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चाणक्य नीति: अगर 1 से ज्यादा दुश्मनों से हो सामना, तो ऐसे मिलेगी 100 फीसदी जीत

Gulabi
29 March 2021 12:58 PM GMT
चाणक्य नीति: अगर 1 से ज्यादा दुश्मनों से हो सामना, तो ऐसे मिलेगी 100 फीसदी जीत
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आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन

आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार दुश्मनों का सामना किस तरह से करना चाहिए इस पर आधारित है।

'जब आपके एक से ज्यादा दुश्मन हो तो वहां पर शारीरिक तौर पर नहीं दिमागी तौर पर लड़ना चाहिए।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि मनुष्य को हमेशा अपने दुश्मनों का सामना करते वक्त कुछ चीजों को ध्यान में रखना चाहिए। सबसे पहली बात ये देखना चाहिए कि आपके सामने कितने दुश्मन है। अगर आपने सामने एक से ज्यादा दुश्मन हैं तो उनका सामना शारीरिक तौर पर करना बेकार है। ऐसे में व्यक्ति को उनका सामना दिमाग से करना चाहिए। ऐसा करके ही वो एक झटके में सभी को परास्त कर सकता है।
असल जिंदगी में कई बार ऐसा होता है कि मनुष्य के एक से ज्यादा दुश्मन बन जाते हैं। इनमें से कुछ दुश्मन ऐसे भी होते हैं जिनसे आपका सीधे तौर पर कोई मतलब नहीं होता। लेकिन अपने दोस्त या फिर जानकार का साथ देने के लिए वो आपसे दुश्मनी कर लेते हैं। यानी कि आपके दुश्मनों की संख्या अपने आप बढ़ने लगती है। ऐसे में मनुष्य को शारीरिक तौर पर नहीं बल्कि अपने दिमाग का इस्तेमाल करना चाहिए। ऐसा करके ही वो एक झटके में उन सभी को परास्त कर सकता है। इसके पीछे का कारण एक और है।
दरअसल, एक से ज्यादा व्यक्तियों से किसी भी एक मनुष्य का लड़ना और जीतना मुनासिब नहीं है। वहीं अगर मनुष्य अपने दिमाग से खेले तो वो इन सबको एक झटके में परास्त कर सकता है। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि जब आपके एक से ज्यादा दुश्मन हो तो वहां पर शारीरिक तौर पर नहीं दिमागी तौर पर लड़ना चाहिए।
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