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डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए चिचिंडा

Apurva Srivastav
4 Jun 2023 2:41 PM GMT
डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए चिचिंडा
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गर्मी के मौसम में बाजार में हरी सब्जियों का अंबार लग जाता है। वैसे तो सभी हरी सब्जियां आपके लिए फायदेमंद होती हैं लेकिन इन्हीं हरी सब्जियों में से एक है चिचिंडा. जिसे हम अंग्रेजी में स्नेक गॉर्ड के नाम से जानते हैं। इस सब्जी के सेवन से आप काफी हद तक वजन कम कर सकते हैं। इसमें हर तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं. जैसे विटामिन बी6, विटामिन सी, विटामिन ए, विटामिन ई, कैल्शियम, आयरन, जिंक। अगर आप इनका नियमित सेवन करते हैं तो यह मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करता है और शरीर की चर्बी को तेजी से कम करता है। आइए जानते हैं चिचिंडा वजन को नियंत्रित करने में किस तरह मददगार है। इसके अतिरिक्त और कौन-सी समस्याएँ हैं ये समाधान?
वजन घटाने में सहायता करता है
चिचिंडा में फाइबर की मात्रा बहुत अच्‍छी होती है। अगर आप फाइबर युक्त भोजन कर रहे हैं तो यह आपके पेट को लंबे समय तक भरा रख सकता है और जब आप संतुष्ट हो जाते हैं तो आपको फास्ट फूड या अतिरिक्त जंक फूड खाने की लालसा नहीं होती है। इस तरह आपको बार-बार खाने की जरूरत महसूस नहीं होती और आपका वजन भी बना रह सकता है। जो लोग वजन कम करने के मिशन पर हैं उन्हें अपनी डाइट में चिचिंडा को जरूर शामिल करना चाहिए।
पाचन तंत्र सही रहता है
चिचिंडा खाने से आपका पाचन तंत्र बेहतर होता है। कब्ज की समस्या में भी चिचिंडा कई फायदे पहुंचा सकता है। कब्ज होने पर पता चलता है कि पेट ठीक से साफ नहीं होता है, ऐसे में आपको चिचिंडा को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए। इसमें अच्छी मात्रा में फाइबर भी होता है और इसका रेचक प्रभाव भी होता है जो कब्ज की स्थिति में पेट को साफ करने में मदद करता है।
मधुमेह में लाभकारी
डायबिटीज के मरीज चिचिंडा को अपनी डाइट में जरूर शामिल करें। यह दवा की तरह ही काम करता है। इसमें एंटी-डायबिटिक गुण होते हैं जो ब्लड ग्लूकोज लेवल पर काम करते हैं और डायबिटीज को कंट्रोल में रखते हैं।
दिल के लिए अच्छा है
चिचिंडा की सब्जी का हृदय स्वास्थ्य पर लाभकारी प्रभाव पड़ सकता है। चिचिंडा में कुकुर्बिटासिन बी, कुकुर्बिटासिन ई, कैरोटेनॉयड्स और एस्कॉर्बिक एसिड होते हैं जो एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि के रूप में कार्य करते हैं। एंटीऑक्सिडेंट मुक्त कणों के कारण होने वाली ऑक्सीडेटिव चेन रिएक्शन को रोकने का काम कर सकते हैं, इससे ऑक्सीडेटिव क्षति को कम किया जा सकता है। ऑक्सीडेटिव क्षति से हृदय रोग हो सकते हैं।
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