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पोलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम से पीड़ित महिलाओं को अपनी डाइट का खास ख्याल रखना पड़ता है। उन्हें ऐसी डाइट की सलाह दी जाती है, जो उनके हार्मोन लेवल को बैलेंस करने में सहायता करती है। ऐसी डाइट उनका वजन भी कम करती है। हालांकि, पीसीओएस के लिए ऐसी कोई खास डाइट नहीं है। बस आपको अपनी इंटेक का और हेल्दी विकल्प चुनने पर ध्यान देना चाहिए।
आपने सुना होगा कि लोग अक्सर पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं को डेयरी फ्री डाइट लेने की सलाह देते हैं। मगर सवाल है कि क्या वाकई पीसीओएस की समस्या में दूध, घी, चीज़ और मक्खन जैसी चीजें छोड़ देनी चाहिए?
फंक्शनल हार्मोनल हेल्थ न्यूट्रिशनिस्ट शिखा गुप्ता ने पीसीओएस और उसकी डाइट से संबंधी कई पोस्ट्स पिछले दिनों शेयर किए थे। उन्होंने 3 क्लीनिकल स्टडीज को इस पोस्ट में शेयर किया है और पीसीओएस में डेयर फ्री जाने की बात पर अपनी राय भी दी है।
क्या है पीसीओएस?
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) एक क्रोनिक हार्मोन डिसऑर्डर है जो यूके में 10 में से 1 महिला को प्रभावित करता है। वहीं, भारतीय महिलाओं में पीसीओएस की बढ़ती दर अधिक है।
पीसीओएस से जुड़े कई तरह के लक्षण हैं जिनमें मुंहासे, तैलीय त्वचा, तेजी से वजन बढ़ना, अनियमित मासिक धर्म, गर्भवती होने में कठिनाई, बालों का शरीर के अन्य हिस्सों पर अधिक बढ़ना और बालों का झड़ना आदि शामिल हैं।
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क्या पीसीओएस के लिए विशेष डाइट जरूरी है?
किसी भी तरह की बीमारी में आपको अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखने की आवश्यकता बहुत ज्यादा होती है। इसी तरह से पीसीओएस में भी अपनी लाइफस्टाइल और डाइट पर ध्यान देना आवश्यक है।
इन लक्षणों को कंट्रोल करने के लिए पीसीओएस डाइट लेने की सलाह दी जाती है, जिनमें ग्लूटेन, डेयरी, कार्बोहाइड्रेट और सोया जैसे विभिन्न फूड ग्रुप्स को हटाने के लिए कहा जाता है। वहीं, कई लोग पीसीओएस को प्रबंधित करने के लिए किसी भी भोजन या फूड ग्रुप्स को हटाने की आवश्यकता नहीं समझते हैं।
क्या दूध छोड़ने से ठीक हो सकता है पीसीएस?
न्यूट्रिशनिस्ट शिखा बताती हैं कि एक रिसर्च में यह पाया गया था कि लो स्टार्च और डायरी डाइट से महिलाओं का वजन कम होने और इंसुलिन सेंसिटिविटी बेहतर होने में मदद मिली। इतना ही नहीं, इससे पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन भी कम दिखा।
वहीं, एक अन्य रिसर्च में दिखा कि आज मिलने वाले डेयरी खासतौर से दूध में ग्रोथ स्टिमुलेटिंग हार्मोन्स और डाइहाइड्रोटेस्टोस्टेरोन (डीएचटी) होता है, जो एंड्रोजन के लेवल को बढ़ाता है। इससे सीबम का उत्पादन और एक्ने भी बढ़ते हैं।
तीसरी स्टडी में पाया गया लो और फ्री फैट मिल्क के अधिक सेवन से पीसीओएस के स्तर में कमी देखी गई थी।
शिखा आगे कहती हैं कि यह स्टडीज सिर्फ मिल्क और पीसीओएस पर आधारित थीं। हालांकि, जब स्टडी में शामिल महिलाओं ने डेयरी प्रोडक्ट को छोड़ा, तो उनके लक्षणों में भी काफी इंप्रूवमेंट देखी गई थी।
पीसीओएस में डेयरी प्रोडक्ट्स लेना कितना सही?
यह पूरी तरह से पर्सन टू पर्सन डिपेंड करता है। न्यूट्रिशनिस्ट शिखा की राय में पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं को डेयरी का सेवन बिल्कुल कम कर देना चाहिए। इसके साथ ही, गुणवत्ता का खास ख्याल देना चाहिए। ऑर्गेनिक डेयरी प्रोडक्ट्स आपके स्वास्थ्य के लिए ज्यादा अच्छा विकल्प हैं। इसके अलावा, अपने लक्षणों पर गौर करें। कुछ महिलाएं दही और चीज़ को अच्छी तरह से खा पाती हैं, लेकिन बाकी चीजें खाना उनके लिए मुश्किल होता है।
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Manish Sahu
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