लाइफ स्टाइल

देशभर में आई फ्लू के मामले लगातार बढ़ते जा रहे है

Shreya
11 Aug 2023 10:55 AM GMT
देशभर में आई फ्लू के मामले लगातार बढ़ते जा रहे है
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लाइफस्टाइल : देशभर में इन दिनों आई फ्लू के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। बरसात में मौसम आंखों में होने वाला यह संक्रमण लोगों के लिए परेशानी का सबब बन जाता है। यूं तो इस मौसम में हर साल आई फ्लू के मामले सामने आते हैं, लेकिन बीते कुछ वर्षों की तुलना में इस साल इसके ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। आई फ्लू को कंजंक्टिवाइटिस या फिर पिंक आई के नाम से भी जाना जाता है। दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में इन समय कई लोग इस संक्रमण का शिकार हो रहे हैं। इसी बीच अब एक ताजा स्टडी सामने आई है। हाल ही में सामने आई इस स्टडी में यह पता चला है कि विटामिन डी की कमी और एलर्जी वाले लोगों में कंजंक्टिवाइटिस का गंभीर रूप होने की संभावना अधिक होती है। यह दावा आंसू पर की गई एक स्टडी के आधार पर किया गया है। आइए जानते हैं इस स्टडी से जुड़ी जरूरी बातें- इस स्टडी में भाग लेने वाले आई फ्लू से पीड़ित लगभग 92% लोगों में विटामिन डी का स्तर कम था। इतना ही नहीं उनमें से कुछ में विटामिन डी का स्तर 5 से भी कम था। बता दें कि शरीर में सामान्य विटामिन डी का स्तर 30 के करीब है। स्टडी में शामिल विशेषज्ञों के मुताबिक आसूंओं पर आधारित इस अध्ययन से कंजंक्टिवाइटिस के इलाज के तरीके में बदलाव आ सकता है।आंखों में होने वाला यह संक्रमण लोगों के लिए परेशानी का सबब बन जाता है। यूं तो इस मौसम में हर साल आई फ्लू के मामले सामने आते हैं, लेकिन बीते कुछ वर्षों की तुलना में इस साल इसके ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। आई फ्लू को कंजंक्टिवाइटिस या फिर पिंक आई के नाम से भी जाना जाता है। दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में इन समय कई लोग इस संक्रमण का शिकार हो रहे हैं। इसी बीच अब एक ताजा स्टडी सामने आई है। हाल ही में सामने आई इस स्टडी में यह पता चला है कि विटामिन डी की कमी और एलर्जी वाले लोगों में कंजंक्टिवाइटिस का गंभीर रूप होने की संभावना अधिक होती है। यह दावा आंसू पर की गई एक स्टडी के आधार पर किया गया है। आइए जानते हैं इस स्टडी से जुड़ी जरूरी बातें- इस स्टडी में भाग लेने वाले आई फ्लू से पीड़ित लगभग 92% लोगों में विटामिन डी का स्तर कम था। इतना ही नहीं उनमें से कुछ में विटामिन डी का स्तर 5 से भी कम था। बता दें कि शरीर में सामान्य विटामिन डी का स्तर 30 के करीब है। स्टडी में शामिल विशेषज्ञों के मुताबिक आसूंओं पर आधारित इस अध्ययन से कंजंक्टिवाइटिस के इलाज के तरीके में बदलाव आ सकता है।

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