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चाणक्य नीति
जब भी हमें किसी तरह की कोई समस्या होती है, हम किसी मुश्किल में होते हैं तो हम अपने परिवार के सदस्यों और दोस्तों से अपनी व्यथा जरूर बताते हैं. कहते हैं कि अपने दिल की बातें दूसरों को बताने से आपका मन हल्का हो जाता है. लेकिन बहुत से लोगों को अपनी हर एक बात दूसरों को बताने की आदत होती है और यही आदत कई बार आपके लिए मुसीबत का कारण भी बन सकता है. आचार्य चाणक्य द्वार रचित चाणक्य नीति (Chanakya Neeti) के 7वें अध्याय के पहले श्लोक में चाणक्य कहते हैं,
अर्थनाश मनस्तापं गृहिण्याश्चरितानि च।
नीचं वाक्यं चापमानं मतिमान्न प्रकाशयेत॥
इसका श्लोक का अर्थ हुआ कि धन का नाश हो जाने पर, मन में दुखः होने पर, पत्नी के चाल-चलन का पता लगने पर, किसी नीच व्यक्ति से कुछ बुरी या खराब बातें सुन लेने पर और खुद कहीं से अपमानित होकर आने पर अपने मन की इन बातों को किसी को भी नहीं बताना चाहिए. इसी में समझदारी है.
चाणक्य (Chanakya) ऐसा इसलिए कहते हैं क्योंकि उनका मानना है कि सुखद अनुभवों के बारे में तो आप दूसरों को बता सकते हैं इसमें नुकसान की संभावना नहीं रहती, लेकिन बुरे या कड़वे अनुभवों और परेशानियों के बारे में सभी को बताना ठीक नहीं है. क्योंकि कुछ गिने-चुने लोग ही आपके प्रति सहानुभूति रखेंगे, बाकी लोग आपकी बातें सुनकर मन ही मन आनंद लेंगे और आपका मजाक उड़ाएंगे. इसलिए कुछ बातें नीजि होती हैं जिन्हें गुप्त ही रखना चाहिए.
चाणक्य की सलाह, इन बातों को किसी से न कहें
1. अगर आपको किसी तरह का आर्थिक नुकसान हुआ है तो उस बात को सभी लोगों से नहीं बताना चाहिए और अपनी समस्या का समाधान खुद ही निकालना चाहिए.
2. अगर आपको किसी बात की तकलीफ है, किसी बात से मन में दुख हुआ हो तो इस बारे में भी सभी को नहीं बताना चाहिए.
3. चाणक्य कहते हैं कि समझदार व्यक्ति वही है जो अपनी पत्नी के चरित्र या घर से जुड़े किसी भी दोष के बारे में किसी को कुछ न बताए. अगर कोई व्यक्ति घर से जुड़ी सभी बातों को दूसरों को बताता है तो लोग पीठ पीछे उसका मजाक उड़ाते हैं.
4. अगर आपने किसी व्यक्ति को कोई बुरी बात कहते हुए सुन लिया है तो उसे अपने तक ही रखें और दूसरों को इस बारे में कुछ न बताएं.
5. अगर आपका अपमान हुआ है तो इस बारे में सभी लोगों को न बताएं क्योंकि ऐसा करने से आपकी प्रतिष्ठा दूसरों की नजर में भी कम हो जाती है.
Tagsचाणक्य नीति
Gulabi
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