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सोच-समझकर करें बच्चों से संवाद, इन बातों का उनपर पड़ता हैं बुरा असर

SANTOSI TANDI
15 Jun 2023 2:06 PM GMT
सोच-समझकर करें बच्चों से संवाद, इन बातों का उनपर पड़ता हैं बुरा असर
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सोच-समझकर करें बच्चों से संवाद
बच्चों की परवरिश करना पेरेंट्स की जिम्मेदारी होती हैं जो कोई आसान काम नहीं हैं। पेरेंट्स को अपने बच्चों को अनुशासन के साथ ही सही सीख भी देनी होती हैं। कहते हैं बच्चे कोरे कागज की तरह होते हैं, जिनमें माता-पिता, समाज और परिवार के लोग रंग भरते हैं। बच्चों का अपने आसपास का वातावरण पर बहुत प्रभाव पड़ता हैं। ऐसे में आप अपने बच्चों से क्या बात कर रहे हैं, यह भी बहुत मायने रखता हैं। बच्चों को अनुशासित रखने के लिए या सुधारने के लिए हम कई बार उनसे ऐसी बात कह बैठते हैं, जो उनके कोमल मन पर नकारात्मक छाप छोड़ जाता है। लंबे समय में ऐसी बातें बच्चों के व्यवहार और क्षमता को भी प्रभावित करती हैं। तो आइये जानते हैं उन बातों के बारे में जो बच्चों से कभी भी ये बातें नहीं कहनी चाहिए।
तुम हमेशा गलत फैसला लेते हो
अपने बच्चे को अपरिपक्व होने की सजा ना दें। हर इंसान गलती करता है और अपनी गलतियों से ही सीखता है। हो सकता है कि आपके बच्चे ने पढ़ाई के लिए कोई ऐसा सब्जेक्ट चुना हो जिसमें आपकी रूचि न हो या किसी ऐसी कंपनी में काम कर रहा हो जिस पर आपको बहुत गर्व न हो। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप अपने बच्चे को उसके फैसले के लिए दोषी ठहराएं। पैरंट होने के नाते आपका काम बच्चे को गाइड करना है। अपने विचार बच्चों पर न थोपें।
काश मैंने तुम्हें पैदा होते ही मार दिया होता
मां-बाप बच्चों से परेशान होते हैं, तो गुस्से में कई बार ये वाक्य बोल देते हैं। इसी तरह कई बार दुलार में बच्चे को उसकी गलती का एहसास दिलाने के लिए भी मां-बाप हंसते हुए ऐसा बोल देते हैं। मगर इस बात का असर भी बच्चे के मन पर बुरा पड़ता है। हम अक्सर यही समझते हैं कि सेल्फ रिस्पेक्ट या आत्म सम्मान जैसी चीज बड़ों में ही पाई जाती है। लेकिन सच्चाई ये है कि छोटे बच्चों का भी आत्म सम्मान होता है, जिसे ठेस पहुंचाने से उनके अवचेतन मस्तिष्क पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए बच्चों को कभी भी ये वाक्य न कहें भले ही उसने कितनी भी बड़ी गलती की हो।
कई बार हम अपने बच्चों में ही न चाहते हुए भी भेदभाव दर्शा देते हैं। अपने बच्चे की तुलना किसी दूसरे बच्चे से न करें। दूसरा बच्चा आपके बेटे या बेटी से तेज है या खूबसूरत है, इस तरह की तुलना न करें। इससे बच्चे में हीन भावना पनपने लगेगी। वह उस बच्चे से भी अच्छी तरह बात नहीं करेगा, जिससे उसकी तुलना की जाती है।
तुम्हें खुद पर शर्म आनी चाहिए
यह बयान अपने आप में बेहद कठोर है और किसी भी बच्चे को ऐसा कहना पूरी तरह से गलत है। बहुत से बच्चे ऐसे होते हैं जिनकी शैतानियां इतनी ज्यादा होती हैं कि वह किसी कि नहीं सुनते। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप अपने बच्चे को इस तरह से बोलें। बच्चों को अच्छे और बुरे के बीच का फर्क समझाने के और भी तरीके हो सकते हैं।
तुम मुझे हमेशा दुखी करते हो
कई बार ऐसा होता है कि बच्चे कुछ ऐसा कर जाते हैं, जो उनके मम्मी- पापा को अच्छा नहीं लगता। उनके खिलाफ काम कर जाते हैं। ऐसा बच्चे जानकर नहीं करते हैं, हां कुछ बच्चे होते हैं जो जानकर भी ऐसा करते हैं। लेकिन इस तरह के वाक्य कहने से आपके बच्चे को अपने निर्णय पर खराब महसूस होगा। संभव है कि वह आपको खुश करने के लिए आपकी मांगों को पूरा करे लेकिन इस तरह से आप उसके खुश रहने के हक को उससे ही छीन रहे होते हैं। अपने बच्चों को स्वयं निर्णय लेने दें।
तुमसे अच्छा तो तुम्हारा भाई या बहन है
कई बार मां-बाप बच्चों को यह कहते पाए जाते हैं कि तुम अपने भाई/बहन/दोस्त जैसा कभी नहीं बन सकते या तुमसे अच्छा तो अमुक पड़ोसी का बच्चा है। इस तरह की नकारात्मक बातें बच्चों के सामने करना ठीक नहीं है। हर बच्चे की अपनी क्षमता और अपना सामर्थ्य होता है। बच्चा उसी अनुसार काम करता है और निर्णय लेता है। इसलिए आपको अपने बच्चे की तुलना किसी और से नहीं करनी चाहिए। इससे बच्चे के मन में ये भावना घर कर जाती है कि वो कभी भी अच्छा नहीं कर सकता है।
मोटापे का एहसास
आप डायट पर हैं या अपना वजन घटाना चाहती हैं, यहां तक तो ठीक है। पर यह बात बच्चों के सामने जाहिर न करें। बच्चे बेवजह में वेट को लेकर सतर्क हो जाते हैं और खाना ठीक से नहीं खाते। इसलिए बार-बार उनके सामने वेट मशीन पर खड़ी न हों और न ही उनसे ये कहें कि आजकल आप वजन घटाने की मुहिम में जुटी हैं।
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