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चाणक्य नीति: इन अवगुणों को त्याग कर पाएं समृद्धि और आत्मिक शांति

Gulabi
6 March 2021 8:15 AM GMT
चाणक्य नीति: इन अवगुणों को त्याग कर पाएं समृद्धि और आत्मिक शांति
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आचार्य चाणक्य कूटनीति और राजनीति में तो निपुण थे

आचार्य चाणक्य कूटनीति और राजनीति में तो निपुण थे ही, इसके साथ वे अर्थशास्त्र के मर्मज्ञ भी थे। जिसके कारण उन्हें कौटिल्य भी कहा जाता था। आचार्य चाणक्य ने अपनी बुद्धि के बल पर ही नंदवंश का नाश करके चंद्रगुप्त मौर्य को एक सफल शासक के रूप में स्थापित किया। उन्होंने अपने जीवन में हर परिस्थिति का सामना किया लेकिन कभी भी अपने धैर्य और आत्मविश्वास को कमजोर नहीं होने दिया। आचार्य चाणक्य चंद्रगुप्त के महामंत्री थे, परंतु कहा जाता है कि फिर भी वे महल से दूर एक साधारण कुटिया में रहा करते थे। चाणक्य के अनुसार धन आवश्य है परंतु सच्चा सुख आत्मिक शांति से ही प्राप्त होता है। मनुष्य भौतिक वस्तुओं में अपना सुकून खोजता है परंतु वास्तविक समृद्धि और सुख उसके भीतर ही होते हैं। चाणक्य ने नीति शास्त्र में ऐसे ही तीन अवगुणों के बारे में बताया है जिन्हें दूर करके आप समृद्धि और शांति प्राप्त कर सकते हैं।

लोभ से रहें दूर
आचार्य चाणक्य के अनुसार मनुष्य को हमेशा लोभ की भावना से दूर रहना चाहिए। जिस मनुष्य में लोभ जैसा अवगुण पनप जाता है। उसे कभी भी शांति प्राप्त नहीं होती है। ऐसा व्यक्ति सदैव दूसरों के धन को देखकर लालच करता है, जिससे उसके मन में नकारात्मक विचार आने लगते हैं। इस तरह से वह अपनी ऊर्जा का नाश करता है। जो लोग अपने जीवन में सुख और शांति प्राप्त करना चाहते हैं उन्हें सदैव लालच जैसे अवगुण से दूर रहना चाहिए।
निंदा के अवगुण का करें त्याग
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को हमेशा निंदा से दूर रहना चाहिए। किसी की निंदा करना एक बुरी आदत है। स्वयं तो किसी की निंदा करने से बचना ही चाहिए, इसके साथ ही उन लोगों से भी दूरी बनाकर रखनी चाहिए जो लोग निंदा रस में लीन रहते हैं। यदि समय रहते इस अवगुण से दूरी नहीं बनाई गई तो व्यक्ति को कुछ समय पश्चात यह सब अच्छा लगने लगता है और वह भी उन लोगों जैसा बन जाता है। निंदा करने से व्यक्ति केवल अपने समय की बर्बादी करता है। इसके साथ ही ऐसे लोगों के सम्मान की प्राप्ति भी नहीं होती है। दूसरों की निंदा करने वाले के यहां मां लक्ष्मी का वास नहीं होता है। शांति और समृद्धि के लिए इस अवगुण का त्याग करना चाहिए।
धन प्राप्ति के लिए न करें गलत कार्य
अपने जीवन में हर व्यक्ति धनवान बनना चाहता है, लेकिन धन प्राप्ति के लिए कोई भी ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए कि आपके मान-सम्मान को हानि हो। गलत कार्यों से कमाया गया धन जल्दी ही नष्ट हो जाता है। चाणक्य के अनुसार धर्म के मार्ग पर चलते हुए, परिश्रम से धन की प्राप्ति करनी चाहिए। इस प्रकार से प्राप्त किया गया धन आपको सुख और शांति प्रदान करता है।


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