लाइफ स्टाइल

पनीर का प्राचीन ग्रंथों में भी है जिक्र, जानिए इसका बेहद दिलचस्प इतिहास

Ritisha Jaiswal
21 Aug 2022 9:13 AM GMT
पनीर का प्राचीन ग्रंथों में भी है जिक्र, जानिए इसका बेहद दिलचस्प इतिहास
x
भारत देश हजारों सालों से कृषि प्रधान देश रहा है. इसके चलते यहां दुधारू पशुओं को पालने की परंपरा भी वर्षों पुरानी है.

भारत देश हजारों सालों से कृषि प्रधान देश रहा है. इसके चलते यहां दुधारू पशुओं को पालने की परंपरा भी वर्षों पुरानी है. इसका परिणाम यह निकला है कि दूध और उससे बने पदार्थ हमारी जरूरतें और आदतों में शुमार हैं. इन्हीं पदार्थों में एक पनीर है, जो शरीर के लिए शानदार आहार है. पनीर में कैल्शियम, प्रोटीन और कैलोरी का भंडार है. यह तत्व शरीर की हड्डियों को मजबूत रखते हैं, पाचन सिस्टम को दुरुस्त बनाते हैं साथ ही गठिया जैसे गंभीर रोगों से दूर रखते हैं. प्रमाण बताते हैं कि पनीर का निर्माण भारत में ही हुआ, लेकिन कुछ मानते हैं कि यह बाहर से आया है.

पनीर के बिना अधूरा है भारत का जीवन
भारत को लेकर किंवदंती है कि यह 'सोने की चिड़िया' रहा है और यहां 'दूध-दही की नदियां' बहती थी. सोने की चिड़िया की बात तो फिर कभी. आप जानते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण ने द्वापर युग में अवतार लिया था और यह युग ही दूध-दही का युग माना जाता है. श्रीकृष्ण के अधिकतर बाल वृत्तांतों में पशु-धन, दूध व उससे बने पदार्थों से जुड़े हुए हैं. यानी दूध-दही-पनीर की महत्ता भारत बहुत पहले ही जान चुका था.
अब आज की बात करें तो देश का कोई उत्सव या कार्यक्रम पनीर के बिना अधूरा है. एक से एक डिश बनती हैं पनीर से शाही पनीर, मटर पनीर, पनीर भुजिया से लेकर पनीर पकौड़ा, टिक्का और पनीर पराठा तक. अनेकों मिठाइयों में तो पनीर ही स्वाद लाता है. मान लीजिए कि दूध-पनीर भारतीयों के डीएनए में हजारों सालों से मौजूद है. शाकाहारी भारत में नॉनवेज का शानदार विकल्प है पनीर.
क्या विदेशियों की देन है पनीर?
कुछ इतिहासकारों व फूड स्पेशलिस्ट ने पनीर को विदेशी बताने का प्रयास किया और उसके लिए जो तर्क और उदाहरण दिए, उसके पुख्ता प्रमाण उनके पास नहीं है. जैसे कि यह कहा गया कि भारत को पनीर बनाने की कला पुर्तगालियों ने सिखाई. कुछ का कहना था कि इनसे पहले अरबों के साथ पनीर भारत में आ चुका था और मुगलों ने भारत को पनीर का स्वाद चखवाया. लेकिन आप देखेंगे कि मुगल बादशाह अकबर के काल में लिखे 'अकबरनामा' में पनीर का जिक्र नहीं है. वैसे इस बात में कोई शक नहीं है कि पनीर फारसी शब्द पेनिर (Paynir) से लिया गया है.
दो-एक इतिहासकार मंगोलों को भी पनीर का जनक मानते हैं, लेकिन इसके पुख्ता प्रमाण नहीं हैं. उनका यह भी तर्क है कि श्रीकृष्ण काल में दूध, दही, मक्खन आदि का तो वर्णन है, लेकिन पनीर का जिक्र नहीं है. तर्क यह है कि उस काल में दूध को फाड़ना अशुभ माना जाता था.
ऋग्वेद व सिंधु घाटी की सभ्यता में वर्णन?
अब भारत की बात करें तो भारत के चारों वेदों में से एक ऋग्वेद में एक श्लोक है कि 'दृते॑रिव तेऽवृ॒कम॑स्तु स॒ख्यम्. अच्छि॑द्रस्य दध॒न्वत॒: सुपू॑र्णस्य दध॒न्वत॑:॥' (ऋग्वेद, 6.48.18). इसमें दूध से बने मोटे पदार्थ का वर्णन है, जिससे मित्रता का उदाहरण दिया गया है. सिंधु घाटी की सभ्यता की खुदाई में मिट्टी के बने पशुधन के पुतले पाए गए हैं. कहा गया है कि उस काल में पनीर बनता तो था, लेकिन उसे खट्टे फलों, पत्तों, छाल आदि से तैयार किया जाता था. कोई बात नहीं, आगे चलते हैं. फूड स्कॉलर दावा कर रहे हैं कि कुषाण-सतवाना युग (75-300 ईस्वी) में गर्म और अम्लीय दूध का प्रमाण मिलता है. तर्क यह है कि अगर किसी वस्तु या खाद्य पदार्थ का नाम बदल गया है तो इसका अर्थ यह नहीं है कि भारत के लोग उसे जानते ही नहीं होंगे.
'चरकसंहिता' में दुधारू पशुओं के दूध के हानि-लाभ
अब आपको इस बात के पुख्ता सबूत देते हैं कि हजारों साल पूर्व भारत में पनीर बनाया और खाया जा रहा है. ईसा पूर्व सातवीं-आठवीं शताब्दी में लिखे गए आयुर्वेदिक ग्रंथ 'चरकसंहिता' में जितने भी दुधारू पशु हैं, उसके गुण-अवगुण का सूक्ष्मता से विश्लेषण किया गया है.
असल में माना जाता है कि इस ग्रंथ में शरीर को स्वस्थ रखने के अलावा बीमारियों और उसके आयुर्वेदिक इलाज की जानकारी होगी, यह ठीक है. लेकिन आहार और पेय-पदार्थ के गुण-अवगुण भी शरीर पर प्रभाव छोड़ते हैं, उनका वर्णन भी इस ग्रंथ में विस्तार से है. इस ग्रंथ के 'दुगधवर्ग' अध्याय में दूध की किस्मों और उससे बनने पदार्थों का वर्णन है.
'तक्रपिण्डक' है पनीर
इस ग्रंथ में गाय, भैंस, ऊंटनी, घोड़ी, गदही, बकरी के अलावा हथिनी के दूध के गुण-अवगुणों का वर्णन है. इसके अलावा दूध से बने पदार्थों का भी जिक्र है. इस अध्याय के अंतिम श्लोक में 'तक्रकूर्चिका' का वर्णन है. कहा गया है कि दूध को उबालते वक्त उसमें कुछ 'द्रव्य' डालने से वह फट जाता है. यह प्रोसेस 'तक्रकूर्चिका' कहलाता है. अब इसके बाद इसमें से जल को अलग कर लिया जाए, तो जो भाग बचेगा वह 'तक्रपिण्डक' कहलाता है. यह भारी, रुखा, संग्रह करने योग्य लेकिर कब्ज पैदा करने वाला होता है. हम मानते हैं कि असल में यही पदार्थ पनीर है.
तर्क किया जा सकता है कि तक्र (संस्कृत शब्द) का अर्थ तो छाछ होता है और यह मक्खन बनाने की विधि बताई जा रही है. लेकिन इस अध्याय में अलग से मक्खन (नवनीतं), घी (घृतं), दही (दधि), मन्दक (पूरी तरह न जमा दही) और छाछ (तक्र) के अलग से गुण-अवगुण बताए गए हैं. विशेष बात यह है कि इस अध्याय में पीयूष (colostrum)] जिसे खीस या नवदुग्ध भी कहा जाता है और बछड़ा देने के बाद गाय करीब 7 दिन तक देती है, उसके भी लाभ-हानि का जिक्र है.
कैलोरी, प्रोटीन और कैल्शियम से भरपूर है पनीर
एक किलो पनीर बनाने में करीब पांच किलो दूध खर्च होता है तो माना जा सकता है कि शरीर और सेहत के लिए पनीर कितना लाभकारी है. 100 ग्राम पनीर में औसतन कैलोरी 296, वसा (Fat) 22 ग्राम, सेचुरेटेड फेट 14, कार्बोहाइड्रेट 4.5 ग्राम, प्रोटीन 20 ग्राम और कैल्शियम 480 एमजी होता है. यही अवयव शरीर की हड्डियों, दोतों और मसल्स को मजबूत बनाने में मदद करते हैं. यह शरीर की इम्यूनिटी भी बढ़ाता है और स्किन में भी चमक लाता है.
फूड एक्सपर्ट व होमशेफ सिम्मी बब्बर का कहना है कि पनीर में भरपूर कैलोरी होती है, इसलिए यह शरीर को तुरंत ऊर्जा देता है. इसमें पाए जाने वाले तत्व पाचन सिस्टम में लगातार सुधार करते है, जिससे शरीर का इंसुलिन कंट्रोल में रहता है. पनीर लिनोलिक एसिड का एक बड़ा स्रोत है जो शरीर की चर्बी को जलाने में मदद करता है. पनीर में पाए गए विशेष तत्व शरीर को जोड़ों के दर्द और गठिया से बचाते हैं. इसकी दैनिक नियमित खुराक से आप पूरे जीवन गठिया के रोग से बचे रह सकते हैं.
अधिक सेवन कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है
फूड एक्सपर्ट के अनुसार पनीर में पोटेशियम भी पाया जाता है. इसकी मौजूदगी ब्लड प्रेशर के उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करती है, जिससे स्ट्रोक का खतरा भी कम हो जाता है. इसमें खास तरह के तरल पदार्थ भी होते हैं जो मांसपेशियों की ऐंठन को रोकने में मदद करते हैं. तभी खिलाड़ियों को अतिरिक्त मात्रा में पनीर दी जाती है. पनीर का संतुलिन सेवन शरीर के लिए अमृत समान है, लेकिन अधिक सेवन कई परेशानियां पैदा कर सकता है. इसमें वसा भरपूर होता है, अगर शरीर एक्टिव है और आप एक्सरसाइज वगैरह कर रहे हैं तो ठीक, वरना यह कोलेस्ट्रॉल बढ़ा देगा. इसका अधिक सेवन ब्लड प्रेशर डॉवाडोल कर सकता है, जिससे हार्ट संबंधी परेशानी हो जाएगी. जिन लोगों को डेयरी एलर्जी है, उन्हें पनीर खाने से एलर्जी हो सकती है. यह हमेशा ध्यान रखें कि विश्वसनीय दुकान से पनीर खरीदें या ब्रांडेड कंपनी का पनीर खाएं. वरना यह उलटा असर करने लगेगा.


Next Story