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आचार्य चाणक्य की इन नीतियों को अपनाकर पा सकते हैं खुशहाल जीवन
Gulabi
2 Sep 2021 3:10 PM GMT
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आचार्य चाणक्य की नीतियां
चंद्रगुप्त मौर्य को जिन्होंने भारत का सम्राट बना दिया वो कोई और नहीं बल्कि आचार्य चाणक्य ही थे. आचार्य चाणक्य की नीतियां हमेशा से ही तर्कसंगत और काफी लोकप्रिय रही हैं. चाणक्य को एक महान इतिहासकार, महान राजनीतिज्ञ और महान कूटनीतिज्ञ माना जाता है.
आचार्य ने जीवन के साथ-साथ उद्योग-धंधों के लिए कई ऐसी नीतियों को अपने नीतिशास्त्र के माध्यम से बताया है जिनके बारे में आपको अवश्य जानना चाहिए. हालांकि, आज के भागदौड़ वाले जीवन में लोगों के पास आचार्य चाणक्य की नीतियों को जानने और समझने के लिए ही समय नहीं है जबकि यही नीतियां उन्हें सफलता के शिखर तक पहुंचा देंगी.
लेकिन बिना इसकी परवाह किए वो अपने व्यस्त कार्यक्रम से थोड़ा भी समय नहीं निकालते. आज हम आचार्य चाणक्य की जिस नीति के बारे में बात करने जा रहे हैं, उसमें चाणक्य ने बताया है कि आप जिससे भी विवाह करें उसके भीतर कुछ खास गुणों की परख अवश्य कर लेनी चाहिए जिससे कि आपका जीवन सुख में बीते.
आचार्य चाणक्य ने कुछ मुख्य बिंदुओं को अपने नीति के माध्यम से बताया है-
– आचार्य चाणक्य ने बताया है कि केवल चेहरे की सुंदरता ही सब कुछ नहीं होती. अगर आप ऐसा करते हैं कि चेहरा देखकर विवाह कर लेते हैं तो वो आपके जीवन की सबसे बड़ी गलती बन जाएगी. अगर आप विवाह करते हैं तो आपको उसके मन की सुंदरता और गुणों को देखना चाहिए न कि बाहरी खूबसूरती को.
– स्त्री के रूप से अधिक आवश्यक है उसके संस्कार क्योंकि सुंदरता कुछ समय के पश्चात तो चली जाती है लेकिन संस्कार से व्यक्ति अपना ही नहीं आने वाले वंशजों को भी गुणों से भर देता है. संस्कारी स्त्री घर को स्वर्ग बना देती है.
– आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में ये बताया है कि आपका जीवनसाथी कितना धैर्यवान है, उसके इस गुण की परख अवश्य करें क्योंकि जो स्त्री अपने पति के साथ आपात स्थिति में साथ खड़ी रहती है उसका वैवाहिक जीवन खुशहाल रहता है.
– कहते हैं कि व्यक्ति का गुस्सा उसका सबसे बड़ा दुश्मन होता है. जो लोग अपने गुस्से को काबू में नहीं रख सकते वो अपने वैवाहिक जीवन को स्वयं बर्बाद कर लेते हैं. अगर स्त्री बहुत ही क्रोधी है तो पारिवारिक जीवन पूरी तरह से तबाह हो जाता है. शक्ति का भंडार कही जाने वाली स्त्री अगर क्रोधित हो जाए तो परिवार बिखर जाता है. इसका उदाहरण भी शिव पुराण में मिलता है जिसमें ये बताया गया है कि जब माता पार्वती को क्रोध आया तो उन्होंने भगवान शिव का ही अंत कर दिया था. वहीं, महाभारत में अंबा के क्रोध ने महायुद्ध करवा दिया था.
नोट- यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.
Gulabi
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