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ठंडियों में बच्चे हो गए हैं आलसी? जानिए एक्टिव बनाने के ये टिप्स

Shiddhant Shriwas
25 Jan 2022 11:22 AM GMT
ठंडियों में बच्चे हो गए हैं आलसी? जानिए एक्टिव बनाने के ये टिप्स
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सोशल मीडिया के इस दौर में बच्चे पहले की तरह एक्टिव और ऊर्जावान होने की जगह बेहद आलसी और बहाने बाज बनते नजर आ रहे हैं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| आलसी बच्चों को इस तरह बनाएं एक्टिव-

सोशल मीडिया के इस दौर में बच्चे पहले की तरह एक्टिव और ऊर्जावान होने की जगह बेहद आलसी और बहाने बाज बनते नजर आ रहे हैं। सर्दियों में खासकर बच्चे ज्यादा आलसी हो जाते हैं। जिसका सीधा असर उनकी मानसिक और शारीरिक सेहत पर पड़ता है। बच्चों का आलस आज ज्यादातर माता-पिता के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। ऐसे में बच्चों को माता-पिता को चाहिए कि वो अपने बच्चे को मारने या डांटने की जगह कुछ आसान तरीके अपनाकर एक्टिव बनाएं।
पहले खुद बनें एक्टिव-
माता-पिता अपने बच्चे के लिए उसके सबसे पहले टीचर होते हैं। बच्चे अक्सर वही काम करते हैं जो उनके सामने माता-पिता करते हैं। ऐसे में अपने बच्चों को एक्टिव बनाने के लिए सबसे पहले माता-पिता को खुद अपने अंदर आलस ता त्याग करके सुबह उठकर मॉर्निंग वॉक करें या एक्सरसाइज करें। उन्हें एक्सरसाइज या वॉक करता देख बच्चा भी प्रोत्साहित होकर अपनी दिनचर्या में वॉक और एक्सरसाइज जैसी चीजों को शामिल करेगा।

ना करें रोक टोक-

ध्यान रखें, जरूरत से ज्यादा रोक टोक आपके बच्चे का जीवन खराब कर सकती है। ऐसा करने से बच्चे का मनोबल कमजोर हो सकता है जिसका असर उसकी एक्टिवनेस पर भी पड़ सकता है। इससे अलग ज्यादा रोक टोक के कारण बच्चा आपसे दूर भी हो सकता है। ऐसे में बच्चे के साथ फ्रेंडली नेचर रखना जरूरी है, तभी आप उसका आलस दूर कर पाएंगे।

रोज नहाना है जरूरी-

सर्दियों में अक्सर बच्चे आलस की वजह से रोज नहीं नहाना चाहते हैं। जिसकी वजह से वो न तो फ्रेश महसूस करते हैं और ना ही ऊर्जावान। ऐसे में माता-पिता की जिम्मेदारी है कि सुबह उठकर बच्चों को रोज नहाने के लिए प्रेरित करें।

सुबह उठते ही बिस्तर बनवाएं-

सर्दियों में आलस की वजह से बच्चे पूरा दिन बिस्तर में कंबल या रजाई के अंदर घुसे रहते हैं। बिस्तर में मिलने वाली गरमाईश बच्चों को आलसी बना सकती हैं। इसलिए जरूरी है कि सुबह उठकर सबसे पहले आप बच्चों से उनके बिस्तर उठवाएं। सारा दिन बिस्तर में घुसे रहने से बच्चे न केवल आलसी बन सकते हैं बल्कि उनकी शारीरिक गतिविधियां भी कम हो जाती है। जिसका सीधा असर उनके शारिरीक और मानसिक विकास पर पड़ता है।


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