख की पहचान क्या है?
जो भी शंख पाए जाते हैं वे अधिकतर वामावर्ती होते हैं. वामावर्ती शंखों का पेट बायीं तरफ खुला हुआ रहता है. जबकि दक्षिणावर्ती शंख का मुख दायीं तरफ होता है. शास्त्रों में इस शंख का कल्याणकारी और शुभ माना गया है. इसकी एक पहचान और भी बताई गई है, वो ये है कि इस शंख को कान पर लगाने से ध्वनि सुनाई देती है.
दक्षिणावर्ती शंख घर में कैसे रखें?
दक्षिणावर्ती शंख को घर में रखा जा सकता है. घर में दक्षिणावर्ती शंख का होना शुभ माना गया है. लेकिन इस घर में रखने के कुछ नियम भी बताए गए हैं, उनका ध्यान रखना भी बहुत ही जरूरी है, तभी इसका पूर्ण लाभ प्राप्त किया जा सकता है. सर्वप्रथम लाल रंग का स्वच्छ वस्त्र लें. इसके बाद दक्षिणावर्ती शंख में गंगाजल भर दें. इसके बाद इस मंत्र का एक माला जाप करें-
'ॐ श्री लक्ष्मी सहोदराय नम:'
मंत्र का जाप करने के बाद दक्षिणावर्ती शंख को लाल कपड़े में लपेट कर, मंदिर में उचित स्थान प्रदान करें. शुक्रवार के दिन इस शंख की विशेष पूजा करें. पूजा के बाद इससे बजाना चाहिए.
दक्षिणावर्ती शंख के लाभ
जिस घर में दक्षिणावर्ती शंख होता है उसके घर में लक्ष्मी जी का वास माना जाता है. ऐसे घर पर लक्ष्मी जी की विशेष कृपा बनी रहती है. आर्थिक संकट दूर होता है. शंख की ध्वनि नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करती है
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