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लाइफ स्टाइल
कोल्ड ड्रिंक और जंक फूड बन सकता कम उम्र में मौत कारण,हार्वर्ड रिसर्च में डराने वाला खुलासा
Sanjna Verma
22 May 2024 11:13 AM GMT
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हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की एक नई रिसर्च ने उन लोगों के लिए खतरे की घंटी बजाई है जिन्हें जंक फूड का ज़्यादा शौक है. रिसर्च में बताया गया है कि जो लोग नियमित रूप से बाहर का बना हुआ अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाना खाते हैं, उन्हें समय से पहले मौत का खतरा ज़्यादा होता है. यानी उनकी मृत्यु औसत उम्र से पहले हो सकती है.यह कोई छोटा-मोटा अध्ययन नहीं है. 30 सालों से ज़्यादा समय तक 1 लाख 14 हज़ार लोगों की खानपान की आदतों और जीवनशैली पर नज़र रखने के बाद यह रिपोर्ट तैयार की गई है.
आइए, पहले समझते हैं कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाना क्या होता है?
अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाने की कोई एक परिभाषा नहीं है, लेकिन सामान्य तौर पर इसमें ऐसे तत्व होते हैं जिनका इस्तेमाल घर में खाना बनाने में नहीं किया जाता. और ये तत्व खुद सेहत को भारी नुकसान पहुंचाते हैं. जैसे कि प्रिजर्वेटिव्स, रंग और कृत्रिम मिठास. ऐसा खाना जिसमें संतृप्त वसा की मात्रा ज़्यादा होती है और पोषक तत्वों और फाइबर की कमी होती है.अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाने को कॉस्मेटिक फूड भी कहा जाता है. इसमें खाने के प्राकृतिक तत्वों को हटाकर कृत्रिम तत्वों से बदल दिया जाता है. इससे इसके पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं. प्रोसेस्ड खाने में केक, पेस्ट्री, नूडल्स, कैंडी, चिप्स, रेडी-टू-ईट खाना, ज़्यादा चीनी वाले पेय पदार्थ आदि शामिल हैं.
रिसर्च में क्या पता चला?
यह अध्ययन मेडिकल जर्नल बीएमजे में प्रकाशित हुआ है और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाने के सेवन से जुड़े जोखिमों के बारे में बताता है.
अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाना ज़्यादा खाने से मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है.
जो लोग नियमित रूप से अल्ट्रा-प्रोसेस्ड मीट का सेवन करते हैं, उन्हें समय से पहले मृत्यु होने की संभावना 13% ज़्यादा होती है.
ज़्यादा मीठा और कृत्रिम चीनी (कोल्ड) ड्रिंक्स का सेवन करने वालों में जल्दी मौत का खतरा 9% ज़्यादा होता है.
लगभग 34 साल तक चले इस अध्ययन के दौरान, शोधकर्ताओं ने 48,193 मौतों की पहचान की, जिसमें कैंसर से 13,557 मौतें, हृदय रोगों से 11,416 मौतें, सांस की बीमारियों से 3,926 मौतें और न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों से 6,343 मौतें शामिल थीं.
यह निष्कर्ष निकाला गया है कि लंबी उम्र के लिए कुछ प्रकार के अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाने के सेवन को सीमित करना ज़रूरी है. अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाने के वर्गीकरण में सुधार की भी ज़रूरत है.इससे पहले प्रकाशित कई अन्य अध्ययनों में भी अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाने और कैंसर, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं, टाइप 2 मधुमेह और समय से पहले मौत के बीच संबंध पाया गया है. अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाना अब आम आदमी के खाने का एक ज़रूरी हिस्सा बन गया है, खासकर पश्चिमी देशों में. वहां के लोगों के रोज़ के खाने का आधा हिस्सा अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाना होता है. युवाओं और कम आय वाले लोगों में यह अनुपात 80% तक बढ़ सकता है.कुल मिलाकर, निष्कर्ष यह है कि अगर आप स्वस्थ रहना चाहते हैं और लंबी उम्र तक जीना चाहते हैं, तो अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाने से दूर रहें. ताज़ा और अपने घर के किचन से अटूट प्रेम रखें.
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Sanjna Verma
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