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कोरोना होने के तुरंत बाद भी फिर से हो सकता है कोविड संक्रमण

Bhumika Sahu
16 Jan 2022 3:55 AM GMT
कोरोना होने के तुरंत बाद भी फिर से हो सकता है कोविड संक्रमण
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आईसीएमआर, जोधपुर स्थित एनआईआईआरएनसीडी (नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर इम्पलीमेंटेशन रिसर्च ऑन नॉन कम्यूनिकेबल डिसीज) के निदेशक और कम्यूनिटी मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. अरुण शर्मा कहते हैं कि अगर किसी को कोरोना का संक्रमण हो चुका है तो ऐसा नहीं है कि वह सुरक्षित है. उसको दोबारा फिर से कोविड संक्रमण हो सकता है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरोना वायरस के संक्रमण से जहां लोगों को बचाने के लिए कोशिशें की जा रही हैं, वहीं दूसरी ओर जो लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं उनको लेकर कहा जा रहा है कि संक्रमण के बाद बनने वाली एंटीबॉडीज से कोरोना के गंभीर संक्रमण को रोका जा सकता है. विश्‍व सहित भारत में इस समय फैल रहे ओमिक्रोन वेरिएंट (Omicron Variant) को लेकर भी डब्‍ल्‍यूएचओ (WHO) सहित कई अन्‍य विशेषज्ञ इस बात की संभावना जता चुके हैं कि इस संक्रमण के बाद कोरोना महामारी से राहत मिल सकती है और ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों के संक्रमित होने के कारण उनमें इस वायरस से लड़ने की क्षमता विकसित हो सकती है. हालांकि अभी भी ये सवाल बना हुआ है कि कोरोना संक्रमण के बाद एंटीबॉडीज (Antibodies) तो बन जाती हैं लेकिन क्‍या इसके तुरंत बाद कोरोना का संक्रमण (Corona Infection) फिर से हो सकता है ? अगर हां, तो इसकी क्‍या वजहें हैं ?

इस बारे में आईसीएमआर (ICMR), जोधपुर स्थित एनआईआईआरएनसीडी (नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर इम्पलीमेंटेशन रिसर्च ऑन नॉन कम्यूनिकेबल डिसीज) के निदेशक और कम्यूनिटी मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. अरुण शर्मा कहते हैं कि अगर किसी को कोरोना का संक्रमण हो चुका है तो ऐसा नहीं है कि वह सुरक्षित है. उसको दोबारा फिर से कोविड संक्रमण हो सकता है. इसकी वजह ये है कि कोरोना होने के बाद उस वायरस से लड़ने की क्षमता या इम्‍यूनिटी मरीज के खून में बनती है और वहीं काम करती है. जैसे ही कोरोना का संक्रमण होता है और फेफड़ों (Lungs) तक पहुंचता है तो वहां से खून में मौजूद इम्‍यूनिटी (Immunity) काम करना शुरू करती है और वायरस से लड़ती है और यह पूरी प्रक्रिया कोरोना का संक्रमण होने के बाद ही शुरू होती है.
डॉ. शर्मा कहते हैं कि व्‍यक्ति को कोरोना वायरस (Coronavirus) का संक्रमण मुंह या नाक के माध्‍यम से होता है और गले तक पहुंचता है. यह स्थिति माइल्‍ड लक्षण (Mild Symptoms) होने के दौरान कई दिनों तक रह सकती है यानि कि कोरोना का वायरस और संक्रमण कई दिनों तक नाक, मुंह और गले में रह सकता है. संभव है कि यह फेफड़ो तक न पहुंचे. ऐसा माइल्‍ड या असिम्‍टोमैटिक संक्रमण होने के दौरान भी होता है. यही वजह है कि जिस वक्‍त व्‍यक्ति इस वायरस का शिकार बनता है, उस वक्‍त तक खून में मौजूद इम्‍यूनिटी काम नहीं करती, यह फेफड़ों तक संक्रमण पहुंचने के बाद ही काम करती है. लिहाजा कोरोना संक्रमण के बाद एंटीबॉडीज बनने और इम्‍यूनिटी पैदा होने के बाद भी व्‍यक्ति दोबारा से फिर कोरोना संक्रमण से प्रभावित हो सकता है.
डॉ. शर्मा कहते हैं कि चूंकि कोरोना वायरस के खिलाफ हमारे पास वैक्‍सीन भी एक हथियार है और प्राकृतिक रूप से हुआ संक्रमण भी एंटीबॉडीज बनाता है तो ये संक्रमण की गंभीरता को कम तो करते हैं लेकिन ये दोनों वायरस से संक्रमित होने से नहीं रोक पाते हैं. ये वायरस के संक्रमण फैलाने के बाद उससे लड़ने के लिए कारगर हैं. ऐसे में अगर वायरस को शरीर में प्रवेश करने से रोकना है तो उसके लिए कोरोना अनुरूप व्‍यवहार ही कारगर है. मास्‍क पहनने से देखा गया है कि कोरोना संक्रमण को रोकने में काफी मदद मिली है. ऐसे में सैनिटाइजर का इस्‍तेमाल, मास्‍क, सोशल डिस्‍टेंसिंग और बेहतर पोषण युक्‍त खानपान कोरोना संक्रमण को रोकने में मददगार हैं.
भारत में पिछले 24 घंटे में ढ़ाई लाख से ज्‍यादा आए नए मामले
भारत में अब रोजाना ढ़ाई लाख से ज्‍यादा कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं. पिछले 24 घंटे में भारत में 2 लाख 68 हजार नए कोरोना संक्रमित मिले हैं. वहीं कोरोना से मरने वालों की संख्‍या भी पहले के मुकाबले बढ़ गई है. हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि विश्‍व भर में फैल रहे कोरोना के सबसे संक्रामक ओमिक्रोन वेरिएंट की वजह से कोरोना संक्रमण ज्‍यादा तेजी से फैल रहा है लेकिन यह खतरनाक नहीं है और माइल्‍ड लक्षणों के साथ हो रहा है. इसके बावजूद सावधानी और एहतियात बरतने की जरूरत है.


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