लाइफ स्टाइल

आयुर्वेद द्वारा बढ़ती उम्र के लक्षणों को नियंत्रित करें

Shantanu Roy
6 Nov 2021 1:00 PM GMT
आयुर्वेद द्वारा बढ़ती उम्र के लक्षणों को नियंत्रित करें
x
बढ़ती उम्र के साथ बालों का सफ़ेद होना, जल्दी थकान हो जाना, और चेहरे पर झुर्रियां आ जाना प्रकृतिक है। हर व्यक्ति बढ़ती उम्र के साथ तंदुरुस्त रहना पसंद करता है ताकि वह एक आनंदमई जीवन जी सके और ऐसा मुमकिन है, यदि आप अपने जीवन में दो चीज़ों को जोड़ ले - योग व आयुर्वेद।

जनता से रिश्ता। बढ़ती उम्र के साथ बालों का सफ़ेद होना, जल्दी थकान हो जाना, और चेहरे पर झुर्रियां आ जाना प्रकृतिक है। हर व्यक्ति बढ़ती उम्र के साथ तंदुरुस्त रहना पसंद करता है ताकि वह एक आनंदमई जीवन जी सके और ऐसा मुमकिन है, यदि आप अपने जीवन में दो चीज़ों को जोड़ ले - योग व आयुर्वेद।

बढ़ती उम्र के साथ त्वचा की देखभाल करना सबसे कठिन कार्य बन जाता है और ऐसी स्थिति में आयुर्वेदिक औषधियाँ किसी भी व्यक्ति को अपनी उम्र से कहीं ज़्यादा छोटा दिखने में मदद कर सकती है। आयुर्वेद भारत में प्रचलित सबसे प्राचीन चिकित्सा परंपराओं में से एक है। इसमें त्वचा के स्वास्थ्य और सौंदर्य को बनाए रखने के लिए कहीं उपाय है। आयुर्वेद के कुछ साहित्यों में लगभग 200 से अधिक जड़ी बूटियों, खनिजों और वसा का वर्णन हैं जो की शारीरिक व मानसिक दोनों रूप से बहुत लाभदायक है।
लोगों का रुझान अब आधुनिक चिकित्साओं से हट कर धीरे-धीरे आयुर्वेद के प्रति बढ़ता जा रहा है क्यूँकि यह प्रक्रिया बिना किसी साइड-इफ़ेक्ट के सौंदर्य प्रदान करती है। लोगों की मांग को पूरा करने के लिए, श्री श्री आयुर्वेद पंचकर्म एक विशेष श्रेणी की चिकित्सा प्रदान करता है जो विभिन्न प्राकृतिक तकनीकों के माध्यम से त्वचा में कसाव और सुंदरता प्रदान करती है।
इस तरह की एक विशेष और प्रसिद्ध चिकित्सा में से एक 'काया लेपम'। काया लेप दूध, चावल का सत्त और हर्बल पाउडर का प्राकृतिक मिश्रण है। यह लेप मृत कोशिकाओं को खत्म करने में मदद करता है, चेहरे के रंग-रूप को सुधरता है और त्वचा में कसाव लाता है। यह पुरानी आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रकृति से प्राप्त जड़ी-बूटियों के साथ तैयार की जाती है और तत्काल उपयोग के लिए ताजा-ताज़ा पीस कर तैयार की जाती है।
इसके अतिरिक्त, अन्य आयुर्वेदिक त्वचा की देखभाल संबंधी उपचार है, जो कि पुरुषों और महिलाओं की सभी प्रकार की त्वचा के लिए बने हैं। कुछ उपचार जिसमें शामिल हैं:
दरवी लेपम य हल्दी बॉडी लेप : यह एक आयुर्वेदि लेप है जो कि विशेष रूप से हरिद्रा खंड और विदेशी जड़ी बूटियों के संयोजन के साथ विकसित किया गया है। यह पुरुष और महिला दोनों के लिए एक प्राकृतिक शुद्धिकरण के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो कि त्वचा को निखारता है और पूरे शरीर को पोषण प्रदान करता है, जिसके परिणामस्वरूप त्वचा का रंग-रुप उज्ज्वल हो जाता है।
हरितकालेपम य क्लोरोफिल बॉडी लेप : इस लेप को मैरिंगा ओलाइफेरा(सहजन) की पत्तियों से तैयार किया जाता है। पत्तियों को श्री श्री आयुर्वेद के चिकित्सीय उद्यान से हाथों से चुना जाता है और पवित्र सुखोष्ण(गंध व स्वाद रहित) जल के साथ ताज-ताजा पीस कर सुगंधित पेस्ट बनाया जाता है। विटामिन, प्रोटीन और खनिजों के समृद्ध श्रृंखलासमूह के साथ, हरितकालेप त्वचा की कोशिकाओं के लिए एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट का काम करता है, साथ ही साथ त्वचा को नमी, पोषण प्रदान करता है और शुद्ध करता है।
कायालेपम : यह चावल का सत्त , हर्बल पाउडर, नारियल और बादाम के दूध के एक अद्वितीय संयोजन से तैयार किया जाता है जो त्वचा में कसाव लाता है। यह लेप मृत कोशिकाओं को समाप्त करता है, रंग-रुप सुधारता है और त्वचा में कसाव लाता है।
शहद और तिल बॉडी लेप : स्वदेशी शहद और तिल के साथ तैयार सौम्य प्राकृतिक बॉडी लेप, निष्क्रिय त्वचा कोशिकाओं की परत उतारता है।
नीम बॉडी लेप : नीम के पत्तों से एक शीतल गाढ़ा घोल तैयार किया जाता है। नीम जिसकी दैवीय उत्पत्ति 'अमृत' की बूंदों से मानी जाती है, नीलगिरी के तेल के साथ मिलाकर दर्द को दूर करने और सूरज की किरणों के अत्यधिक सम्पर्क में रहने से क्षतिग्रस्त हुई त्वचा की परत को उतारने में प्रयोग करते हैं, जिससे आपकी त्वचा चिकनी और उज्ज्वल हो जाती है।
फलों का बॉडी लेप : ताजा जैविक फलों के गूदे और तेलों के सम्मिश्रण से तैयार विषहरण और जलयोजित लेप जो कि त्वचा को टोन करता है व अनुकूल बनाता है।यह आपके शरीर को तरुण चमक व रेशमी कोमल अहसास के साथ कसा हुआ व स्वस्थ बनाता है।
सब्जियों का बॉडी लेप : इस बॉडी लेप को एंटीऑक्सिडेंट समृद्ध सब्जियों के गूदे तथा सब्जियों के सत्त से तैयार करते हैं। यह त्वचा को टोन करता है और कोशिकाओं में कसाव लाता है। इन सामग्रियों को साथ में मिलाने से त्वचा में एक युवा चमक आती है।
चंदन बॉडी लेप : ताजे पिसे हुए चंदन पेस्ट से तैयार एक उन्नत बॉडी लेप, एक एंटी-जैविक तत्व है जिससे त्वचा से झाईयों को साफ किया जाता है, त्वचा को नमी प्रदान करने के साथ कान्तिमय चमक देता है।
इन मौलिक परम्पराओं के परिणामस्वरूप त्वचा मुलायम, तरोताज़ा और कांतिमय बनती है; आपमें आयुवृद्धि के कोई संकेत नहीं दिखाई देते, आप नवयुवा व ताज़ा दिखते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, बहुत से कारक हैं जो त्वचा के स्वास्थ्य को निर्धारित करते हैं।
इनमें शामिल हैं, उचित नमी संतुलन (कफ असंतुलन), चयापचय तंत्रों का प्रभावी कामकाज जो त्वचा की सभी विभिन्न रसायनिक और हार्मोनल अभिक्रियाओं (पित्त असंतुलन) का प्रभावी समन्वय करता है और त्वचा की विभिन्न परतों में रक्त और पोषक तत्वों का प्रभावी परिसंचरण (वात असंतुलन)।
एक प्रभावी आयुर्वेदिक आयुवृद्धि विरोधी कॉस्मेटिक इन सभी तीन क्षेत्रों को समर्थन प्रदान करता है। वात त्वचा को युवा रखने के लिए, त्वचा को पोषित किया जाना चाहिए और झुर्रियाँ और समय से पूर्व आयुवृद्धि से बचने के लिए पुन: हाइड्रेट किया जाना चाहिए। इसमें गर्म तेल से स्वयं मालिश और सभी प्राकृतिक नमीप्रदायक क्रीम मददगार हैं। पित्त त्वचा के लिए, सूरज से सुरक्षा के लिए अच्छे धूपरोधक का और बेहतरीन चेहरे की त्वचा के तेलों का रोजाना इस्तेमाल किया जाना चाहिए। कफ त्वचा के लिए, प्रतिदिन गर्म तेल की मालिश और कोमलता के साथ परत उतारते हुए त्वचा की सफाई की सलाह दी जाती है।


Next Story