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Chanakya Niti: इस बात से जीवन का सबसे बड़ा डर, जो इंसान को पल-पल मारता है

Gulabi
8 Jun 2021 4:52 PM GMT
Chanakya Niti: इस बात से जीवन का सबसे बड़ा डर, जो इंसान को पल-पल मारता है
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Chanakya Niti

आचार्य चाणक्य की नीतियां और उनके विचार एक बार में देखने पर भले ही आपको बेहद कठोर लगे लेकिन इसमें जीवन की सच्चाई होती है. अपने इन्हीं विचारों और नीतियों को आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) ने चाणक्य नीति (Chanakya Niti) में श्लोक के रूप में संग्रहित किया है. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि उनकी ये नीतियां आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी सैकड़ों साल पहले थीं. आज बात करेंगे कि आचार्य चाणक्य के मुताबिक किसी व्यक्ति के जीवन का सबसे बड़ा डर क्या है (Biggest fear).

सबसे बड़ा डर है बदनामी का डर
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि सभी प्रकार के भय से बदनामी का भय (Fear of malediction) सबसे बड़ा होता है.
हर व्यक्ति यही चाहता है कि उसके जीवन में दो चीजों की कमी कभी ना हो. पहला- रुपया पैसा और दूसरा- मान सम्मान. कई लोगों को आपने यह कहते सुना होगा कि पैसा तो कोई भी कमा लेता है लेकिन समाज में नाम और मान-सम्मान कमाना मुश्किल होता है. ऐसे में आचार्य चाणक्य की मानें तो किसी भी व्यक्ति को जीवन में हमेशा ही इस बात का डर सबसे ज्यादा रहता है कि कहीं किसी वजह से उसकी बदनामी न हो जाए. कहीं उसका मान-सम्मान उससे छिन न जाए.
सुख-चैन छीन लेता है बदनामी का डर
अगर किसी वजह से इंसान को बदनामी का डर सताने लगे तो उसका सुख-चैन सबकुछ छिन जाता है और ऐसा लगता है कि मानो उसका जीवन बर्बाद हो गया है. मौत अगर इंसान को एक बार मारती है तो बदनामी का डर उसे पल-पल मारता है. बदनामी का डर अगर किसी व्यक्ति के दिमाग पर हावी हो जाए तो वह अपनों से और समाज से दूर हो जाता है और कई बार तो व्यक्ति की मानसिक स्थिति भी खराब हो जाती है.
अपने फैसले पर पुनर्विचार जरूर करें
इसलिए बेहद जरूरी है कि जीवन में जब भी आप कोई फैसला लेने जाएं या कोई कदम उठाएं तो उसे लेकर एक बार विचार जरूर करें कि कहीं आप कुछ गलत तो नहीं कर रहे. इसका आपके जीवन में कोई बुरा असर तो नहीं होगा, कहीं इससे आपकी बदनामी तो नहीं होगी. साथ ही अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जिसे बदनामी का सामना करना पड़ रहा है तो उसका मजाक उड़ाने की बजाए उसे दुख से उबारने की कोशिश करें.

(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. जनता से रिश्ता इनकी पुष्टि नहीं करता है.)


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