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चाणक्य नीति: धन और जीवन को तबाह कर सकते हैं ऐसे लोग, सदैव बनाएं दूरी

Gulabi
17 March 2021 8:29 AM GMT
चाणक्य नीति: धन और जीवन को तबाह कर सकते हैं ऐसे लोग, सदैव बनाएं दूरी
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चाणक्य नीति

संसार में अनेक प्रकार के लोग वास करते हैं. इनमें कई ऐसे लोग होते हैं जो आपके करीबी होने का ढोंग करते हैं लेकिन वास्तव में वो आपके सबसे बड़े दुश्मन होते हैं. चाणक्य ने एक श्लोक के माध्यम से ऐसे लोगों के बारे में बताया है और इनसे बचकर रहने की सलाह दी है. आइए जानते हैं इनके बारे में...

परस्परस्य मर्माणि ये भाषन्ते नराधमाः।
त एव विलयं यान्ति वल्मीकोदरसर्पवत्।।

चाणक्य इस श्लोक में बताते हैं कि जो लोग एक-दूसरे के गुप्त रहस्यों को उजागर कर देते हैं, ऐसे व्यवक्तियों को चाणक्य ने पतित, अधम और दुष्ट कहा है. आचार्य कहते हैं कि वे कहते हैं कि ऐसे व्यक्ति पहले तो एक-दूसरे को अपमानित कर आनंद का अनुभव करते हैं, लेकिन बाद में बांस में फंसे सर्प की भांति उनका नाश हो जाता है. मनुष्य को ऐसे व्यक्तियों से बचकर रहना चाहिए. ऐसे लोग आपका धन और जीवन, दोनों को नष्ट करने की फिराक में रहते हैं.

गन्धः सुवर्णे फलमिक्षुदण्डे नाकारि पुष्पं खलु चन्दनेषु।
विद्वान् धनाढ्यो न तु दीर्घजीवी धातुः पुरा कोपि न बुद्धिदोभूत।।

जिस प्रकार सोने में सुगंध, गन्ने में फल और चंदन में फूल नहीं होते, उसी प्रकार न तो विद्वान धनी होते हैं और न ही राजा दीर्घायु. सृष्टि के रचयिता को इस विषय में जो उचित लगा, उन्होंने किया. सृष्टि के नियमों में किसी प्रकार भी परिवर्तन संभव नहीं है.


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